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घाटे में चल रही कंपनियों में UPCL सबसे ऊपर, कैग की रिपोर्ट में खुलासा

मॉनसून सत्र के दौरान सदन में कैग रिपोर्ट-2020 रिपोर्ट पेश किया गया. जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं. कैग रिपोर्ट के मुताबिक घाटे में चल रही कंपनियों में UPCL सबसे ऊपर है.

CAG report tabled in Uttarakhand assembly
कैग रिपोर्ट 2020 सदन में पेश
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Published : Aug 26, 2021, 4:09 PM IST

Updated : Aug 26, 2021, 10:28 PM IST

देहरादून: गुरुवार को विधानसभा में चल रहे मॉनसून सत्र में सरकार द्वारा कैग रिपोर्ट 2020 को सदन के पटल पर रखा गया. जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. कैग रिपोर्ट 2020 वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक विभाग 259 करोड़ रुपये खर्च नहीं कर पाए. वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर 259 करोड़ रुपये सरेंडर करने पड़े. कैग रिपोर्ट के मुताबिक घाटे में चल रही कंपनियों में UPCL सबसे ऊपर है.

यूपीसीएल ही नहीं प्रदेश में सार्वजनिक क्षेत्र के 20 उपक्रम घाटे तले दबे हैं और केवल 10 कंपनियां ही मुनाफे में हैं. यह खुलासा कैग रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, फायदे वाली इन 10 कंपनियों ने 258.80 करोड़ का लाभ कमाया. लेकिन इस लाभ में 91.28 फीसदी योगदान यूजेवीएनल, पावर ट्रांसमिशनल कार्पोरेशन ऑफ उत्तराखंड लि. और उत्तराखंड वन विकास निगम का रहा.

कैग की रिपोर्ट के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के 30 उपक्रमों में से 13 उपक्रम को 31 मार्च 2020 तक 634.28 करोड़ का घाटा हुआ. इसमें से 577.31 करोड़ यानी कुल घाटे का 91 प्रतिशत योगदान यूपीसीएल का है. इनमें से 12 उपक्रमों का घाटा महज नौ फीसदी रहा जबकि शेष लाभ न घाटे में रहे.

इसके अलावा भी कैग की रिपोर्ट में कई गंभीर तथ्य सामने आए हैं. सकल राज्य घरेलू उत्पाद में 2015-16 से लेकर 2019-20 पांच सालों में कृषि और उद्योग के अंश में कमी आई है. कृषि अंश 9.19 फीसदी से घटकर 8.06 फीसदी रह गया. वहीं, उद्योग का अंश 47.66 फीसदी से घटकर 46.19 फीसदी पर आ गया.

कैग ने राजस्व घाटे पर चिंता जताई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि राजस्व प्राप्तियां राजस्व व्यय को भी पूरा नहीं कर पा रही हैं. इसके अलावा भी कैग की रिपोर्ट में कई चौकाने वाले खुलासे सामने आए हैं. प्रदेश की 30 राज्य सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम में 3 निगम हैं और 27 सरकारी कंपनियां शामिल हैं. 8 सरकारी कंपनियां पिछले 8 से 33 सालों से कार्यरत हैं.

ये भी पढ़ें: तीन माह का बिजली फिक्स चार्ज माफ, पर्यावरण मित्र को मिलेगी आर्थिक सहायता: CM धामी

घाटे में चल रहीं कंपनियां

  • उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड.
  • गढ़वाल अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड (गढ़वाल मंडल विकास निगम की सहायक).
  • कुमाऊं अनुसुचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड (कुमाऊं मंडल विकास निगम की सहायक).
  • उत्तराखंड बीज एवं तराई विकास निगम लिमिटेड.
  • डोईवाला शुगर कंपनी लिमिटेड.
  • कुमाऊं मंडल विकास निगम लिमिटेड.
  • गढ़वाल मंडल विकास निगम लिमिटेड.
  • उत्तर प्रदेश हिल इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड.

निष्क्रिय कंपनियां: ट्रांस केबल लिमिटेड (कुमाऊं मंडल विकास निगम लिमिटेड की सहायक), उत्तर प्रदेश डिजिटल लिमिटेड (कुमाऊं मंडल विकास निगम लिमिटेड की सहायक), कुमट्रॉन लिमिटेड (उत्तर प्रदेश हित इलेक्ट्रानिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड की सहायक), उत्तर प्रदेश हिल फोन्स लिमिटेड (उत्तर प्रदेश हिल इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड की सहायक), उत्तर प्रदेश हिल क्वार्टज लिमिटेड (उत्तर प्रदेश हिल इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड की सहायक), गढ़वाल अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड (गढ़वाल मंडल विकास निगम लिमिटेड की सहायक), कुमाऊं अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड (कुमाऊं मंडल विकास निगम लिमिटेड की सहायक), चार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम गढ़वाल अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड, कुमाऊं अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड, ट्रांस केवल लिमिटेड और उत्तर प्रदेश डिजीटल लिमिटेड 2016-17 तक कार्यरत थे. इन कंपनियों को वर्ष 2018-19 के लिए अकार्यरत सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम 3 के रूप में सम्मिलित किया गया है. क्योंकि इनमें कोई वाणिज्यिक गतिविधि नहीं हुई है.

देहरादून: गुरुवार को विधानसभा में चल रहे मॉनसून सत्र में सरकार द्वारा कैग रिपोर्ट 2020 को सदन के पटल पर रखा गया. जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. कैग रिपोर्ट 2020 वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक विभाग 259 करोड़ रुपये खर्च नहीं कर पाए. वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर 259 करोड़ रुपये सरेंडर करने पड़े. कैग रिपोर्ट के मुताबिक घाटे में चल रही कंपनियों में UPCL सबसे ऊपर है.

यूपीसीएल ही नहीं प्रदेश में सार्वजनिक क्षेत्र के 20 उपक्रम घाटे तले दबे हैं और केवल 10 कंपनियां ही मुनाफे में हैं. यह खुलासा कैग रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, फायदे वाली इन 10 कंपनियों ने 258.80 करोड़ का लाभ कमाया. लेकिन इस लाभ में 91.28 फीसदी योगदान यूजेवीएनल, पावर ट्रांसमिशनल कार्पोरेशन ऑफ उत्तराखंड लि. और उत्तराखंड वन विकास निगम का रहा.

कैग की रिपोर्ट के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के 30 उपक्रमों में से 13 उपक्रम को 31 मार्च 2020 तक 634.28 करोड़ का घाटा हुआ. इसमें से 577.31 करोड़ यानी कुल घाटे का 91 प्रतिशत योगदान यूपीसीएल का है. इनमें से 12 उपक्रमों का घाटा महज नौ फीसदी रहा जबकि शेष लाभ न घाटे में रहे.

इसके अलावा भी कैग की रिपोर्ट में कई गंभीर तथ्य सामने आए हैं. सकल राज्य घरेलू उत्पाद में 2015-16 से लेकर 2019-20 पांच सालों में कृषि और उद्योग के अंश में कमी आई है. कृषि अंश 9.19 फीसदी से घटकर 8.06 फीसदी रह गया. वहीं, उद्योग का अंश 47.66 फीसदी से घटकर 46.19 फीसदी पर आ गया.

कैग ने राजस्व घाटे पर चिंता जताई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि राजस्व प्राप्तियां राजस्व व्यय को भी पूरा नहीं कर पा रही हैं. इसके अलावा भी कैग की रिपोर्ट में कई चौकाने वाले खुलासे सामने आए हैं. प्रदेश की 30 राज्य सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम में 3 निगम हैं और 27 सरकारी कंपनियां शामिल हैं. 8 सरकारी कंपनियां पिछले 8 से 33 सालों से कार्यरत हैं.

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घाटे में चल रहीं कंपनियां

  • उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड.
  • गढ़वाल अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड (गढ़वाल मंडल विकास निगम की सहायक).
  • कुमाऊं अनुसुचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड (कुमाऊं मंडल विकास निगम की सहायक).
  • उत्तराखंड बीज एवं तराई विकास निगम लिमिटेड.
  • डोईवाला शुगर कंपनी लिमिटेड.
  • कुमाऊं मंडल विकास निगम लिमिटेड.
  • गढ़वाल मंडल विकास निगम लिमिटेड.
  • उत्तर प्रदेश हिल इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड.

निष्क्रिय कंपनियां: ट्रांस केबल लिमिटेड (कुमाऊं मंडल विकास निगम लिमिटेड की सहायक), उत्तर प्रदेश डिजिटल लिमिटेड (कुमाऊं मंडल विकास निगम लिमिटेड की सहायक), कुमट्रॉन लिमिटेड (उत्तर प्रदेश हित इलेक्ट्रानिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड की सहायक), उत्तर प्रदेश हिल फोन्स लिमिटेड (उत्तर प्रदेश हिल इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड की सहायक), उत्तर प्रदेश हिल क्वार्टज लिमिटेड (उत्तर प्रदेश हिल इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड की सहायक), गढ़वाल अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड (गढ़वाल मंडल विकास निगम लिमिटेड की सहायक), कुमाऊं अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड (कुमाऊं मंडल विकास निगम लिमिटेड की सहायक), चार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम गढ़वाल अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड, कुमाऊं अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड, ट्रांस केवल लिमिटेड और उत्तर प्रदेश डिजीटल लिमिटेड 2016-17 तक कार्यरत थे. इन कंपनियों को वर्ष 2018-19 के लिए अकार्यरत सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम 3 के रूप में सम्मिलित किया गया है. क्योंकि इनमें कोई वाणिज्यिक गतिविधि नहीं हुई है.

Last Updated : Aug 26, 2021, 10:28 PM IST
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