देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान भले ही भ्रष्टाचार का मुद्दा नगण्य रहा हो, लेकिन 2017 में इसी विषय पर आवाज उठा कर भाजपा ने प्रचंड बहुमत की सरकार पाई थी. भ्रष्टाचार पर रोकथाम के लिए लोकायुक्त को कभी जरूरी मानने वाली भाजपा सरकार अब इस पर मौन दिखती है. हालांकि, युवा सरकार के युवा मंत्री ने लोकायुक्त पर फिर से चिंतन करने की बात कही है.
दिल्ली में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल के लिए हुए अन्ना आंदोलन ने देश की राजनीति को एक अलग मोड़ पर ला खड़ा किया था. इसी आंदोलन का नतीजा था कि विभिन्न राज्यों में सरकारों और राष्ट्रीय दलों ने भी इसे अपना मुद्दा बनाया और घोषणा पत्र में भी जगह दी. उत्तराखंड भी उन्हीं राज्यों में से एक रहा जहां 2017 में भाजपा ने 100 दिन के अंदर लोकायुक्त गठन करने का वादा किया, लेकिन 5 साल बीतने के बाद भी इसका गठन नहीं हो पाया.
हालांकि इसके लिए एक कमेटी को रिपोर्ट बनाने की जिम्मेदारी जरूर दी गई, जिस काम को 2017 से 2022 तक की भाजपा सरकार नहीं कर पाई. उसपर अब भाजपा की ही युवा धामी सरकार से उम्मीदें लगाई जा रही हैं. दरअसल, प्रदेश के युवा मंत्री सौरभ बहुगुणा ने लोकायुक्त को लेकर फिर से विचार करने की बात कही है. सौरभ बहुगुणा ने कहा कि साल 2017 में उनकी सरकार ने ये वादा किया था, जिसपर काम भी किया गया लेकिन अब फिर से इस पर विचार किया जाएगा और लोकायुक्त गठन की दिशा में सरकार से बात की जाएगी.