देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा में सड़क की गुणवत्ता पर सवाल खड़े होने से सिंचाई विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. दरअसल, विधानसभा में जिस सड़क का निर्माण किया गया है, वह सिंचाई विभाग ने बनाई है. जिसकी गुणवत्ता पर विभागीय मंत्री ने ही सवाल खड़े कर किये हैं.
उत्तराखंड में मॉनसून के दौरान सड़कों पर सवाल हमेशा से उठते रहे हैं. पहाड़ से लेकर मैदान तक प्रदेश की सड़कों की खस्ता हाल जग जाहिर हैं. लेकिन आज विधानसभा में कुछ ऐसा हुआ जिसको सुनकर आप यह सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि भला जिस सड़क पर 70 विधायकों सहित मुख्यमंत्री को चलना है, उस सड़क पर ही सरकार के मंत्री सवाल खड़े कर रहे हैं, तो देश की बाकी सड़कों का क्या हाल होगा?
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यह वाकया उस वक्त हुआ जब विधानसभा सत्र का तीसरा और अंतिम दिन (Uttarakhand assembly session) चल रहा था. पर्यटन, पीडब्ल्यूडी और सिंचाई विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे सतपाल महाराज (cabinet minister satpal maharaj) जैसे ही अपनी गाड़ी से उतरे उनके जूते से सड़क पर लगी बजरी निकलने लगी. मंत्री जी को लगा कि शायद जिस जगह उन्होंने कदम रखे हैं वहीं, पर कुछ कमी रह गई हो.
लिहाजा, विभागीय मंत्री ने पूरे विधानसभा परिसर में एक चक्कर लगाया और सड़क की गुणवत्ता को पहले अपने आप जांचा. जो प्रथम दृष्टया जांच में पूरी तरह से फेल साबित हुई. ऐसे में आग बबूला हुए मंत्री ने तत्काल प्रभाव से विधानसभा के अंदर बनी सड़क की गुणवत्ता पर ही जांच (satpal maharaj inquiry on quality of road) बैठा दी.
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज को पहले यह लगा कि यह कार्य पीडब्ल्यूडी द्वारा किया गया है. बाद में मालूम हुआ कि उन्हीं के पास सिंचाई मंत्रालय है और सिंचाई मंत्रालय के तहत ही यह सड़क बनी है. ऐसे में सतपाल महाराज ने अधिकारियों को बुलाकर न केवल फटकार लगाई बल्कि संबंधित कार्यदाई संस्था के खिलाफ जांच बैठा दी. सतपाल महाराज का कहना है कि जो सच आंखों के सामने दिख रहा है, उसे झुठलाया नहीं जा सकता.
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बहरहाल, सतपाल महाराज ने भले ही विधानसभा की सड़क पर सवाल खड़े किए हों, लेकिन इस घटना के बाद अंदाजा लगाया जा सकता है कि अधिकारी और कार्यदाई संस्था प्रदेश के अन्य हिस्सों में किस तरह के कार्य कर रहे हैं. जरूरत है तो बस इन सड़क निर्माण कार्यों की गुणवत्ता जांच करवाने की.