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सतपाल महाराज की विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात, पंचेश्वर बांध परियोजना की प्रक्रिया होगी तेज

भारत और नेपाल के बीच महाकाली नदी पर 5040 मेगावाट की पंचेश्वर बांध परियोजना प्रस्तावित है. इस बहुउद्देशीय परियोजना की मंजूरी की प्रक्रिया में तेजी लाने को लेकर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने एस जयशंकर से मुलाकात की. उन्होंने पंचेश्वर बांध परियोजना के फायदे भी गिनाए. उन्होंने कहा कि डैम बनने के बाद नेपाल भी बिजली बेच सकेगा.

Satpal Maharaj and S Jaishankar
सतपाल महाराज की एस जयशंकर से मुलाकात
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Published : Jul 22, 2022, 6:37 PM IST

देहरादूनः कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने भारत-नेपाल के बीच ऐतिहासिक संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली बहुउद्देशीय पंचेश्वर बांध परियोजना को लेकर बातचीत की. साथ ही बांध परियोजना के मंजूरी की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए संबंधित मंत्रालय को निर्देशित करने का अनुरोध किया.

दरअसल, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने शुक्रवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) से उनके नई दिल्ली स्थित आवास पर भेंट की. इस दौरान उन्होंने विदेश मंत्री को एक पत्र भी सौंपा. जिसमें उन्होने बहुउद्देशीय पंचेश्वर बांध परियोजना (Pancheshwar Dam Project) की मंजूरी की प्रक्रिया में तेजी लाने का अनुरोध करते हुए संबंधित मंत्रालय को इसके लिए निर्देशित करने की बात कही.

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने विदेशी मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात के दौरान उन्हें बताया कि भारत और नेपाल के बीच महाकाली नदी पर 5040 मेगावाट की पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना प्रस्तावित है. जिसकी लागत 50 हजार करोड़ के लगभग है. इस परियोजना में पंचेश्वर बांध के डाउनस्ट्रीम में 300 मीटर ऊंचे पंचेश्वर बांध और 95 मीटर ऊंचे रूपालीगढ़ बांध के निर्माण की परिकल्पना की गई है. मुख्य बांध पर 80 किमी लंबा जलाशय बनेगा. यह परियोजना दोनों देशों के लिए अत्यधिक लाभकारी है.

ये भी पढ़ेंः जल पुरुष ने पंचेश्वर और जमरानी डैम को लेकर जताई चिंता, कहा- बड़े बांध बनाना विनाशकारी

सतपाल महाराज ने विदेश मंत्री से कहा कि जल्द से जल्द इस योजना को प्रारंभ करना चाहिए. उन्होंने बताया कि पंचेश्वर बांध निर्माण के बाद जहां इसके जलाशय से नेपाल में 1,70,000 हेक्टेयर भूमि और भारत में 2,59,000 हेक्टेयर भूमि के लिए सिंचाई की सुविधा मिलेगी. वहीं, इस परियोजना से नेपाल और उत्तराखंड के सीमावर्ती जिलों में जबरदस्त समृद्धि आएगी. उन्होंने कहा कि पंचेश्वर बांध परियोजना से दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को भी मजबूत मिलेगी.

भविष्य में नेपाल भी बेच सकेगा बिजलीः वहीं, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि साल 2024 से पहले पंचेश्वर बांध परियोजना का एमओयू यानी समझौता ज्ञापन (MoU) साइन हो जाए, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं. पंचेश्वर बांध निर्माण से नेपाल को बड़ा लाभ मिलेगा. जिस प्रकार से भूटान भारत को बिजली बेच रहा है. उसी प्रकार भविष्य में नेपाल भी बिजली बेचकर लाभ उठा सकता है.

भारत और नेपाल के बीच रोटी बेटी के संबंध होंगे और प्रगाढ़ः सतपाल महाराज ने कहा कि आने वाले समय में पंचेश्वर बांध में अनेक पर्यटन गतिविधियां संचालित की जा सकती हैं. यह पर्यटन का वर्ल्ड डेस्टिनेशन बनेगा. इसके निर्माण से भारत और नेपाल के बीच रोटी बेटी के संबंध और प्रगाढ़ होंगे. साथ ही युवा बेरोजगारों को भी रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध होंगे.

ये भी पढ़ेंः भारत-नेपाल रिश्ताः केवल रोटी-बेटी ही नहीं इस कारण भी एक-दूसरे से जुड़े हैं ये दोनों देश

देहरादूनः कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने भारत-नेपाल के बीच ऐतिहासिक संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली बहुउद्देशीय पंचेश्वर बांध परियोजना को लेकर बातचीत की. साथ ही बांध परियोजना के मंजूरी की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए संबंधित मंत्रालय को निर्देशित करने का अनुरोध किया.

दरअसल, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने शुक्रवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) से उनके नई दिल्ली स्थित आवास पर भेंट की. इस दौरान उन्होंने विदेश मंत्री को एक पत्र भी सौंपा. जिसमें उन्होने बहुउद्देशीय पंचेश्वर बांध परियोजना (Pancheshwar Dam Project) की मंजूरी की प्रक्रिया में तेजी लाने का अनुरोध करते हुए संबंधित मंत्रालय को इसके लिए निर्देशित करने की बात कही.

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने विदेशी मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात के दौरान उन्हें बताया कि भारत और नेपाल के बीच महाकाली नदी पर 5040 मेगावाट की पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना प्रस्तावित है. जिसकी लागत 50 हजार करोड़ के लगभग है. इस परियोजना में पंचेश्वर बांध के डाउनस्ट्रीम में 300 मीटर ऊंचे पंचेश्वर बांध और 95 मीटर ऊंचे रूपालीगढ़ बांध के निर्माण की परिकल्पना की गई है. मुख्य बांध पर 80 किमी लंबा जलाशय बनेगा. यह परियोजना दोनों देशों के लिए अत्यधिक लाभकारी है.

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सतपाल महाराज ने विदेश मंत्री से कहा कि जल्द से जल्द इस योजना को प्रारंभ करना चाहिए. उन्होंने बताया कि पंचेश्वर बांध निर्माण के बाद जहां इसके जलाशय से नेपाल में 1,70,000 हेक्टेयर भूमि और भारत में 2,59,000 हेक्टेयर भूमि के लिए सिंचाई की सुविधा मिलेगी. वहीं, इस परियोजना से नेपाल और उत्तराखंड के सीमावर्ती जिलों में जबरदस्त समृद्धि आएगी. उन्होंने कहा कि पंचेश्वर बांध परियोजना से दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को भी मजबूत मिलेगी.

भविष्य में नेपाल भी बेच सकेगा बिजलीः वहीं, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि साल 2024 से पहले पंचेश्वर बांध परियोजना का एमओयू यानी समझौता ज्ञापन (MoU) साइन हो जाए, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं. पंचेश्वर बांध निर्माण से नेपाल को बड़ा लाभ मिलेगा. जिस प्रकार से भूटान भारत को बिजली बेच रहा है. उसी प्रकार भविष्य में नेपाल भी बिजली बेचकर लाभ उठा सकता है.

भारत और नेपाल के बीच रोटी बेटी के संबंध होंगे और प्रगाढ़ः सतपाल महाराज ने कहा कि आने वाले समय में पंचेश्वर बांध में अनेक पर्यटन गतिविधियां संचालित की जा सकती हैं. यह पर्यटन का वर्ल्ड डेस्टिनेशन बनेगा. इसके निर्माण से भारत और नेपाल के बीच रोटी बेटी के संबंध और प्रगाढ़ होंगे. साथ ही युवा बेरोजगारों को भी रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध होंगे.

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