देहरादून: यशपाल आर्य के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से लगातार चर्चा है कि बीजेपी के कई नेता कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. उनमें से कांग्रेस बागी नेताओं का नाम प्रबल है. हरक सिंह रावत भी उनमें से एक हैं. हरीश रावत ने हरक सिंह रावत सहित तमाम बागी नेताओं को अपने पाप की माफी मांगने की नसीहत दी और कांग्रेस में वापसी करने को कहा. इसके बावजूद हरक सिंह रावत का रवैया हरदा के प्रति नरम दिख रहा है.
दो सीटों पर हारता तो छोड़ देता राजनीति: उत्तराखंड में दल-बदल की संभावना के बीच पूर्व सीएम हरीश रावत और कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की लड़ाई तेज होती मानी जा रही थी. जहां हरीश रावत दल-बदल के लिए हरक सिंह से माफी मंगवाने पर अड़े हुए थे. वहीं, हरक सिंह रावत ने हरीश रावत के दो सीटों पर चुनाव हारने के दर्द को कुरेदने की कोशिश की. हरक सिंह रावत ने कहा कि यदि वह 2 विधानसभा सीटों से हारते तो कभी चुनाव नहीं लड़ते, लेकिन यह हरीश रावत की हिम्मत है, जो वह अभी राजनीति में जुटे हुए हैं.
बदला-बदला दिखा हरक का अंदाज: हरीश रावत का बागियों को महापापी बताकर माफी मांगने वाला ऐसा बयान था कि कोई भी बागी नेता जवाब देने पर मजबूर हो सकता था, लेकिन हरक सिंह रावत की तरफ से ऐसा इस बार नहीं हुआ. हरक आज जिस तरह से हरीश रावत को लेकर बात कर रहे थे, उससे यह लग रहा था कि वह बेहद बदले हुए अंदाज में हरदा के लिए बयान दे रहे हैं. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अपने 1:30 मिनट के बयान में हरक सिंह रावत ने हरीश रावत को भाई कहकर 11 बार बुलाया और उनके लिए कोई ऐसा बयान नहीं दिया जो हरीश रावत को बुरा लगे. हालांकि, हरक का यह नरम रवैया आने वाले समय में दलबदल के कयासों का हवा देने का काम कर रहा है.
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किच्छा और हरिद्वार ग्रामीण सीट से हारे थे हरीश रावत: गौर हो कि 2017 उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में सीएम रहते हरीश रावत ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था. हरीश रावत किच्छा और हरिद्वार ग्रामीण सीट से बतौर प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन दोनों ही सीटों पर हरीश रावत को हार का मुंह देखना पड़ा. किच्छा से बीजेपी प्रत्याशी राजेश शुक्ला और हरिद्वार ग्रामीण से स्वामी यतीश्वरानंद ने हरीश रावत को हराया था.