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उत्तराखंड के सबसे 'रोंदू' नेता हैं हरक सिंह, जानिए कब-कब बहाए आंसू - कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत रोए

सवाल यह खड़ा होता है कि जो इंसान पक्ष और विपक्ष यानी कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही राजनीतिक पार्टियों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे चुका है, वह भी असहाय होकर अगर रोने लगे तो फिर नेताजी को चुनने वाली जनता का भला क्या हाल होगा ?

हरक सिंह रावत
हरक सिंह रावत
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Published : May 18, 2021, 4:08 PM IST

Updated : May 18, 2021, 5:29 PM IST

देहरादून: सत्ता के गलियारों में राज सुख भोग रहे नेताओं को वैसे तो रोने-धोने की कोई आदत नहीं होती, लेकिन अगर बात जनता का ध्यान खींचने की हो तो नेता रोना-धोना तो छोड़िए वह हर काम कर लेते हैं, जिसके लिए कोई आम इंसान सोच भी नहीं सकता. ऐसे ही उत्तराखंड के मौजूदा कैबिनेट मंत्री और उत्तराखंड की राजनीति में हमेशा से पक्ष और विपक्ष में मजबूत पद पर रहे हरक सिंह रावत हैं, जो एक अनुमान के मुताबिक उत्तराखंड में सबसे ज्यादा बार रोने का रिकॉर्ड अपने नाम कायम कर चुके हैं. फिर वह कांग्रेस में रहकर रोए हों या फिर भारतीय जनता पार्टी में आकर भावुक हुए हों. ऐसे अनेकों मौके जनता की यादों में ताजा हैं, जब हरक सिंह रावत रोते हुए नजर आए हैं.

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भावुक हरक सिंह रावत.

नेता के हाथ में अगर कुछ हो और वह कुछ न कर पाए तब रोना वाजिब है. लेकिन कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के मामले में ऐसा नहीं है. मंत्री हरक सिंह रावत उत्तराखंड बनने के बाद से अब तक और यूं कहें कि उत्तर प्रदेश के समय में भी विधायक रहे हैं. ऐसे में विकास कार्य या फिर अन्य जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर हरक सिंह रावत का रोना समझ से परे है. इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है.

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मीडिया से बात करते हुए भावुक हुए मंत्री हरक सिंह रावत.

दरअसल, इस बार वे कोरोना को लेकर ज्यादा भावुक दिखे. उन्होंने कहा कि ऐसा मंजर पहले कभी नहीं देखा और मीडिया से बात करते हुए वे भावुक होकर रोने लगे. हरक कोई पहली बार भावुक नहीं हुए हैं. इससे पहले भी वे कई बार कैमरे पर रोते हुए देखे गए हैं. हरक के आंसू तब भी देखे गए थे, जब वह कांग्रेस में हुआ करते थे. ये अलग बात है कि कई बार तस्वीरें कैमरे में कैद नहीं हो पाईं.

पढ़ें- 'अपने सामने लोगों को मरते देखा'... कहते ही भावुक हुए मंत्री हरक सिंह रावत

2003 में असम की एक महिला ने हरक सिंह रावत पर गंभीर आरोप लगाए थे. हालांकि रोने का मुद्दा 2014 में तब सामने आया था, जब 2014 में हरक सिंह रावत ने भावुक होकर सार्वजनिक मंच पर अपनी बात रखी थी.

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भावुक हरक सिंह रावत.

उस समय हरक सिंह रावत तत्कालीन हरीश रावत सरकार में मंत्री थे. उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों पर मीडिया के सामने रोते हुए सफाई दी थी. इसके बाद हरीश रावत के कार्यकाल के दौरान उनके ऊपर लग रहे आरोपों को मीडिया के सामने रखते हुए भी हरक सिंह रावत ने आंसू बहाते हुए कहा था कि हरीश रावत उनके साथ सही बर्ताव नहीं कर रहे थे और जो भी हुआ वह सही नहीं हुआ. उस समय भी हरक सिंह रावत को रोते हुए देखा गया था.

एक बार कोटद्वार में भी उन्होंने जनता के सामने अपने आंसू बहाए थे. चिल्लरखाल मोटर मार्ग के उद्घाटन समारोह में उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए कहा था, यह मोटर मार्ग इस क्षेत्र की लाइफ लाइन साबित होगा. इतना कहते ही हरक सिंह रावत की आंखों से आंसू टपकने लगे.

आज एक बार फिर से हरक सिंह रावत रोए हैं. ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि जो इंसान पक्ष और विपक्ष यानी कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही राजनीतिक पार्टियों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे चुका है, वह भी असहाय होकर के अगर रोने लगे तो फिर नेताजी को चुनने वाली जनता का भला क्या हाल होगा ? बहरहाल जनता को समझना चाहिए कि नेताजी के रोने से ही सब काम होंगे या फिर कुछ ऐसा करना होगा कि नेताजी को दोबारा रोना न पड़े ?

देहरादून: सत्ता के गलियारों में राज सुख भोग रहे नेताओं को वैसे तो रोने-धोने की कोई आदत नहीं होती, लेकिन अगर बात जनता का ध्यान खींचने की हो तो नेता रोना-धोना तो छोड़िए वह हर काम कर लेते हैं, जिसके लिए कोई आम इंसान सोच भी नहीं सकता. ऐसे ही उत्तराखंड के मौजूदा कैबिनेट मंत्री और उत्तराखंड की राजनीति में हमेशा से पक्ष और विपक्ष में मजबूत पद पर रहे हरक सिंह रावत हैं, जो एक अनुमान के मुताबिक उत्तराखंड में सबसे ज्यादा बार रोने का रिकॉर्ड अपने नाम कायम कर चुके हैं. फिर वह कांग्रेस में रहकर रोए हों या फिर भारतीय जनता पार्टी में आकर भावुक हुए हों. ऐसे अनेकों मौके जनता की यादों में ताजा हैं, जब हरक सिंह रावत रोते हुए नजर आए हैं.

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भावुक हरक सिंह रावत.

नेता के हाथ में अगर कुछ हो और वह कुछ न कर पाए तब रोना वाजिब है. लेकिन कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के मामले में ऐसा नहीं है. मंत्री हरक सिंह रावत उत्तराखंड बनने के बाद से अब तक और यूं कहें कि उत्तर प्रदेश के समय में भी विधायक रहे हैं. ऐसे में विकास कार्य या फिर अन्य जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर हरक सिंह रावत का रोना समझ से परे है. इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है.

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मीडिया से बात करते हुए भावुक हुए मंत्री हरक सिंह रावत.

दरअसल, इस बार वे कोरोना को लेकर ज्यादा भावुक दिखे. उन्होंने कहा कि ऐसा मंजर पहले कभी नहीं देखा और मीडिया से बात करते हुए वे भावुक होकर रोने लगे. हरक कोई पहली बार भावुक नहीं हुए हैं. इससे पहले भी वे कई बार कैमरे पर रोते हुए देखे गए हैं. हरक के आंसू तब भी देखे गए थे, जब वह कांग्रेस में हुआ करते थे. ये अलग बात है कि कई बार तस्वीरें कैमरे में कैद नहीं हो पाईं.

पढ़ें- 'अपने सामने लोगों को मरते देखा'... कहते ही भावुक हुए मंत्री हरक सिंह रावत

2003 में असम की एक महिला ने हरक सिंह रावत पर गंभीर आरोप लगाए थे. हालांकि रोने का मुद्दा 2014 में तब सामने आया था, जब 2014 में हरक सिंह रावत ने भावुक होकर सार्वजनिक मंच पर अपनी बात रखी थी.

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भावुक हरक सिंह रावत.

उस समय हरक सिंह रावत तत्कालीन हरीश रावत सरकार में मंत्री थे. उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों पर मीडिया के सामने रोते हुए सफाई दी थी. इसके बाद हरीश रावत के कार्यकाल के दौरान उनके ऊपर लग रहे आरोपों को मीडिया के सामने रखते हुए भी हरक सिंह रावत ने आंसू बहाते हुए कहा था कि हरीश रावत उनके साथ सही बर्ताव नहीं कर रहे थे और जो भी हुआ वह सही नहीं हुआ. उस समय भी हरक सिंह रावत को रोते हुए देखा गया था.

एक बार कोटद्वार में भी उन्होंने जनता के सामने अपने आंसू बहाए थे. चिल्लरखाल मोटर मार्ग के उद्घाटन समारोह में उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए कहा था, यह मोटर मार्ग इस क्षेत्र की लाइफ लाइन साबित होगा. इतना कहते ही हरक सिंह रावत की आंखों से आंसू टपकने लगे.

आज एक बार फिर से हरक सिंह रावत रोए हैं. ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि जो इंसान पक्ष और विपक्ष यानी कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही राजनीतिक पार्टियों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे चुका है, वह भी असहाय होकर के अगर रोने लगे तो फिर नेताजी को चुनने वाली जनता का भला क्या हाल होगा ? बहरहाल जनता को समझना चाहिए कि नेताजी के रोने से ही सब काम होंगे या फिर कुछ ऐसा करना होगा कि नेताजी को दोबारा रोना न पड़े ?

Last Updated : May 18, 2021, 5:29 PM IST
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