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कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और कांग्रेस नेता किशोर उपाध्याय को मिली जमानत, कोर्ट ने जारी किया था गैर जमानती वारंट - जमानत

20 दिसंबर 2009 को विधानसभा कूच के दौरान शांति भंग के आरोप में कांग्रेस के 25 नेताओं के खिलाफ नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था.

हरक सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री.
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Published : Mar 14, 2019, 10:59 PM IST

देहरादून: शांति भंग मामले में गुरुवार को कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय कोर्ट में पेश हुए. पेशी के बाद दोनों के खिलाफ गैर जमानती वारंट निरस्त कर दिया गया. मामले की अगली सुनवाई दो अप्रैल को होगी.

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बता दें कि 20 दिसंबर 2009 को विधानसभा कूच के दौरान शांति भंग के आरोप में कांग्रेस के 25 नेताओं के खिलाफ नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था. तब प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी. पुलिस ने सभी को रिस्पना पुल पर रोक लिया. इससे आक्रोशित होकर इन लोगों ने पुलिस के साथ धक्का-मुक्की की और उत्तेजक नारे लगाए. इससे शांति एवं कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई थी.

2013 से इस मामले में सुनवाई देहरादून कोर्ट में चल रही है. कोर्ट ने तत्कालीन कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय समेत छह लोगों के खिलाफ कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किए था.

इस मामले में 20 अप्रैल 2018 को अन्य कांग्रेसी नेता कोर्ट में पेश हुए थे. जिन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई थी, लेकिन तब कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और कांग्रेस नेता किशोर उपाध्याय ने अपने आप को पेश होने में असमर्थता जताते हुए अदालत को प्रार्थना पत्र भेजा था.

कोर्ट के बाहर आने के बाद किशोर उपाध्याय ने कहा कि उन्होंने 2009 में तत्कालीन बीजेपी सरकार की जनविरोधी नीति और भष्ट्राचार के खिलाफ विधानसभा का घेराव किया था. इस प्रदर्शन में हजारों लोगों ने भाग लिया था, लेकिन बीजेपी सरकार ने चुन-चुन कर कांग्रेसियों पर मुकदमा दर्ज कराया था. ये सिर्फ परेशान करने के लिए किया गया था.

देहरादून: शांति भंग मामले में गुरुवार को कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय कोर्ट में पेश हुए. पेशी के बाद दोनों के खिलाफ गैर जमानती वारंट निरस्त कर दिया गया. मामले की अगली सुनवाई दो अप्रैल को होगी.

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बता दें कि 20 दिसंबर 2009 को विधानसभा कूच के दौरान शांति भंग के आरोप में कांग्रेस के 25 नेताओं के खिलाफ नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था. तब प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी. पुलिस ने सभी को रिस्पना पुल पर रोक लिया. इससे आक्रोशित होकर इन लोगों ने पुलिस के साथ धक्का-मुक्की की और उत्तेजक नारे लगाए. इससे शांति एवं कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई थी.

2013 से इस मामले में सुनवाई देहरादून कोर्ट में चल रही है. कोर्ट ने तत्कालीन कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय समेत छह लोगों के खिलाफ कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किए था.

इस मामले में 20 अप्रैल 2018 को अन्य कांग्रेसी नेता कोर्ट में पेश हुए थे. जिन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई थी, लेकिन तब कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और कांग्रेस नेता किशोर उपाध्याय ने अपने आप को पेश होने में असमर्थता जताते हुए अदालत को प्रार्थना पत्र भेजा था.

कोर्ट के बाहर आने के बाद किशोर उपाध्याय ने कहा कि उन्होंने 2009 में तत्कालीन बीजेपी सरकार की जनविरोधी नीति और भष्ट्राचार के खिलाफ विधानसभा का घेराव किया था. इस प्रदर्शन में हजारों लोगों ने भाग लिया था, लेकिन बीजेपी सरकार ने चुन-चुन कर कांग्रेसियों पर मुकदमा दर्ज कराया था. ये सिर्फ परेशान करने के लिए किया गया था.

Intro:20 दिसंबर 2009 को विधानसभा कोच के दौरान शांति भंग के आरोप में करीब 25 कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए गए थे।साल 2013 से चल रहे इस मामले में राज्य के कैबिनेट मंत्री हर सिंह रावत और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय समेत छह लोगों के खिलाफ सीजीएम कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किए थे। इसी के चलते आज कैबिनेट मंत्री हर सिंह रावत और पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की कोर्ट में पेशी हुई।


Body:बता दें कि देहरादून में 2 दिसंबर 2009 में विधानसभा सत्र चल रहा था और कांग्रेस कार्यकर्ता तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष हरक सिंह रावत के नेतृत्व में विधानसभा की ओर जा रहे थे और पुलिस ने उन्हें रिस्पना पुल पर रोक लिया। इस दौरान कांग्रेसी कार्यकर्ता और विधायकों ने पुलिस के साथ धक्का-मुक्की भी की।वहीं पुलिस ने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं पर सत्र के दौरान शांति व्यवस्था भंग करने और पुलिस से धक्का-मुक्की करने के आरोप में 25 नेताओं कार्यकर्ताओं पर मुकदमा दर्ज किया था। इस मामले में साल 2013 से सुनवाई चल रही है और अदालत ने सभी को कोर्ट में पेश होने के लिए जमानती वारंट जारी किए थे। कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने पेश हो पाने में असमर्थ जताते हुए अदालत को प्रार्थना पत्र भेजा था।लेकिन अन्य कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने 20 अप्रैल 2018 को सीजेएम कोर्ट में पहुंचकर जमानत ले ली थी। जिसके चलते अदालत ने हरक सिंह रावत और किशोर उपाध्याय समस्त अन्य 6 लोगों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने के निर्देश दिए थे।वही आज कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की कोर्ट में पेशी हुई।


Conclusion:सफाई देते हुए पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि 2009 में भाजपा की सरकार के दौरान जो जनविरोधी ओर भ्रष्टाचार के खिलाफ हमने विधानसभा का घेराव किया था।जो हमने सरकार के खिलाफ जो प्रदर्शन हुआ था उसमें हज़ारो लोगो ने भाग लिया।लेकिन भाजपा सरकार ने चुन चुन कर कांग्रेसियों पर मुकदमा दर्ज करने का काम किया था।उसके बाद न्यायालय को दे दिया गया।इस सभी मामले में हम लोगो को परेशान किया जा रहा है।और अगर कोई सरकार गलत काम करती है।सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता होने के नाते हम खिलाफत करते है तो उसके बाद मुकदमा लगा दिए जाने पर अच्छी बात नही है।गलत सरकार के कारण प्रदेश का नुकसान हो रहा है और हम तो इसके खिलाफ हमेशा खड़े रहेंगे।


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धन्यवाद।
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