देहरादून: शांति भंग मामले में गुरुवार को कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय कोर्ट में पेश हुए. पेशी के बाद दोनों के खिलाफ गैर जमानती वारंट निरस्त कर दिया गया. मामले की अगली सुनवाई दो अप्रैल को होगी.
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बता दें कि 20 दिसंबर 2009 को विधानसभा कूच के दौरान शांति भंग के आरोप में कांग्रेस के 25 नेताओं के खिलाफ नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था. तब प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी. पुलिस ने सभी को रिस्पना पुल पर रोक लिया. इससे आक्रोशित होकर इन लोगों ने पुलिस के साथ धक्का-मुक्की की और उत्तेजक नारे लगाए. इससे शांति एवं कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई थी.
2013 से इस मामले में सुनवाई देहरादून कोर्ट में चल रही है. कोर्ट ने तत्कालीन कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय समेत छह लोगों के खिलाफ कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किए था.
इस मामले में 20 अप्रैल 2018 को अन्य कांग्रेसी नेता कोर्ट में पेश हुए थे. जिन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई थी, लेकिन तब कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और कांग्रेस नेता किशोर उपाध्याय ने अपने आप को पेश होने में असमर्थता जताते हुए अदालत को प्रार्थना पत्र भेजा था.
कोर्ट के बाहर आने के बाद किशोर उपाध्याय ने कहा कि उन्होंने 2009 में तत्कालीन बीजेपी सरकार की जनविरोधी नीति और भष्ट्राचार के खिलाफ विधानसभा का घेराव किया था. इस प्रदर्शन में हजारों लोगों ने भाग लिया था, लेकिन बीजेपी सरकार ने चुन-चुन कर कांग्रेसियों पर मुकदमा दर्ज कराया था. ये सिर्फ परेशान करने के लिए किया गया था.