देहरादून: उत्तराखंड के चमोली जिले में गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग लंबे समय से चली आ रही है, लेकिन अभी तक जन भावनाओं के अनुरूप गैरसैंण को राजधानी घोषित नहीं किया गया. जिसके चलते समय समय पर गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाए जाने की मांग उठती रही है, लेकिन पिछले साल 4 मार्च को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सदन के भीतर गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया था. इस घोषणा के बाद कुछ दिनों तक तो राजधानी का मुद्दा शांत रहा, लेकिन इस घोषणा के कुछ महीनों बाद ही एक बार फिर गैरसैंण को स्थाई राजधानी की मांग उठने लगी.
बीते दिनों विधानसभा बजट सत्र के दौरान गैरसैंण को नई कमिश्नरी की घोषणा के बाद राज्य की राजनीति में भूचाल सा आ गया. माना जा रहा है कि राज्य में तीसरी कमिश्नरी बनाए जाने की घोषणा जो तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने की थी. वह घोषणा उनका अकेले का निर्णय था. यहां तक इस घोषणा की जानकारी मंत्रिमंडल को भी नहीं थी. जिसका नतीजा यह हुआ कि तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपने मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा. अब शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत गैरसैंण को जिला बनाने के समर्थन में आ गए हैं.
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बता दें कि गैरसैंण में आहूत किए गए बजट सत्र के दौरान 4 मार्च को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण कमिश्नरी की घोषणा की थी. इस नई कमिश्नरी में गढ़वाल के 2 जिले (रुद्रप्रयाग और चमोली) और कुमाऊं के 2 जिले (बागेश्वर और अल्मोड़ा) को शामिल किया गया हैं. गैरसैंण को नई कमिश्नरी के तौर पर बनाने की घोषणा किए जाने के बाद से ही इसका विरोध शुरू हो गया था. यही नहीं भाजपा के तमाम विधायक और मंत्री भी इसके विरोध में थे.
वहीं, अब शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत ने बताया कि उनकी राय में गैरसैंण को जिला बना दिया जाए. जिससे गैरसैंण का अच्छे ढंग से विकास हो पाएगा. इसके साथ ही जो नई गैरसैंण कमिश्नरी बनाने की घोषणा की गई है. उस पर बैठकर विचार किया जाएगा. हालांकि, इस घोषणा को वापस लिया जाएगा या नहीं लिया. इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता. लेकिन स्थितियों को देखते हुए विचार किया जाएगा. अगर इस घोषणा को वापस लेना आवश्यक होगा तो इसे वापस लिया जाएगा.