विकासनगरः देहरादून के जौनसार क्षेत्र में दिवाली के एक महीने बाद मनाई जाने वाली बूढ़ी दिवाली का भिरूड़ी पर्व का जश्न बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. ग्रामीणों ने गांव स्थित ईष्ट देवता के मंदिर में माथा टेककर सुख-समृद्धि की कामना करने के साथ ही भिरूड़ी पर्व की एक दूसरे को बधाई दी.
रविवार को जौनसार बावर के अल्सी गांव के साथ ही कई अन्य गांव में पारंपरिक बूढ़ी दिवाली का भिरूड़ी पर्व मनाया गया. गांव के पंचायती आंगन में गांव की सभी महिला, पुरुष और बच्चों के द्वारा पारंपरिक वेशभूषा में खुशियां मनाई. साथ ही घरों के आंगन से समुदाय के लोगों ने दिवाली मनाने पहुंचे लोगों को हरियाली दी, जिसे लोग स्थानीय बोली में 'सोने की हरियाली' कहते हैं.
वहीं, मुखिया ने अखरोट की भिरूड़ी बिखेरी जिसे देवता के नाम से बिखेरा जाता है, पंचायती आंगन में खड़े ग्रामीणों द्वारा प्रसाद के रूप में अखरोट को ग्रहण किया जाता है. गैर प्रवासी लोग भी इस पर्व के लिए अपने गांव लौटते हैं और परिजनों के साथ बूढ़ी दिवाली का जश्न मनाते हैं.
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स्थानीय सुप्पा सिंह बिष्ट का कहना है कि देश में मनाई जाने वाली दिवाली के ठीक एक माह बाद बूढ़ी दीपावली मनाई जाने की परंपरा है. उन्होंने बताया कि जब देश में दीपावली का जश्न होता है तो उस समय ग्रामीण क्षेत्रों में खेती से जुड़े कार्य अधिक होते हैं. इसी के तहत लोग अपने कृषि कार्य पूरा करने के 1 माह बाद बूढ़ी दीपावली बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं.