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उत्तराखंड की संस्कृति से रूबरू हुए बौद्ध बच्चे, पर्यावरण संरक्षण का भी लिया संकल्प

ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में अरुणाचल प्रदेश के तवांग के 40 बौद्ध बच्चों के दल ने दो हफ्ते तक रहकर ध्यान, योग, सत्संग, प्रार्थना, भजन, गंगा आरती में हिस्सा लिया और उत्तराखंड की संस्कृति को आत्मसात किया.

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परमार्थ निकेतन
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Published : Mar 12, 2020, 8:52 PM IST

ऋषिकेशः इन दिनों अरुणाचल प्रदेश के तवांग से बौद्ध संप्रदाय के 40 बच्चों का दल ऋषिकेश दौरे पर है. इस दल ने परमार्थ निकेतन में दो हफ्ते तक विभिन्न गतिविधियों में प्रतिभाग किया. साथ ही योग महोत्सव में हिस्सा लिया और पूरे महोत्सव का लुत्फ उठाया. इतना ही नहीं उन्होंने उत्तराखंड की संस्कृति को निहारने, जानने और समझने का भी प्रयास किया.

दरअसल, ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में दो हफ्ते तक रहकर 40 बौद्ध बच्चों के दल ने ध्यान, योग, सत्संग, प्रार्थना, भजन, गंगा आरती में हिस्सा लेकर उत्तराखंड की संस्कृति को आत्मसात किया. इस दौरान बच्चों के साथ आए लामा ने कहा कि भारत और चीन की सीमा में तवांग हिमालय की तरह अडिग प्रहरी के रूप में खड़ा है, जो भारतीय संस्कृति का परचम लहरा रहा है. साथ ही भारत की एकता और अखंडता को कायम कर रहा है.

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बौद्ध बच्चों का दल.

ये भी पढ़ेंः स्वामी शिवानंद के आमरण अनशन का तीसरा दिन, जल पुरुष ने दिया अपना समर्थन

वहीं, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद ने विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति हेतु विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया. बता दें कि परमार्थ निकेतन में हर साल तवांग से गरीब अनाथ बच्चे आते हैं. यहां पर उन्हें भारतीय संस्कृति और अध्यात्म से रूबरू कराया जाता है.

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परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद से मुलाकात करते लामा.

ऋषिकेशः इन दिनों अरुणाचल प्रदेश के तवांग से बौद्ध संप्रदाय के 40 बच्चों का दल ऋषिकेश दौरे पर है. इस दल ने परमार्थ निकेतन में दो हफ्ते तक विभिन्न गतिविधियों में प्रतिभाग किया. साथ ही योग महोत्सव में हिस्सा लिया और पूरे महोत्सव का लुत्फ उठाया. इतना ही नहीं उन्होंने उत्तराखंड की संस्कृति को निहारने, जानने और समझने का भी प्रयास किया.

दरअसल, ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में दो हफ्ते तक रहकर 40 बौद्ध बच्चों के दल ने ध्यान, योग, सत्संग, प्रार्थना, भजन, गंगा आरती में हिस्सा लेकर उत्तराखंड की संस्कृति को आत्मसात किया. इस दौरान बच्चों के साथ आए लामा ने कहा कि भारत और चीन की सीमा में तवांग हिमालय की तरह अडिग प्रहरी के रूप में खड़ा है, जो भारतीय संस्कृति का परचम लहरा रहा है. साथ ही भारत की एकता और अखंडता को कायम कर रहा है.

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बौद्ध बच्चों का दल.

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वहीं, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद ने विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति हेतु विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया. बता दें कि परमार्थ निकेतन में हर साल तवांग से गरीब अनाथ बच्चे आते हैं. यहां पर उन्हें भारतीय संस्कृति और अध्यात्म से रूबरू कराया जाता है.

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परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद से मुलाकात करते लामा.
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