ETV Bharat / state

सूचना क्रांति के युग में भी मोबाइल नेटवर्क से वंचित हैं उत्तराखंड के 948 गांव, BSNL की 4G स्कीम से बजेगी घंटी

देवभूमि उत्तराखंड के 948 गांव ऐसे हैं, जहां मोबाइल कनेक्टिविटी मौजूद नहीं है. ऐसे में भारत सरकार की 4जी सेचुरेशन स्कीम इन गांवों के लिए वरदान साबित हो सकती है. इससे स्थानीय लोगों में उम्मीद जगी है कि वो भी मोबाइल के जरिए देश दुनिया से जुड़ सकेंगे.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jun 15, 2023, 12:13 PM IST

Updated : Jun 15, 2023, 2:56 PM IST

सूचना क्रांति के युग में भी मोबाइल नेटवर्क से वंचित हैं उत्तराखंड के 948 गांव

देहरादून: दुनिया भर में मोबाइल लोगों के जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया है. वर्तमान स्थिति ये है कि आज युवा अधिकतर समय मोबाइल पर बिताते हैं. आज के इस दौर में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं बचा होगा, जिसके पास मोबाइल फोन न हो. लेकिन उत्तराखंड के एक या दो नहीं बल्कि करीब 948 गांव ऐसे हैं, जहां मोबाइल कनेक्टिविटी मौजूद नहीं है. अब भारत सरकार की 4जी सेचुरेशन स्कीम के तहत आस जागी है कि अगले कुछ सालों में इन गांवों के लोग भी देश दुनिया से जुड़ सकेंगे. साथ ही सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र से सूचना का आदान-प्रदान आसानी से हो सकेगा.

948 गांवों में नहीं हैं मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध: आईटीडीए की निदेशक नितिका खंडेलवाल ने बताया कि जब 4जी की सेचुरेशन स्कीम शुरू हुई थी, उस दौरान 1244 गांवों की लिस्ट भेजी गई थी. जिसके बाद 948 गांवों की लिस्ट भेजी गई थी. हालांकि, 948 गांव ऐसे हैं, जहां कोई भी नेटवर्क उपलब्ध नहीं है. ऐसे में इन गांवों में 4जी सुविधा देने के लिए एग्रीमेंट कर दिया है. आईटीडीए की ओर से जो पहले 1244 की लिस्ट भेजी गई थी, उस पर बीएसएनएल ने काम शुरू कर दिया है. ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही इसका काम पूरा हो जाएगा. उन्होंने बताया कि जैसे ही 1244 गांवों में 4जी की सुविधा का काम पूरा हो जाएगा, उसके बाद अगले एक साल के भीतर 948 गांवों पर भी काम शुरू हो जाएगा.

उत्तराखंड के सैकड़ों गांव अभी भी मोबाइल कनेक्टिविटी से दूर
उत्तराखंड के सैकड़ों गांव अभी भी मोबाइल कनेक्टिविटी से दूर

उत्तराखंड के 186 गांवों में 2जी और 3जी का ही नेटवर्क: नितिका खंडेलवाल ने बताया कि प्रदेश में करीब 186 गांव ऐसे बचे हैं, जहां पर अभी भी 2जी और 3जी का ही नेटवर्क उपलब्ध है और ये गांव भी 4जी सेचुरेशन में सेलेक्ट हो गए हैं. कुल मिलाकर आने वाले समय में इन सभी गांवों में 4जी की सुविधा मिलेगी, क्योंकि भारत सरकार ने 4जी सेचुरेशन के तहत सभी गांवों में 4जी की सुविधा उपलब्ध कराए जाने के लिए स्कीम में शामिल की है.

देश के 2800 गांवों में है 2जी और 3जी का नेटवर्क: वहीं, देश भर में करीब 2800 गांव ऐसे हैं, जहां पर अभी भी 2जी और 3जी का ही नेटवर्क उपलब्ध है. ऐसे में इन सभी गांवों में 4जी की सेवा दिए जाने पर काम चल रहा है. इसके लिए केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय ने बजट जारी कर दिया है. इन गांवों में बीएसएनएल के जरिए नेटवर्क को अपग्रेड किया जाएगा. बड़ी बात यह है कि इन सभी गांवों में से 1581 गांव अकेले उत्तराखंड राज्य के हैं. वहीं, केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि उत्तराखंड के ये सभी गांव सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं, लिहाजा इन गांवों में भारत की 4जी 5जी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि कोई भी साइबर अटैक न कर सके.

ये भी पढ़ें: 5G के जमाने में भी मनी ऑर्डर के भरोसे हैं उत्तराखंड के पहाड़ों में लोग, यहां नहीं पहुंची डिजिटल क्रांति

सूचना क्रांति के युग में भी मोबाइल नेटवर्क से वंचित हैं उत्तराखंड के 948 गांव

देहरादून: दुनिया भर में मोबाइल लोगों के जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया है. वर्तमान स्थिति ये है कि आज युवा अधिकतर समय मोबाइल पर बिताते हैं. आज के इस दौर में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं बचा होगा, जिसके पास मोबाइल फोन न हो. लेकिन उत्तराखंड के एक या दो नहीं बल्कि करीब 948 गांव ऐसे हैं, जहां मोबाइल कनेक्टिविटी मौजूद नहीं है. अब भारत सरकार की 4जी सेचुरेशन स्कीम के तहत आस जागी है कि अगले कुछ सालों में इन गांवों के लोग भी देश दुनिया से जुड़ सकेंगे. साथ ही सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र से सूचना का आदान-प्रदान आसानी से हो सकेगा.

948 गांवों में नहीं हैं मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध: आईटीडीए की निदेशक नितिका खंडेलवाल ने बताया कि जब 4जी की सेचुरेशन स्कीम शुरू हुई थी, उस दौरान 1244 गांवों की लिस्ट भेजी गई थी. जिसके बाद 948 गांवों की लिस्ट भेजी गई थी. हालांकि, 948 गांव ऐसे हैं, जहां कोई भी नेटवर्क उपलब्ध नहीं है. ऐसे में इन गांवों में 4जी सुविधा देने के लिए एग्रीमेंट कर दिया है. आईटीडीए की ओर से जो पहले 1244 की लिस्ट भेजी गई थी, उस पर बीएसएनएल ने काम शुरू कर दिया है. ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही इसका काम पूरा हो जाएगा. उन्होंने बताया कि जैसे ही 1244 गांवों में 4जी की सुविधा का काम पूरा हो जाएगा, उसके बाद अगले एक साल के भीतर 948 गांवों पर भी काम शुरू हो जाएगा.

उत्तराखंड के सैकड़ों गांव अभी भी मोबाइल कनेक्टिविटी से दूर
उत्तराखंड के सैकड़ों गांव अभी भी मोबाइल कनेक्टिविटी से दूर

उत्तराखंड के 186 गांवों में 2जी और 3जी का ही नेटवर्क: नितिका खंडेलवाल ने बताया कि प्रदेश में करीब 186 गांव ऐसे बचे हैं, जहां पर अभी भी 2जी और 3जी का ही नेटवर्क उपलब्ध है और ये गांव भी 4जी सेचुरेशन में सेलेक्ट हो गए हैं. कुल मिलाकर आने वाले समय में इन सभी गांवों में 4जी की सुविधा मिलेगी, क्योंकि भारत सरकार ने 4जी सेचुरेशन के तहत सभी गांवों में 4जी की सुविधा उपलब्ध कराए जाने के लिए स्कीम में शामिल की है.

देश के 2800 गांवों में है 2जी और 3जी का नेटवर्क: वहीं, देश भर में करीब 2800 गांव ऐसे हैं, जहां पर अभी भी 2जी और 3जी का ही नेटवर्क उपलब्ध है. ऐसे में इन सभी गांवों में 4जी की सेवा दिए जाने पर काम चल रहा है. इसके लिए केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय ने बजट जारी कर दिया है. इन गांवों में बीएसएनएल के जरिए नेटवर्क को अपग्रेड किया जाएगा. बड़ी बात यह है कि इन सभी गांवों में से 1581 गांव अकेले उत्तराखंड राज्य के हैं. वहीं, केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि उत्तराखंड के ये सभी गांव सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं, लिहाजा इन गांवों में भारत की 4जी 5जी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि कोई भी साइबर अटैक न कर सके.

ये भी पढ़ें: 5G के जमाने में भी मनी ऑर्डर के भरोसे हैं उत्तराखंड के पहाड़ों में लोग, यहां नहीं पहुंची डिजिटल क्रांति

Last Updated : Jun 15, 2023, 2:56 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.