देहरादूनः डीआरडीओ में देश की सीमा की रखवाली के लिए एक ऐसा मानव निर्मित प्रहरी तैयार किया जा रहा है. जिसके बाद देश की सीमा पर पूरे 10 किलोमीटर तक के क्षेत्र में होने वाली छोटी से छोटी हलचल बिल्कुल साफ देखी जाएगी. बॉर्डर सर्विलांस सिस्टम यानी 'BOSS' के नाम से जाने जाने वाले इस सिस्टम का फिलहाल डीआरडीओ प्रोडक्शन कर रहा है. हालांकि लद्दाख के लेह और सियाचिन क्षेत्र पर 2 यूनिट इसकी इंस्टाल भी की जा चुकी हैं.
देश की सीमाओं पर बिना किसी इंसानी मदद के पैनी नजर बनाये रखने वाले बॉर्डर सर्विलांस सिस्टम को लेकर डीआरडीओ देहरादून एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर कार्यरत है. देहरादून में डीआरडीओ के आईआरडीई में ऑप्टिक्ल फैक्ट्री में 'BOSS' यानी borders servilance system को तैयार किया जा रहा है.
भारतीय सेना ने इस मशीन की 2 यूनिट को लद्दाख के सियाचिन और अक्साई चीन बॉर्डर पर तैनात किया है तो वहीं 20 और यूनिट बनाने के आर्डर भारतीय सेना द्वारा डीआरडीओ को दिया गया. जिन्हें जल्द ही तैयार कर भारतीय सेना के सुपुर्द कर दिया जाएगा.
छोटी से छोटी हलचल दिखेगी
डीआरडीओ द्वारा तैयार किया जा रहा ये सर्विलांस सिस्टम स्टैंड अलोन मोड में काम करता है यानी कि इसके साथ किसी व्यक्ति के मौजूद रहने की जरूरत नहीं है. यह सिस्टर से छोटी से छोटी हलचल दिखेगी. सीमा पार से होने वाली 10 किलोमीटर दूर तक की छोटी से छोटी हलचल को केवल देख ही नहीं सकते, बल्कि उसे रिकॉर्ड कर यह सिस्टम कंट्रोल रूम तक भी भेजता है.
यह सिस्टम खास तौर से उच्च हिमालयी क्षेत्र जहां साल के ज्यादातर महीनों में बर्फ रहती है. वहां विषम परिस्थितियों में सेना की गैरमौजूदगी में भी देश की सीमा पर डेटा रहता है.
इस सिस्टम पर 3 अलग-अलग बहुत ही अत्याधुनिक और हाई रेजुलेशन के लेंस लगे हैं जिसमें से एक 8 किमी रेंज का नाइट विजन, एक रिकॉर्ड करने और एक दिन में काम करता है.
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सिस्टम को सोलर पैनल और बैटरी से जोड़ा गया है ताकि सिस्टम दिन और रात बिना रुके काम करता रहा. साथ ही सिस्टम एक गोपनीय नेटवर्क के साथ सेना के कंट्रोल रूम से जुड़ा रहता है और कंट्रोल रूम में बैठकर सीमा पर नजर रख सकते हैं. इतना ही नहीं इस सिस्टम में यह भी खासियत है कि अगर सब सामान्य है तो ठीक लेकिन अगर कोई संदिग्ध गतिविधि इस सिस्टम में कैद होती है तो यह सिस्टम खुद ही कंट्रोल रूम को अलर्ट करता है.