ऋषिकेश: प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर (Bollywood actor Nana Patekar) आज ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन (Parmarth Niketan Rishikesh) पहुंचे हैं. यहां उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती से भेंटकर उनका आशीर्वाद लिया. इसके बाद नाना पाटेकर यहां शाम को होने वाली गंगा आरती ( Ganga Aarti at rishikesh) में शामिल हुए. इस मौके पर स्वामी चिदानंद ने नाना पाटेकर को आशीर्वाद स्वरूप रुद्राक्ष का पौधा भेंट किया.
इस मौके पर स्वामी चिदानंद सरस्वती (Swami Chidananda Saraswati) ने कहा कि नाना पाटेकर एक गंभीर व्यक्तित्व के धनी हैं. उन्होंने अपनी फिल्मों के माध्यम से समाज को जागृत करने का अनुपम कार्य किया है. न केवल इनकी फिल्में बल्कि इनका व्यक्तित्व भी प्रेरणादायक है. उन्होंने कहा कि नाना पाटेकर वास्तव में बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं, परन्तु वे व्यक्तित्व से एकमुखी हैं. आज अपने राष्ट्र, समाज और संस्कृति की रक्षा के लिये हर व्यक्ति को एकमुखी होने की जरूरत है. नाना पाटेकर राजनीति से दूर रहकर अपने जीवन को सात्विक रखते हुये राष्ट्र के लिये समर्पित जीवन जी रहे हैं. इन्होंने जो भी कार्य किये हैं, उसमें सागर सी गहरी और उनके हृदय की विशालता की झलक दिखाई देती है.
पढ़ें- Himalaya Day 2022: हिमालय के संरक्षण के लिए सरकार गठित करेगी मॉनिटरिंग कमेटी
वहीं, गंगा आरती के उपस्थित लोगों को मुखातिब होते हुए अभिनेता नाना पाटेकर (Bollywood actor Nana Patekar) ने कहा कि मेरा प्लान न होते हुये भी उनका यहां आने प्लान बन गया. मां गंगा और स्वामी चिदानंद के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त कर वह खुद को अत्यंत उत्साहित महसूस कर रहे हैं. स्वामी चिदानंद ने जो आशीर्वाद के रूप में रुद्राक्ष का पौधा उन्हें भेंट किया है, वह इसे अपने घर में जाकर रोपित करेंगे. उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए मां गंगा का प्रसाद है. उन्होंने दोबारा उत्तराखंड आने की बात भी कही है.
क्या है परमार्थ निकेतन: परमार्थ निकेतन उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित एक आश्रम है. यह आश्रम हिमालय की गोद में गंगा किनारे बसा है. इसकी स्थापना 1942 में सन्त सुकदेवानन्द जी महाराज (1901–1965) ने की थी. साल 1986 से स्वामी चिदानन्द सरस्वती इसके अध्यक्ष एवं आध्यात्मिक मुखिया हैं.
परमार्थ आश्रम ऋषिकेश का सबसे बड़ा आश्रम है. इसमें 1000 से भी अधिक कमरे हैं. आश्रम में प्रतिदिन प्रभात की सामूहिक पूजा, योग एवं ध्यान, सत्संग, व्याख्यान, कीर्तन, सूर्यास्त के समय गंगा-आरती आदि होते हैं. इसके अलावा प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद चिकित्सा एवं आयुर्वेद प्रशिक्षण आदि भी दिए जाते हैं. आश्रम में भगवान शिव की 14 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित है. आश्रम के प्रांगण में 'कल्पवृक्ष' भी है. जिसे 'हिमालय वाहिनी' के विजयपाल बघेल ने रोपा था.