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Bobby Panwar Met Protesters: बेरोजगार आंदोलनकारियों से मिलने पहुंचे बॉबी पंवार, शहीद स्थल से धरना कराया स्थगित

सीजेएम कोर्ट की अनुमति पर उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार शहीद स्थल पर आंदोलनकारियों से मिलने पहुंचे. जहां उन्होंने प्रदर्शनकारी युवाओं के साथ बैठक की. जिसमें फैसला लिया गया कि शहीद स्थल से धरना को स्थगित किया जाएगा, लेकिन ये युवा अपनी मांग पूरी नहीं होने तक दूसरी जगह पर अपना आंदोलन जारी रखेंगे

Bobby Panwar Met Protesters
शहीद स्थल से बेरोजगारों का धरना स्थगित
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Published : Feb 17, 2023, 7:46 PM IST

Updated : Feb 17, 2023, 8:13 PM IST

शहीद स्थल से बेरोजगारों का धरना स्थगित

देहरादून: राजधानी में बेरोजगारों पर हुए लाठीचार्ज का मामला अभी तक शांत नहीं हुआ है. आज 17 फरवरी को भी देहरादून कचहरी परिसर में फिर से गहमागहमी का माहौल रहा. उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार भी सीजेएम कोर्ट की अनुमति के बाद शहीद स्थल पहुंचे और वहां आंदोलनरत युवाओं को फूल मालाएं पहनाई. इसके बाद बॉबी पंवार ने युवाओं के साथ बंद कमरे में करीब एक घंटे तक वार्ता की, जिसमें निर्णय लिया गया कि शहीद स्थल पर चल रहे युवाओं के सत्याग्रह को स्थगित किया जाए, लेकिन युवाओं का आंदोलन आगे भी चलता रहेगा.

बता दें कि बीती 9 फरवरी को देहरादून में उत्तराखंड बेरोजगार संघ के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में युवा ने विरोध प्रदर्शन किया था. इस दौरान घंटाघर के आसपास जाम भी लगा था. वहीं, पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच गहमागहमी की देखने को मिली थी. इसी बीच कुछ उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव कर दिया, जिसके विरोध में पुलिस ने भी लाठीचार्ज किया था. तब बवाल काटने और फोर्स पर पथराव करने के आरोप में पुलिस ने उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार समेत 13 लोगों को गिरफ्तार किया था.

इस घटना के अगले दिन से ही यानी 10 फरवरी को बड़ी संख्या में युवा देहरादून में शहीद स्मारक पर पहुंचे और बॉबी की रिहाई और पेपर लीक मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर सत्याग्रह पर बैठ गए थे. तभी से यहां पर युवाओं को धरना जारी है. 15 फरवरी को बॉबी पंवार और उसके सभी साथियों को कोर्ट से जमानत मिल गई है. सभी 15 फरवरी शाम को ही बाहर भी आ गए थे, लेकिन इसके बाद भी युवा शहीद स्थल से नहीं उठ रहे थे. प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा था कि उनका ये विरोध प्रदर्शन खत्म कराया जाए.

वहीं, आज 17 फरवरी को बॉबी पंवार सीजेएम कोर्ट पहुंचे तो कोर्ट में बॉबी पवार ने शहीद स्थल पर जाने के लिए अनुमति मांगी. सीजेएम कोर्ट ने अनुमति देते हुए पंवार से कहा कि वो वहां जा सकते है, लेकिन उन्हें शहीद स्थल पर बैठे युवाओं का धरना प्रदर्शन स्थगित करना पड़ेगा. उसके बाद जैसे ही बॉबी पंवार कोर्ट से शहीद स्थल पहुंचे तो बॉबी पंवार ने शहीद स्थल पर बैठे आंदोलनरत युवाओं का अभिनंदन फूल मालाओं से किया और उसके बाद सत्याग्रह स्थगित करने की बात कही, लेकिन युवा नहीं माने. इसके बाद कुछ युवाओं को लेकर बॉबी पंवार बंद कमरे में बैठ और करीब एक घंटे की वार्ता करने के बाद सत्याग्रह को स्थगित करने का निर्णय लिया.
ये भी पढ़ें: HC On Paper Leak: उत्तराखंड में पेपर लीक की CBI जांच मामले में सुनवाई, HC ने सरकार से मांगा जवाब

इस दौरान बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने बताया कि उनकी सभी मांगे जायज हैं, जो उन्होंने प्रदेश हित की मांगी थी, लेकिन शासन और प्रशासन ने अभी तक हमारी मांगों पर संज्ञान नहीं लिया है. उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने जो सत्याग्रह शुरू किया था, उस सत्याग्रह को कुचलने का शासन और प्रशासन ने प्रयास किया, उसका जो आक्रोश था वह सड़कों पर उतरा और उसके बाद जो घटनाएं घटित हुई, उस कारण 13 लोगों की जेल जाना पड़ा.

बॉबी पंवार ने कहा कि उनके कई साथियों पर मुकदमे दर्ज कराए गए, बावजूद इसके उनके साथियों का मनोबल नहीं टूटा है. उन लोगों ने हमारी रिहाई की है और तमाम मांगों को लेकर काफी संघर्ष किया. हमने शहीद स्थल पर बैठे युवाओं के साथ बैठक की. जिसमें न्यायालय के आदेशानुसार हमारी यह सहमति बनी कि इस न्यायालय परिसर में स्थित शहीद स्थल पर चल रहे सत्याग्रह को स्थगित किया जाए, लेकिन आगे भी हमारा आंदोलन जारी रहेगा. हमारी जो मांगे हैं आगे भी वही रहेगी. साथियों के साथ आंदोलन की रूपरेखा दोबारा से तैयार की जाएगी और इस आंदोलन को निर्णायक आंदोलन बनाया जाएगा.

बॉबी ने कहा जब तक सरकार पेपर लीक मामले में सीबीआई जांच नहीं करवाती है, तब तक हम इस आंदोलन को जारी रखेंगे और आंदोलन के जरिए अपनी मांगे रखेंगे. सभी तरह से इस लड़ाई को लड़ेंगे और अंजाम तक पहुंचाने का काम किया जाएगा. भारत के संविधान में यह पहला राज्य है, जहां सरकार निर्णय लेती है कि धरना प्रदर्शन कहां करना है. यह संविधान को कुचलने की बात की जा रही है.

बॉबी ने कहा अब सरकार ने एकता विहार जो कि जंगल में जगह है, वह दी गई है. वह हमें स्वीकार नहीं है. इसके लिए हम कोशिश करेंगे कि शासन और प्रशासन हमें उचित स्थान दें और हमें उम्मीद है कि प्रदेश के तमाम संगठन और तमाम राजनीतिक दल इसका विरोध करेंगे. अगर हमें न्यायालय की शरण लेनी पड़े तो हम वहां पर भी जाएंगे. क्योंकि वहां पर अपनी आवाज को बुलंद नहीं किया जा सकता है. वहां पर सरकार या प्रशासन सुनने वाला नहीं है.

शहीद स्थल से बेरोजगारों का धरना स्थगित

देहरादून: राजधानी में बेरोजगारों पर हुए लाठीचार्ज का मामला अभी तक शांत नहीं हुआ है. आज 17 फरवरी को भी देहरादून कचहरी परिसर में फिर से गहमागहमी का माहौल रहा. उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार भी सीजेएम कोर्ट की अनुमति के बाद शहीद स्थल पहुंचे और वहां आंदोलनरत युवाओं को फूल मालाएं पहनाई. इसके बाद बॉबी पंवार ने युवाओं के साथ बंद कमरे में करीब एक घंटे तक वार्ता की, जिसमें निर्णय लिया गया कि शहीद स्थल पर चल रहे युवाओं के सत्याग्रह को स्थगित किया जाए, लेकिन युवाओं का आंदोलन आगे भी चलता रहेगा.

बता दें कि बीती 9 फरवरी को देहरादून में उत्तराखंड बेरोजगार संघ के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में युवा ने विरोध प्रदर्शन किया था. इस दौरान घंटाघर के आसपास जाम भी लगा था. वहीं, पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच गहमागहमी की देखने को मिली थी. इसी बीच कुछ उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव कर दिया, जिसके विरोध में पुलिस ने भी लाठीचार्ज किया था. तब बवाल काटने और फोर्स पर पथराव करने के आरोप में पुलिस ने उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार समेत 13 लोगों को गिरफ्तार किया था.

इस घटना के अगले दिन से ही यानी 10 फरवरी को बड़ी संख्या में युवा देहरादून में शहीद स्मारक पर पहुंचे और बॉबी की रिहाई और पेपर लीक मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर सत्याग्रह पर बैठ गए थे. तभी से यहां पर युवाओं को धरना जारी है. 15 फरवरी को बॉबी पंवार और उसके सभी साथियों को कोर्ट से जमानत मिल गई है. सभी 15 फरवरी शाम को ही बाहर भी आ गए थे, लेकिन इसके बाद भी युवा शहीद स्थल से नहीं उठ रहे थे. प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा था कि उनका ये विरोध प्रदर्शन खत्म कराया जाए.

वहीं, आज 17 फरवरी को बॉबी पंवार सीजेएम कोर्ट पहुंचे तो कोर्ट में बॉबी पवार ने शहीद स्थल पर जाने के लिए अनुमति मांगी. सीजेएम कोर्ट ने अनुमति देते हुए पंवार से कहा कि वो वहां जा सकते है, लेकिन उन्हें शहीद स्थल पर बैठे युवाओं का धरना प्रदर्शन स्थगित करना पड़ेगा. उसके बाद जैसे ही बॉबी पंवार कोर्ट से शहीद स्थल पहुंचे तो बॉबी पंवार ने शहीद स्थल पर बैठे आंदोलनरत युवाओं का अभिनंदन फूल मालाओं से किया और उसके बाद सत्याग्रह स्थगित करने की बात कही, लेकिन युवा नहीं माने. इसके बाद कुछ युवाओं को लेकर बॉबी पंवार बंद कमरे में बैठ और करीब एक घंटे की वार्ता करने के बाद सत्याग्रह को स्थगित करने का निर्णय लिया.
ये भी पढ़ें: HC On Paper Leak: उत्तराखंड में पेपर लीक की CBI जांच मामले में सुनवाई, HC ने सरकार से मांगा जवाब

इस दौरान बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने बताया कि उनकी सभी मांगे जायज हैं, जो उन्होंने प्रदेश हित की मांगी थी, लेकिन शासन और प्रशासन ने अभी तक हमारी मांगों पर संज्ञान नहीं लिया है. उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने जो सत्याग्रह शुरू किया था, उस सत्याग्रह को कुचलने का शासन और प्रशासन ने प्रयास किया, उसका जो आक्रोश था वह सड़कों पर उतरा और उसके बाद जो घटनाएं घटित हुई, उस कारण 13 लोगों की जेल जाना पड़ा.

बॉबी पंवार ने कहा कि उनके कई साथियों पर मुकदमे दर्ज कराए गए, बावजूद इसके उनके साथियों का मनोबल नहीं टूटा है. उन लोगों ने हमारी रिहाई की है और तमाम मांगों को लेकर काफी संघर्ष किया. हमने शहीद स्थल पर बैठे युवाओं के साथ बैठक की. जिसमें न्यायालय के आदेशानुसार हमारी यह सहमति बनी कि इस न्यायालय परिसर में स्थित शहीद स्थल पर चल रहे सत्याग्रह को स्थगित किया जाए, लेकिन आगे भी हमारा आंदोलन जारी रहेगा. हमारी जो मांगे हैं आगे भी वही रहेगी. साथियों के साथ आंदोलन की रूपरेखा दोबारा से तैयार की जाएगी और इस आंदोलन को निर्णायक आंदोलन बनाया जाएगा.

बॉबी ने कहा जब तक सरकार पेपर लीक मामले में सीबीआई जांच नहीं करवाती है, तब तक हम इस आंदोलन को जारी रखेंगे और आंदोलन के जरिए अपनी मांगे रखेंगे. सभी तरह से इस लड़ाई को लड़ेंगे और अंजाम तक पहुंचाने का काम किया जाएगा. भारत के संविधान में यह पहला राज्य है, जहां सरकार निर्णय लेती है कि धरना प्रदर्शन कहां करना है. यह संविधान को कुचलने की बात की जा रही है.

बॉबी ने कहा अब सरकार ने एकता विहार जो कि जंगल में जगह है, वह दी गई है. वह हमें स्वीकार नहीं है. इसके लिए हम कोशिश करेंगे कि शासन और प्रशासन हमें उचित स्थान दें और हमें उम्मीद है कि प्रदेश के तमाम संगठन और तमाम राजनीतिक दल इसका विरोध करेंगे. अगर हमें न्यायालय की शरण लेनी पड़े तो हम वहां पर भी जाएंगे. क्योंकि वहां पर अपनी आवाज को बुलंद नहीं किया जा सकता है. वहां पर सरकार या प्रशासन सुनने वाला नहीं है.

Last Updated : Feb 17, 2023, 8:13 PM IST
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