देहरादून: उत्तराखंड सरकार में जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के बीच अक्सर मतभेद की खबरें आती रही है. अधिकतर मामलों में जनप्रतिनिधि और मंत्री सरकारी अधिकारियों की कार्यशैली और रवैये से नाराज दिखाई दिए हैं. हाल ही में किच्छा विधायक राजेश शुक्ला भी तत्कालीन उधम सिंह नगर जिलाधिकारी नीरज खैरवाल से नाराज हो गए थे. इस मामले पर बुधवार को उनका एक और बयान आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि बीजेपी सरकार ने तय कर दिया है कि जो अफसर सुनेगा नहीं, करेगा नहीं, वह टिकेगा नहीं.
उत्तराखंड में बडे़ पदों पर बैठे अधिकारी मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों कितना तवज्जो दे रहे हैं, इसकी एक बानगी हाल ही सचिवालय में हुई एक बैठक में देखने को मिली थी. जब कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की बैठक में कई अधिकारी नहीं आए थे. जिस पर उन्होंने नाराजगी भी जताई थी. इसके बाद खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे अपने व्यवहार में शालीनता लाए. साथ ही सभी अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों का सम्मान करने का फरमान जारी किया गया था.
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इस बारे में जब बुधवार को विधायक राजेश शुक्ला से बात की गई तो उन्होंने कहा कि ब्यूरोक्रेट्स का जनप्रतिनिधियों पर हावी होना यह किसी पार्टी या सरकार का मामला नहीं है, बल्कि पूरे देश में इस तरह का माहौल बन गया है, जिसमें ब्यूरोक्रेट्स जनप्रतिनिधियों पर हावी है. ब्यूरोक्रेसी में कुछ अधिकारी अंग्रेजों की मानसिकता के हैं, जो जनप्रतिनिधियों को कुछ नहीं समझते हैं. ये प्रथा बहुत गलत है. वे अफसर भले ही अंग्रेजी पढ़कर बने, लेकिन उन में हिंदुस्तानियत जिंदा रहनी चाहिए.
विधायक शुक्ला ने कहा कि जो अफसर संवेदनशील होते हैं, वह बहुत लोकप्रिय होते हैं. लिहाजा, अफसरों को जनप्रतिनिधियों का सम्मान करना चाहिए. जनप्रतिनिधि भी जनता से फीडबैक लेकर आते हैं और वह जनता की समस्याओं को ही उठाते हैं. मौजूदा समय में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और मुख्य सचिव ने सचिवालय के भीतर एक ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की है कि अधिकारी काम करें और जनप्रतिनिधियों का सम्मान भी करें. लिहाजा, बीजेपी ने यह तय कर लिया है जो सुनेगा नहीं, करेगा नहीं, वह टिकेगा नहीं.