देहरादूनः उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए 14 फरवरी को होने वाले मतदान के लिए आज सोमवार को नाम वापसी का आखिरी दिन है. आज शाम 5 बजे तक नाम वापसी का समय है. लेकिन ऐसे में सवाल ये है कि क्या भाजपा अपने बागी प्रत्याशियों को मनाने में कामयाब हो पाएगी.
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए होने वाले मतदान 14 फरवरी को होना है. नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जिसमें कि 700 से ज्यादा लोगों ने प्रदेश की 70 विधानसभाओं में नामांकन किया है. वहीं, बात सत्ताधारी दल भाजपा की करें तो भाजपा के लिए इस नामांकन प्रक्रिया के दौरान वह प्रत्याशी मुश्किल का सबब बन सकते हैं जिन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया और उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पर्चा भरा है.
ऐसे में आज शाम 5 बजे तक नाम वापसी का आखिरी समय है. अगर भाजपा अपने इन नाराज कार्यकर्ताओं को नाम वापसी के लिए मनाने में असफल रहती है तो कहीं ना कहीं आने वाले मतदान और चुनाव परिणाम के लिए भाजपा के लिए यह मुश्किल का सबब बन सकता है.
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आइए आपको बताते हैं किन-किन विधानसभाओं में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने निर्दलीय पर्चा भरा है.
- देहरादून की कैंट विधानसभा सीट से दिनेश रावत.
- देहरादून के डोईवाला विधानसभा सीट से सौरभ थपलियाल, जितेंद्र नेगी, सुभाष भट्ट व राहुल पंवार.
- देहरादून की ऋषिकेश विधानसभा सीट से उषा रावत.
- देहरादून की धर्मपुर विधानसभा सीट से वीर सिंह पंवार.
- उधमसिंह नगर की रुद्रपुर विधानसभा सीट से राजकुमार ठुकराल.
- पौड़ी के कोटद्वार विधानसभा सीट से धीरेंद्र चौहान.
- टिहरी की धनौल्टी विधानसभा सीट से पूर्व विधायक महावीर रांगड़.
- अल्मोड़ा के द्वाराहाट विधानसभा सीट से कैलाश भट्ट.
- नैनीताल के भीमताल विधानसभा सीट से मनोज शाह.
- नैनीताल के कालाढूंगी विधानसभा सीट से गजराज सिंह बिष्ट.
- उत्तरकाशी की यमुनोत्री विधानसभा सीट से मनोज कोली, जगवीर भंडारी.
इन 11 विधानसभाओं में भाजपा के नाराज कार्यकर्ताओं ने अपना पर्चा भरा है. जाहिर है कि यह निर्दलीय लड़ने वाले भाजपा के कार्यकर्ता भाजपा के ही मतदाताओं पर सेंध डालेंगे और भाजपा के सिंबल पर लड़ने वाले प्रत्याशी के लिए नुकसानदेह हो सकता है. ऐसे में फायदा-कांग्रेस या फिर अन्य दलों के सिंबल पर लड़ने वाले प्रत्याशी को होगा. हालांकि भाजपा अभी भी यह दावा कर रही है कि वह इन कार्यकर्ताओं को मना लेगी.
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वहीं, दूसरी तरफ बात करें भाजपा के नाराज कार्यकर्ताओं की तो यह सभी वह कार्यकर्ता हैं जो पिछले लंबे समय से भाजपा के लिए काम कर रहे थे. लेकिन पार्टी द्वारा इनकी अनदेखी होने पर यह बेहद गुस्से में हैं. धनौल्टी विधानसभा से भाजपा के पूर्व विधायक और निर्दलीय प्रत्याशी महावीर रांगड़ का कहना है कि पिछली बार भी इनका टिकट काटा गया था और इस बार भी उनका टिकट काटा गया है. इस तरह से पूरे 10 साल से वह चुनाव नहीं लड़े और अगर अब चुनाव नहीं लड़े, तो यह उनके अस्तित्व पर खतरा होगा.
दूसरी तरफ धर्मपुर से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे भाजपा के कार्यकर्ता वीर सिंह पंवार पर भी लगातार पार्टी दबाव बनाने का काम कर रही है. बताया जा रहा है कि वीर सिंह पंवार रविवार से ही किसी अज्ञात जगह पर हैं और उन्हें लगातार संपर्क करने का प्रयास भाजपा द्वारा किया जा रहा है. लेकिन वह किसी के संपर्क में नहीं आ रहे हैं. कैंट विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे भाजपा के कार्यकर्ता दिनेश रावत का कहना है कि उन्होंने अब तक अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा भाजपा की सेवा में दिया है. लेकिन बदले में उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया.