देहरादून, धीरज सजवाण : उत्तराखंड में हुए 38वें राष्ट्रीय खेलों में पूरे विश्व की तकनीक और सामग्री का उपयोग किया गया. इसके लिए कुल 35 खेलों में से 14 खेलों के लिए खेल सामग्री विदेशों से मंगवाई गई. खिलाड़ियों ने स्वीडन के भालों और नीरदलैंड के धुनषों से अपना दम दिखाया. अन्य खेलों में उपयोग हुए उपकरण भी अलग-अलग देशों से उत्तराखंड पहुंचे. यहीं नहीं निर्माण कार्यों में भी विदेशी तकनीक का भरपूर प्रयोग हुआ है.
नेशनल गेम्स में वर्ल्ड क्लास इक्विपमेंट्स का उपयोग: खेल विभाग के अनुसार, राष्ट्रीय खेलों में उच्च गुणवत्ता वाली खेल सामग्री का उपयोग किया गया है. जिमनास्टिक की सामग्री फ्रांस और वेटलिफ्टिंग की सामग्री स्वीडन से मंगवाई गई थी, जबकि लॉन बॉल इंग्लैंड, ऑस्टेलिया से उत्तराखंड पहुंची है. वॉलीबॉल जर्मनी से आई है. वहीं, आर्चरी को नीदरलैंड से मंंगवाया गया है. इसके अलावा साइकिल को स्वीटजरलैंड, फ्रांस और जापान से मंगवाया गया है. रोइंग, क्याकिंग और कैनोइंग के लिए वोट और अन्य सामग्री पुर्तगाल, टर्की, यूएसए, हंगरी आदि से लाई गई है.
विदेशी इंजीनियरों ने तैयार किया सिथैटिक ट्रैक: राष्ट्रीय खेलों से पहले देहरादून के महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में बना एथलेटिक्स सिथैटिक ट्रैक ग्रीस के इंजीनियरों की देखरेख में बनाया गया है. वहीं, ट्रैक पर बिछाया गया दाना भी ग्रीस से लगाया गया था. इसी प्रकार शूटिंग रेंज के निर्माण कार्य में भी विदेशी तकनीक का उपयोग किया गया है.
राष्ट्रीय खेलों के लिए खेल विभाग ने किए ये निर्माण कार्य: देहरादून में राष्ट्रीय खेलों के लिए महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में नई शूटिंग रेंज का निर्माण हुआ है. एथलेटिक्स स्टेडियम का नए सिरे से निर्माण किया गया. लॉन बॉल ग्राउंड के निर्माण के साथ-साथ मल्टीपरपज हॉल को रेनोवेट किया गया. वहीं, परेड ग्राउंड में लॉन टेनिस कोर्ट और बैडमिंटन कोर्ट आदि को तैयार किया गया. नैनीताल में स्पोर्ट्स कॉम्पलैक्स, ऊधमसिंहनगर में बहुद्देश्यीय भवन, स्पोर्ट्स स्टेडियम रोशनाबाद का रेनोवेशन के साथ-साथ हल्द्वानी फुटबॉल ग्राउंड, मिनी स्टेडियम को भी उच्चस्तरीय बनाया गया है. रोशनाबाद में स्वीमिंग पूल का निर्माण हुआ है.
खेल विभाग पर अब रखरखाव की बड़ी चुनौती: राष्ट्रीय खेलों ने उत्तराखंड को खेलों के क्षेत्र में सुविधा संपन्न बना दिया है, लेकिन अब तैयार अवस्थापना सुविधाओं के रखरखाव की चुनौती रहेगी. देश-विदेश से पहुंची खेल सामग्री को भी सुरक्षित रखना होगा. देहरादून में महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में आइइस स्केटिंग रिंक, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम रायपुर देहरादून इसके उदाहरण रहे हैं. रखरखाव नहीं होने के चलते एक समय दोनों ही बदहाली की कगार पर थे. ऐसे में अभी सभी सुविधाओं को संजोए रखना चुनौती होगा.
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