देहरादून: आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा चुनाव जीतने के लिए हर वह हथकंडा अपना रही है जिससे वो दोबारा सत्ता पर काबिज हो सके. इसी क्रम में भाजपा अब जवान और किसान की बात कर रही है. पिछले कुछ महीने में भाजपा के भीतर जो समीकरण बदले हैं, उन समीकरणों को देखकर यही लगता है की भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बेहद सोची-समझी रणनीति से काम कर रही है. जिसके चलते जवान और किसान को साधने के लिए भाजपा अपनी चाल चल चुकी है. अब इससे भाजपा को उसका कितना फायदा मिलेगा आइये जानते हैं.
चुनाव के दृष्टिगत प्रदेश की राजनीतिक पार्टियां हर वर्ग के लोगों को साधने में जुटी हुई हैं, ताकि आगामी चुनाव में यह दल सत्ता पर काबिज हो सकें. इसी क्रम में प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा, जवानों और किसानों को साधने में जुटी हुई है. भाजपा, जवानों और किसानों को साधने के लिए अपनी चाल चल चुकी है. जिसके तहत भाजपा ने न सिर्फ मुख्य सचिव को बदलकर एक संदेश दिया है बल्कि, सेना के पूर्व अधिकारी को राज्यपाल बनाया है. इसके अतिरिक्त किसानों को साधने के लिए भाजपा ने प्रभारी भी नियुक्त किए हैं.
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जवान और किसान का मुद्दा काफी महत्वपूर्ण: वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत बताते हैं कि उत्तराखंड में जवान और किसान का मुद्दा काफी महत्वपूर्ण है. मैदानी क्षेत्र में काफी संख्या में किसान वोटर हैं. भाजपा को किसान आंदोलन की वजह से भी काफी नुकसान हुआ है. इस आंदोलन का सबसे अधिक असर ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले के यूपी की सीमा से जुड़े इलाकों में हो सकता है. इस चुनौती से निपटने के लिए भाजपा अब जवानों और किसानों पर फोकस कर रही है. इन्हीं दोनों मुद्दों को ध्यान में रखकर पार्टी लगातार फैसले भी ले रही है.
वहीं, जवानों को साधने के लिए प्रदेश में सेनानिवृत लेफ्टिनेंट जनरल को राज्यपाल बनाया गया है, हालांकि, राज्यपाल का राजनीति में हस्तक्षेप नहीं होता है. उत्तराखंड में करीब सवा लाख पूर्व सैनिक और सैनिकों की विधवाएं हैं. इसके साथ ही करीब एक लाख से ज्यादा सैनिक अभी सेवाओं में हैं. यहां करीब 3 से 4 लाख परिवार सेना से जुड़े हुए हैं. जिसको देखते हुए भाजपा जवान और किसान को साधने की कोशिश में लगी है.
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भाजपा के जवान मुद्दे के समीकरण को बिगाड़ सकती है यूकेडी: जय सिंह रावत ने बताया वर्तमान समय में उत्तराखंड क्रांति दल, सेना से जुड़े मुद्दों को उठा रही है. यूकेडी भी इस मुद्दे को उठाने में जुटी है. यही नहीं, प्रदेश में जनरल भी चुनाव हारते रहे हैं. इसके अलावा आम आदमी पार्टी के कर्नल कोठियाल भी भाजपा के लिए चुनौती हैं. जिसके कारण भाजपा के लिए प्रदेश में जवान का समीकरण साधना जरूरी है.
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भाजपा ने किसानों और जवानों के लिए कुछ नहीं किया: कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री मथुरा दत्त जोशी ने आरोप लगाया कि भाजपा ने न तो जवानों का भला किया, न ही किसान का भला किया है. अभी तक भाजपा ने किसी भी जवान के बच्चों की शिक्षा-दीक्षा के लिए जिला स्तर पर हॉस्टल तक नहीं बनाया. यही नहीं, भाजपा के कार्यकाल को 5 साल का वक्त होने वाला है लेकिन अभी तक सिर्फ कागजों में ही सैन्य धाम नजर आ रहा है. यही नहीं, किसी भी सैनिक परिवार के किसी सदस्य को सरकारी नौकरी नहीं दी गई है. इसी तरह किसानों के कर्ज माफी की बात कही गई थी, लेकिन किसानों के कर्ज माफी को लेकर भाजपा सरकार ने कुछ नहीं किया. इसके उलट कर्ज से परेशान होकर 13 किसानों ने आत्महत्या की है.
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भाजपा में दिया जाता है जवानों और किसानों को सम्मान: वहीं, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शादाब शम्स कहते हैं कि भारत का जवान और पहाड़ का किसान भाजपा का नारा है. यही नहीं, जवान और किसान का बेटा प्रदेश का मुख्यमंत्री है. जिससे साफ जाहिर है कि भाजपा जय जवान और जय किसान वाली पार्टी है. इस पार्टी में जो सम्मान जवान और किसान को दिया जाता है, वह सम्मान किसी अन्य पार्टी में नहीं दिया जाता है. साथ ही उन्होंने कहा सैन्य धाम ऐसे ही नहीं बनाया जा रहा है, बल्कि इससे पार्टी की राष्ट्रवादी विचार परिलक्षित होती है.
भाजपा के फैसले: युवा पुष्कर सिंह धामी को सत्ता की कमान सौंपी. धामी के पिता एक सैनिक रहे हैं. वे एक किसान परिवार से आते हैं. जिसे ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने उन्हें आगे किया है. अजय भट्ट को रक्षा राज्य मंत्री बनाकर सैन्य बहुल राज्य के सैनिकों और पूर्व सैनिकों को रिझाने की कोशिश भी की गई. इससे नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा सीट के सांसद को केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व देकर तराई को महत्व दिया गया. पार्टी ने ब्राह्मण नेता प्रह्लाद जोशी को उत्तराखंड विधानसभा चुनाव का प्रभारी बनाया है. उत्तराखंड के नए राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह को बनाया गया है. चुनावी साल में एक सिख और सेना में अफसर रहे चेहरे को राज्यपाल बनाया जाना भी रणनीतिक माना जा रहा है.