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दूसरे राजनीतिक दलों से आने वाले नेताओं पर भाजपा की पैनी नजर, रीति-नीति सिखाने के लिए लगाई जाएगी क्लास

2022 का चुनाव जीतकर उत्तराखंड में इतिहास रचने वाली बीजेपी की प्रचंड जीत से कई बड़े नेता आकर्षित हुए हैं. कई लोगों ने अपनी पहली पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थामा है. पिछले कुछ समय में बीजेपी में बाहर से आए काफी लोग शामिल हो गए हैं जो पार्टी की रीति-नीति से वाकिफ नहीं हैं. ऐसे लोगों और नेताओं के लिए भाजपा ने नया एक्शन प्लॉन बनाया है.

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Published : Apr 11, 2023, 1:00 PM IST

Updated : Apr 11, 2023, 8:14 PM IST

दूसरे राजनीतिक दलों से आने वाले नेताओं पर भाजपा की पैनी नजर

देहरादून: उत्तराखंड में भाजपा धीरे-धीरे सबसे बड़े राजनीतिक संगठन बनने की तरफ बढ़ रहा है. ऐसे में कोर भाजपाइयों के साथ-साथ भाजपा में दूसरे दलों के लोग भी शामिल हो रहे हैं, जिन्हें पार्टी की रीति-नीति और तौर-तरीकों के बारे में जानकारी नहीं है. इन लोगों को ट्रेन करने के लिए भाजपा ने प्लान बनाया है.

देशभर की तरह उत्तराखंड में भी भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपनी कमर कस ली है. उत्तराखंड में विधानसभा के लगातार दो चुनाव जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने अपने कुनबे में ऐतिहासिक बढ़ोतरी की है. अलग-अलग राजनीतिक दलों से बड़े-बड़े नेताओं ने भाजपा का दामन थामा है.

चुनाव का दौर हो या फिर चुनाव दूर हों, हर समय नेताओं का दूसरी पार्टियों से टूटकर भाजपा में शामिल होने का दौर लगा रहता है. अब तो भारतीय जनता पार्टी ने अपने संगठन के विस्तार के लिए और नए लोगों को पार्टी में शामिल करने के लिए अलग से सेल की स्थापना कर दी है.
पढ़ें- ऋषिकेश में उत्तराखंड BJP महिला मोर्चा कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक, सीएम धामी ने की शिरकत

संख्या के साथ बढ़ी परेशानी: जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी में दूसरे दलों से आने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है, तो वहीं कहीं ना कहीं पार्टी के सामने अंदरखाने एक दूसरी समस्या भी खड़ी हो रही है. ये समस्या है दो तरह के कार्यकर्ताओं और नेताओं को लेकर है. इनमें पहले वो हैं जो भाजपा के कोर मेंबर हैं. ये लोग भाजपा की रीति-नीति को अच्छे से समझते हैं. इनमें से ज्यादातर लोग छात्र राजनीति से भाजपा से जुड़ते हैं और कुछ लोग आरएसएस जैसे संगठन से बीजेपी की मुख्यधारा में आते हैं. इन लोगों में पार्टी की रीति-नीति कूट-कूट कर भरी रहती है. वहीं, दूसरे वो लोग हैं जो अचानक से पार्टी में दूसरे दलों से आ जाते हैं. इन लोगों के पास पार्टी को समझने का इतना अनुभव नहीं होता. ऐसे में भाजपा इन दो तरह के नेताओं के बीच बंटती नजर आ रही है.

बड़े नेता हुए भगवामय: उत्तराखंड में भाजपा के संगठन विस्तार की अगर बात करें तो भाजपा ने कांग्रेस के ऐसे कई बड़े नेताओं को अपनी ओर मोड़ा है जो कभी कांग्रेस के वफादार साथी माने जाते थे. यही नहीं, भाजपा ने ऐसे बड़े नेताओं को भी पार्टी का पट्टा पहनाया जो अबतक एक न्यूट्रल भूमिका में राजनीति कर रहे थे. उत्तराखंड भाजपा ने 2022 विधानसभा चुनाव से पहले टिहरी विधानसभा से बड़े नेता किशोर उपाध्याय, नैनीताल से सरिता आर्य को कांग्रेस से तोड़कर भाजपा अपने पाले में लाने में सफल रही. इनके अलावा निर्दलीय विधायकों की अगर बात करें तो राम सिंह खेड़ा, प्रीतम पंवार सहित कई ऐसे मजबूत राजनीतिज्ञों को भाजपा अपने साथ शामिल कराने में कामयाब रही जो बाहर रहकर पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन सकते थे.

साल 2016 में कांग्रेस के 9 बागी विधायकों से हुई दल-बदल की शुरुआत को भाजपा इस अंजाम तक लेकर गई है कि आज उत्तराखंड में भाजपा एकमात्र सबसे बड़ी पार्टी हो चुकी है और लगातार बाकी दलों से लोग टूट-टूटकर भाजपा में शामिल हो रहे हैं. जिला पंचायत, छात्र राजनेता और महिला नेत्रियों सहित हर वर्ग के लोगों के लिए राजनीति में भाजपा पहली पसंद बनती जा रही है.
पढ़ें- घटते कुनबे और गुटबाजी से कांग्रेस बेखर! सदस्‍यता के नाम पर लिया जा रहा मोटा शुल्क

नए लोगों की ट्रेनिंग: हालांकि, पार्टी नेताओं का कहना है कि पार्टी लगातार दूसरे दलों से आने वाले लोगों का प्रशिक्षण करवा रही है. उन्हें पार्टी की कार्यप्रणाली की जानकारी दे रही है. भारतीय जनता पार्टी ने अपने इस तरह के कार्यक्रमों को लगातार जारी रखा है. इस मामले पर लैंसडाउन विधायक दलीप रावत का कहना है कि पार्टी में दूसरे दलों से ज्वाइन करने वाले लोगों को पहले पार्टी की रीति-नीति को समझना चाहिए, ये समझना चाहिए कि पार्टी किस तरह से काम करती है, पार्टी की वैल्यू क्या है और अनुशासन किस तरह से पार्टी में सर्वप्रिय है, उसके बाद ही पार्टी की मुख्यधारा में शामिल होना चाहिए.

वहीं, इस पूरे मामले पर बीजेपी प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट का कहना है कि पार्टी लगातार अपने ऐसे नए साथियों का ध्यान रखती है. जब व्यक्ति बीजेपी की विचारधारा को आत्मसात करता है तभी वो पार्टी में शामिल होता है. उन्होंने कहा कि पार्टी में जुड़ने वाले नए सदस्यों के लिए पार्टी की ओर से लगातार प्रशिक्षण और कार्यशालाएं चलाई जाती हैं, जिससे वो पार्टी के तौर-तरीकों के बारे में जान सके और उसी मुताबिक काम कर सके.

दूसरे राजनीतिक दलों से आने वाले नेताओं पर भाजपा की पैनी नजर

देहरादून: उत्तराखंड में भाजपा धीरे-धीरे सबसे बड़े राजनीतिक संगठन बनने की तरफ बढ़ रहा है. ऐसे में कोर भाजपाइयों के साथ-साथ भाजपा में दूसरे दलों के लोग भी शामिल हो रहे हैं, जिन्हें पार्टी की रीति-नीति और तौर-तरीकों के बारे में जानकारी नहीं है. इन लोगों को ट्रेन करने के लिए भाजपा ने प्लान बनाया है.

देशभर की तरह उत्तराखंड में भी भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपनी कमर कस ली है. उत्तराखंड में विधानसभा के लगातार दो चुनाव जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने अपने कुनबे में ऐतिहासिक बढ़ोतरी की है. अलग-अलग राजनीतिक दलों से बड़े-बड़े नेताओं ने भाजपा का दामन थामा है.

चुनाव का दौर हो या फिर चुनाव दूर हों, हर समय नेताओं का दूसरी पार्टियों से टूटकर भाजपा में शामिल होने का दौर लगा रहता है. अब तो भारतीय जनता पार्टी ने अपने संगठन के विस्तार के लिए और नए लोगों को पार्टी में शामिल करने के लिए अलग से सेल की स्थापना कर दी है.
पढ़ें- ऋषिकेश में उत्तराखंड BJP महिला मोर्चा कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक, सीएम धामी ने की शिरकत

संख्या के साथ बढ़ी परेशानी: जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी में दूसरे दलों से आने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है, तो वहीं कहीं ना कहीं पार्टी के सामने अंदरखाने एक दूसरी समस्या भी खड़ी हो रही है. ये समस्या है दो तरह के कार्यकर्ताओं और नेताओं को लेकर है. इनमें पहले वो हैं जो भाजपा के कोर मेंबर हैं. ये लोग भाजपा की रीति-नीति को अच्छे से समझते हैं. इनमें से ज्यादातर लोग छात्र राजनीति से भाजपा से जुड़ते हैं और कुछ लोग आरएसएस जैसे संगठन से बीजेपी की मुख्यधारा में आते हैं. इन लोगों में पार्टी की रीति-नीति कूट-कूट कर भरी रहती है. वहीं, दूसरे वो लोग हैं जो अचानक से पार्टी में दूसरे दलों से आ जाते हैं. इन लोगों के पास पार्टी को समझने का इतना अनुभव नहीं होता. ऐसे में भाजपा इन दो तरह के नेताओं के बीच बंटती नजर आ रही है.

बड़े नेता हुए भगवामय: उत्तराखंड में भाजपा के संगठन विस्तार की अगर बात करें तो भाजपा ने कांग्रेस के ऐसे कई बड़े नेताओं को अपनी ओर मोड़ा है जो कभी कांग्रेस के वफादार साथी माने जाते थे. यही नहीं, भाजपा ने ऐसे बड़े नेताओं को भी पार्टी का पट्टा पहनाया जो अबतक एक न्यूट्रल भूमिका में राजनीति कर रहे थे. उत्तराखंड भाजपा ने 2022 विधानसभा चुनाव से पहले टिहरी विधानसभा से बड़े नेता किशोर उपाध्याय, नैनीताल से सरिता आर्य को कांग्रेस से तोड़कर भाजपा अपने पाले में लाने में सफल रही. इनके अलावा निर्दलीय विधायकों की अगर बात करें तो राम सिंह खेड़ा, प्रीतम पंवार सहित कई ऐसे मजबूत राजनीतिज्ञों को भाजपा अपने साथ शामिल कराने में कामयाब रही जो बाहर रहकर पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन सकते थे.

साल 2016 में कांग्रेस के 9 बागी विधायकों से हुई दल-बदल की शुरुआत को भाजपा इस अंजाम तक लेकर गई है कि आज उत्तराखंड में भाजपा एकमात्र सबसे बड़ी पार्टी हो चुकी है और लगातार बाकी दलों से लोग टूट-टूटकर भाजपा में शामिल हो रहे हैं. जिला पंचायत, छात्र राजनेता और महिला नेत्रियों सहित हर वर्ग के लोगों के लिए राजनीति में भाजपा पहली पसंद बनती जा रही है.
पढ़ें- घटते कुनबे और गुटबाजी से कांग्रेस बेखर! सदस्‍यता के नाम पर लिया जा रहा मोटा शुल्क

नए लोगों की ट्रेनिंग: हालांकि, पार्टी नेताओं का कहना है कि पार्टी लगातार दूसरे दलों से आने वाले लोगों का प्रशिक्षण करवा रही है. उन्हें पार्टी की कार्यप्रणाली की जानकारी दे रही है. भारतीय जनता पार्टी ने अपने इस तरह के कार्यक्रमों को लगातार जारी रखा है. इस मामले पर लैंसडाउन विधायक दलीप रावत का कहना है कि पार्टी में दूसरे दलों से ज्वाइन करने वाले लोगों को पहले पार्टी की रीति-नीति को समझना चाहिए, ये समझना चाहिए कि पार्टी किस तरह से काम करती है, पार्टी की वैल्यू क्या है और अनुशासन किस तरह से पार्टी में सर्वप्रिय है, उसके बाद ही पार्टी की मुख्यधारा में शामिल होना चाहिए.

वहीं, इस पूरे मामले पर बीजेपी प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट का कहना है कि पार्टी लगातार अपने ऐसे नए साथियों का ध्यान रखती है. जब व्यक्ति बीजेपी की विचारधारा को आत्मसात करता है तभी वो पार्टी में शामिल होता है. उन्होंने कहा कि पार्टी में जुड़ने वाले नए सदस्यों के लिए पार्टी की ओर से लगातार प्रशिक्षण और कार्यशालाएं चलाई जाती हैं, जिससे वो पार्टी के तौर-तरीकों के बारे में जान सके और उसी मुताबिक काम कर सके.

Last Updated : Apr 11, 2023, 8:14 PM IST
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