देहरादूनः उत्तराखंड में बीजेपी ने भले ही 59 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए हैं, लेकिन 11 सीटें ऐसी हैं, जहां लंबे समय की मशक्कत के बाद भी अंतिम निर्णय पर पार्टी नहीं पहुंच पा रही है. हैरत की बात ये है कि इनमें अधिकतर सीटों पर बीजेपी विधायक काबिज हैं, लेकिन बदले समीकरणों के कारण पार्टी को अब नए चेहरों के लिए कुछ ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है.
उत्तराखंड बीजेपी के लिए जिन 11 सीटों पर अब तक सहमति नहीं बन पाई है, उनमें 5 विधानसभा सीटों पर बीजेपी के विधायक 2017 में जीत कर आए हैं, यानी इन 5 सीटों पर बीजेपी के विधायकों का टिकट कटने की संभावना बरकरार है. बाकी 4 सीटें ऐसी हैं, जहां पर कांग्रेस के विधायक मौजूद हैं. एक सीट कोटद्वार है, जहां हरक सिंह रावत पार्टी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं. जबकि, एक सीट ऐसी है, जो इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद खाली है.
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इन 11 सीटों पर पार्टी के लिए फिलहाल प्रत्याशी तय करना इसलिए भी मुश्किल हो रहा है कि कुछ सीटों पर तो बीजेपी के विधायकों की परफॉर्मेंस बहुत अच्छी न होने के कारण पार्टी को नए नामों पर विचार करना पड़ रहा है. बाकी विधानसभा सीटों पर मजबूत प्रत्याशी न मिलने के कारण और कुछ पर कई दावेदारों के होने के कारण पार्टी एक अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंच पा रही है.
यदि इन 11 विधानसभा सीटों पर एक-एक कर चिंतन करें तो यह साफ जाहिर होता है कि इन सभी सीटों पर बीजेपी के लिए चुनाव में सीट निकालना काफी मुश्किल दिखाई दे रहा है. इन्हीं संभावनाओं के बीच पार्टी मंथन में जुटी हुई है. जिन सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई, उन सीटों में रुद्रप्रयाग जिले से 1 सीट केदारनाथ विधानसभा सीट, टिहरी जिले से भी एक विधानसभा टिहरी सीट जहां से बीजेपी के धन सिंह नेगी विधायक हैं, लेकिन उनके टिकट कटने की संभावना बनी हुई है.
देहरादून जिले से डोईवाला विधानसभा सीट जहां पर त्रिवेंद्र सिंह रावत विधायक हैं. उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. पौड़ी जिले से कोटद्वार विधानसभा सीट जहां से हरक सिंह रावत विधायक हैं और वो पार्टी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं. हरिद्वार जिले से 2 विधानसभा हैं, जहां से पार्टी ने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं. इसमें एक पिरान कलियर विधानसभा सीट है, जहां पर कांग्रेस के विधायक है तो दूसरी झबरेड़ा विधानसभा सीट है.
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झबरेड़ा से बीजेपी के देशराज कर्णवाल विधायक हैं, लेकिन वो अपनी पत्नी के लिए टिकट मांग रहे हैं, जबकि पार्टी उनके 2017 से 22 के बीच के परफॉर्मेंस को देखते हुए नए चेहरे पर भी विचार कर रही है. अल्मोड़ा जिले से भी 2 विधानसभाओं पर पार्टी के प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं. इसमें पहली रानीखेत विधानसभा सीट जहां कांग्रेस के करण माहरा विधायक हैं और दूसरी जागेश्वर विधानसभा सीट है जहां पर कांग्रेस के ही गोविंद सिंह कुंजवाल विधायक हैं. यह दोनों सीटें कांग्रेस के पास है, लिहाजा किसी मजबूत चेहरे को पार्टी ढूंढ रही है.
नैनीताल जिले में हल्द्वानी विधानसभा सीट पर प्रत्याशी घोषित नहीं हुआ है, जहां पर 2017 में कांग्रेस की इंदिरा हृदयेश ने चुनाव जीता था, लेकिन उनके निधन के बाद से ही यह सीट खाली है. जबकि, लालकुआं विधानसभा सीट से बीजेपी नवीन दुम्का ने चुनाव जीता था, लेकिन इस बार परफॉर्मेंस और बाकी मजबूत दावेदारों को देखते हुए इन दोनों सीटों पर भाजपा ने टिकट तय नहीं किया है. उधम सिंह नगर जिले की रुद्रपुर विधानसभा सीट पर भी पार्टी ने प्रत्याशी घोषित नहीं किया है. 2017 में बीजेपी के राजकुमार ठुकराल सीट से विधायक बने थे.
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क्या बोली बीजेपीः बीजेपी के नेता इस मामले पर कहते हैं कि पार्टी ने मंथन जारी रखा है और इन सीटों पर जल्द ही प्रत्याशी के नामों की घोषणा कर दी जाएगी. कांग्रेस की ओर से पार्टी के भीतर उन सीटों पर बगावत के आरोपों का जवाब देते हुए बीजेपी नेता कहते हैं कि कांग्रेस खुद अब तक एक भी टिकट फाइनल नहीं कर पाई है. ऐसे में उन्हें बीजेपी पर आरोप लगाने का कोई अधिकार नहीं.
सीटों पर नाम तय नहीं करने पर कांग्रेस हमलावरः बीजेपी ने 11 सीटों पर फिलहाल सस्पेंस बरकरार रखा है तो कांग्रेस भी इन सीटों पर नाम तय न कर पाने को लेकर बीजेपी पर हमलावर दिख रही है. कांग्रेस प्रदेश महामंत्री संगठन मथुरा दत्त जोशी कहते हैं कि बीजेपी के अंदरखाने जबरदस्त डर है. इसी डर के कारण पार्टी इन 11 सीटों पर अब तक नाम तय नहीं कर पाई है.
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