देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने में अभी भले ही डेढ़ साल का वक्त हो, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस अभी से चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं. एक तरफ बीजेपी वर्चुअल रैली के जरिए अपनी तैयारियों में जुट गई है. वहीं, कांग्रेस भी अपनी तैयारियों में जुट गई है. उत्तराखंड के इतिहास में अभी तक कांग्रेस और बीजेपी बारी-बारी से सत्ता पर काबिज रही हैं. फिलहाल, प्रदेश की सत्ता बीजेपी के हाथ में है. लिहाजा कांग्रेस 2022 की जीत अपनी झोली में मान रहा है. साल 2017 में 57 सीट के साथ सत्ता पर काबिज हुई बीजेपी आगामी विधानसभा चुनाव में 57 से अधिक सीट लाने का दावा कर रही है.
'मिशन-2022' को देखते हुए बीजेपी और कांग्रेस अपने-अपने संगठन को मजबूत करने में जुट गई हैं. कांग्रेस सत्ता पर काबिज होने के टर्म को लेकर काफी आश्वस्त नजर आ रही है. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, 2022 चुनाव को लेकर कांग्रेस इसीलिए आश्वस्त है, क्योंकि प्रदेश में टू पार्टी सिस्टम के आधार पर सत्ता बदलती रहती है. एक बार सत्ता पर बीजेपी काबिज होती है तो दूसरी बार कांग्रेस. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक मौजूदा सरकार के कामकाज की उपलब्धियों को देखते हुए शायद बीजेपी दोबारा फिर से सत्ता में आ सकती है. लेकिन कांग्रेस नेतृत्व इस बात से भी खुश हैं कि जिसके भी नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा, वो मुख्यमंत्री बनेगा.
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उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष प्रीतम सिंह के मुताबिक, लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है. जनता जो फैसला लेती है, उसको सभी राजनीतिक दल स्वीकार करते हैं. प्रीतम सिंह के मुताबिक, साल 2000 में राज्य गठने के बाद कांग्रेस की सरकार बनी थी. उस दौरान कांग्रेस ने प्रदेश के विकास को लेकर कई कदम उठाए थे. बावजूद इसके 2007 में कांग्रेस चुनाव हार गई और फिर 2012 में दोबारा सत्ता में आई. प्रीतम सिंह ने कहा कि हार और जीत एक सिक्के के दो पहलू हैं और राजनीतिक दल हमेशा चुनाव के लिए तैयार रहते हैं.
वहीं, बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने कहा कि साल 2022 में कांग्रेस का सत्ता पर काबिज होने का दावा मात्र मुंगेरीलाल के हसीन सपने जैसा है. 2022 चुनाव में कांग्रेस दहाई का अंक भी पार नहीं कर पाएगी. भसीन के मुताबिक, मौजूदा समय में अभी कांग्रेस पार्टी के 11 विधायक हैं और साल 2022 के विधानसभा चुनाव में यह संख्या 10 से भी कम हो जाएगी. इसके साथ ही कांग्रेस के भीतर गृह युद्ध पर बोलते हुए भसीन ने कहा कि अब कांग्रेस के नेता अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं.