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जोशीमठ आपदा: प्रदेश की ये हैं बड़ी आपदाएं, जिसने जनमानस को हिलाकर रख दिया

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Published : Feb 8, 2021, 10:55 AM IST

Updated : Feb 15, 2021, 4:54 PM IST

जोशीमठ जल प्रलय में अभी भी 200 से अधिक लोग लापता हैं. उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा कोई नई बात नहीं है. जानिए कब-कब दैवीय आपदा से सामना हुआ.

natural disaster
natural disaster

देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड कई बार आपदा का दंश झेल चुका है. बीते दिन चमोली जिले के जोशीमठ में आए भीषण जल प्रलय ने सब को हिला कर रख दिया है. जिसने भी इस जल प्रलय का मंजर देखा उनके सामने 2013 की आपदा की तस्वीर उभरकर सामने आ गई. आपदा की जो तस्वीरे सामने आई हैं, उससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह प्राकृतिक आपदा विनाश की पटकथा लिखती है.

गौर हो कि उत्तराखंड इससे पहले भी कुदरत के कहर को देख चुकी है. साल 1991 उत्तरकाशी भूकंप से भारी तबाही मची थी. तब प्रदेश अविभाजित उत्तर प्रदेश में था. उत्तरकाशी जनपद में 1991 में 6.8 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था. तबाही के ये घाव आज भी क्षेत्र में साफ देखे जा सकते हैं. चमोली जिले के जोशीमठ में आई जल प्रलय को लेकर राहत बचाव कार्य जारी हैं.

प्रदेश में आई बड़ी आपदाएं

उत्तराखंड में आपदा के आंकड़े.
उत्तराखंड में आपदा के आंकड़े.

पिथौरागढ़ मालपा हादसा

साल 1998 में सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के धारचूला तहसील के मालपा हादसे में कैलाश मानसरोवर यात्रियों की मौत हो गई थी. इस हादसे में 55 कैलाश मानसरोवर श्रद्धालुओं समेत करीब 255 लोगों की मौत हो गई थी. ये हादसा पहाड़ी से मलबा गिरने से हुआ था, जिसकी चपेट में गांव भी आ गया था.

पढ़ेंः जोशीमठ जल प्रलयः 153 लोगों में से 14 शव बरामद, तपोवन टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन

चमोली में भूकंप से आई त्रासदी

वहीं सीमांत जनपद चमोली भी साल 1999 में भूंकप की त्रासदी झेल चुका है.चमोली जिले में आए 6.8 तीव्रता के भूकंप ने 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. भूकंप के निशान आज भी साफ देखे जा सकते हैं. भूकंप की वजह से जमीन में जगह-जगह दरारें आ गई थी.

2013 केदारनाथ आपदा

साल 2013 में केदारनाथ आपदा ने पूरे देश के जन मानस को हिला कर रख दिया था. इस जल प्रलय में कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा. केदारनाथ आपदा में ताश के पत्तों की तरह भवन ढह गए और गाड़ियां पानी में बहती दिखाई दी थी. राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार 5,700 से अधिक लोग इस आपदा में जान गंवा बैठे थे.

देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड कई बार आपदा का दंश झेल चुका है. बीते दिन चमोली जिले के जोशीमठ में आए भीषण जल प्रलय ने सब को हिला कर रख दिया है. जिसने भी इस जल प्रलय का मंजर देखा उनके सामने 2013 की आपदा की तस्वीर उभरकर सामने आ गई. आपदा की जो तस्वीरे सामने आई हैं, उससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह प्राकृतिक आपदा विनाश की पटकथा लिखती है.

गौर हो कि उत्तराखंड इससे पहले भी कुदरत के कहर को देख चुकी है. साल 1991 उत्तरकाशी भूकंप से भारी तबाही मची थी. तब प्रदेश अविभाजित उत्तर प्रदेश में था. उत्तरकाशी जनपद में 1991 में 6.8 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था. तबाही के ये घाव आज भी क्षेत्र में साफ देखे जा सकते हैं. चमोली जिले के जोशीमठ में आई जल प्रलय को लेकर राहत बचाव कार्य जारी हैं.

प्रदेश में आई बड़ी आपदाएं

उत्तराखंड में आपदा के आंकड़े.
उत्तराखंड में आपदा के आंकड़े.

पिथौरागढ़ मालपा हादसा

साल 1998 में सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के धारचूला तहसील के मालपा हादसे में कैलाश मानसरोवर यात्रियों की मौत हो गई थी. इस हादसे में 55 कैलाश मानसरोवर श्रद्धालुओं समेत करीब 255 लोगों की मौत हो गई थी. ये हादसा पहाड़ी से मलबा गिरने से हुआ था, जिसकी चपेट में गांव भी आ गया था.

पढ़ेंः जोशीमठ जल प्रलयः 153 लोगों में से 14 शव बरामद, तपोवन टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन

चमोली में भूकंप से आई त्रासदी

वहीं सीमांत जनपद चमोली भी साल 1999 में भूंकप की त्रासदी झेल चुका है.चमोली जिले में आए 6.8 तीव्रता के भूकंप ने 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. भूकंप के निशान आज भी साफ देखे जा सकते हैं. भूकंप की वजह से जमीन में जगह-जगह दरारें आ गई थी.

2013 केदारनाथ आपदा

साल 2013 में केदारनाथ आपदा ने पूरे देश के जन मानस को हिला कर रख दिया था. इस जल प्रलय में कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा. केदारनाथ आपदा में ताश के पत्तों की तरह भवन ढह गए और गाड़ियां पानी में बहती दिखाई दी थी. राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार 5,700 से अधिक लोग इस आपदा में जान गंवा बैठे थे.

Last Updated : Feb 15, 2021, 4:54 PM IST
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