टिहरी: जिले के कंगसाली-मदननेगी मार्ग पर हुए स्कूली वाहन के हादसे को 10 दिन पूरे हो गए हैं, लेकिन इन दस दिनों में जिम्मेदार स्कूल प्रबंधन से स्थानीय बीजेपी विधायक का कनेक्शन सामने नहीं आ सका और न ही हादसे में 10 बच्चों की मौत के लिए ऊंची कुर्सी पर बैठे जिम्मेदारों की भूमिका को अबतक तय किया गया. हादसे के बाद सस्पेंड उपखंड शिक्षा अधिकारी ने ETV भारत पर बड़ा खुलासा किया है.
कंगसाली में 10 दिन पहले 10 बच्चों की जान लेने वाला हादसा हुआ तो फौरन एआरटीओ पिपालडाली, पुलिस प्रभारी और उपखंड शिक्षा अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया, लेकिन क्या 10 बच्चों की मौत पर ये काफी था, बिल्कुल नहीं, बल्कि ऐसा करके उन बड़े नेताओं और अधिकारियों को बचा लिया गया जो इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार थे.
टिहरी में हादसे के बाद सस्पेंड उपखंड शिक्षा अधिकारी धनबीर सिंह पहली बार कैमरे के सामने आए. ईटीवी भारत संवाददाता से बात करते हुए धनवीर सिंह ने वह सारी बातें एक-एक कर सामने रखीं. जिसे अभी तक नहीं बताया गया था.
सस्पेंड अधिकारी धनवीर सिंह ने बताया कि 10 स्कूली बच्चों की मौत के सबसे बड़े गुनाहगार स्कूल प्रबंधन और इससे जुड़े लोग हैं. धनवीर का इशारा प्रतापनगर से भाजपा विधायक विजय सिंह पंवार थे. धनवीर सिंह ने बताया कि विधायक ने ही गैर मान्यता प्राप्त स्कूल एंजल इंटरनेशनल को शुरू करवाया और मान्यता न होने के बावजूद भी इस पर कार्रवाई नहीं होने दी गई.
खास बात यह है कि 2018 में स्कूल के शुरू होने के 1 महीने बाद ही धनवीर सिंह ने स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी कर मान्यता से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी करने के निर्देश दिये. ऐसे करीब 4 नोटिस देकर स्कूल को बंद करने तक की बात कही गई. जिसकी पूरी जानकारी मुख्य शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी को भी दी गई, लेकिन ये अधिकारी इस मामले पर मौन रहे. यही नहीं विधायक ने स्कूल के पक्ष में मान्यता को लेकर धनवीर पर बार-बार दबाव भी बनाया. धनवीर सिंह ने ईटीवी भारत को इन सभी नोटिस की कॉपी देकर अपनी बात को साबित भी किया.
अब सवाल यह है कि जब मुख्य शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी को स्कूल की मान्यता नहीं होने की जानकारी नोटिस के जरिये पहुंचाई गई तो उन्होंने अपने स्तर से कार्रवाई क्यों नहीं की ? और क्यों नहीं शिक्षा विभाग को इन दोनों बड़े अधिकारियों पर भी कार्रवाई करनी चाहिए. उधर, स्कूल की मान्यता का दबाव बनाने वाले विधायक के खिलाफ क्यों सरकार मौन है.
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ऐसा नहीं है कि बिना मान्यता के निजी स्कूल चलाने का यह पहला मामला है. घटना के बाद ऐसे कई स्कूलों की लिस्ट बनाई जा चुकी है, जो बिना मान्यता के प्रदेश में चल रहे हैं. सवाल यह है कि घटना के बाद ही क्यों शिक्षा विभाग जागता है और बड़े अधिकारियों पर इन बातों के लिए क्यों कार्रवाई नहीं की जाती. उधर, सरकार ने भी मुआवजे की राशि घोषित करने के बाद अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली है.