ETV Bharat / state

10 महीने का कार्यकाल और पहाड़ जैसी चुनौतियां, आसान नहीं TSR की राह - तीरथ सिंह रावत की मुश्किलें

तीरथ सिंह रावत के सामने समय कम और चुनौतियां ज्यादा हैं. अपने 10 महीने के कार्यकाल में तीरथ सिंह रावत को न सिर्फ इन चुनौतियों से पार पाना है, बल्कि कुछ ऐसा काम भी करना होगा, जिससे वे जनता की उम्मीदों पर खरा उतर सकें.

Tirath Singh Rawat
तीरथ सिंह रावत
author img

By

Published : Mar 10, 2021, 1:03 PM IST

Updated : Mar 10, 2021, 4:31 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के नए सीएम के तौर पर तीरथ सिंह रावत ने शपथ ले ली है. राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने उन्हें शपथ दिलाई. पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इनका नाम प्रस्तावित किया था. तीरथ सिंह रावत के सामने ऐसी कई चुनौतियां होंगी, जिनसे उन्हें पार पाना होगा.

तीरथ की चुनौतियों पर एक नजर

  • सबसे पहले तीरथ सिंह रावत को असंतुष्ट खेमों को संतुष्ट करना होगा. इसमें उनकी व्यवहार कुशलता काम आएगी.
  • दूसरा गैरसैंण को मंडल या कमिश्नरी बनाने का जो विवादास्पद फैसला त्रिवेंद्र रावत कर गए हैं उससे पार पाना बड़ी चुनौती है.
  • तीसरा चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड ने बीजेपी सरकार की काफी किरकिरी कराई थी. तीर्थ पुरोहित इसके खिलाफ लंबे समय तक आंदोलनरत रहे. तीरथ इस मसले को कैसे सुलझाते हैं ये देखने वाली बात होगी.
  • चौथा मामला त्रिवेंद्र रावत ने जिला विकास प्राधिकरणों को खत्म करने की घोषणा की थी. लेकिन शासन की ओर से इस पर अभी तक कदम नहीं उठाया गया है. तीरथ रावत के सामने इस मसले को सुलझाना काफी कठिन काम होगा.
  • पांचवा अफसरशाही से तीरथ कैसे निपटते हैं. उनसे कैसे काम लेते हैं इस पर सबकी नजर रहेगी. जानकार हमेशा से कहते रहे कि त्रिवेंद्र को अफसरशाही ने जनता से दूर कर दिया था.
  • छठवां खाली पड़ा राज्य का खजाना तीरथ कैसे भरते हैं ये बड़ा सवाल है. त्रिवेंद्र रावत कई घोषणाएं कर गए हैं. इनमें संस्थाओं, किसानों और जरूरतमंत लोगों को नकदी और चेक देने की घोषणाएं भी हैं. तीरथ सिंह रावत इन्हें कैसे डील करेंगे ये बड़ी बात होगी.
  • सातवां और सबसे अहम मुख्यमंत्री का जनता से जुड़ाव है. त्रिवेंद्र को अकड़ वाला सीएम माना जाता रहा. तीरथ रावत जनता से कितना जुड़ पाते हैं, ये 2022 के विधानसभा चुनाव में भी महत्व रखेगा.
  • आठवां प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था खस्ताहाल है. 2022 के विधानसभा चुनाव में ये बड़ा मसला होगा. तीरथ इसके लिए इतने कम समय में कितना काम कर पाते हैं ये देखना दिलचस्प होगा. क्योंकि जब विधानसभा का बजट सत्र गैरसैंण में चल रहा था तो वहां एक व्यक्ति की तबीयत खराब हो गई थी. स्थिति ये थी कि मरीज को गैरसैंण में ईसीजी की सुविधा तक नहीं मिल पाई थी. उन्हें हल्द्वानी ले जाना पड़ा था.
  • नौवां किसान आंदोलन, महंगाई और स्थानीय मुद्दों पर विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हैं. तीरथ कैसे विपक्ष के हमलों को नाकाम करते हुए चुनाव में जनता को लुभाते हैं ये भी बड़ा सवाल है.
  • दसवां प्रदेश में आम आदमी पार्टी की एंट्री हो चुकी है. आप चुन-चुनकर प्रदेश की कमजोर नसों को दबा रही है. मसलन स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क और बिजली-पानी को उन्होंने बड़ा इश्यू बना दिया है. इतने कम समय में तीरथ आप को जवाब कैसे दे पाते हैं ये देखना दिलचस्प होगा.

ये भी पढ़ें: TSR को CM बनाने पर कांग्रेस का तंज, कहा- चेहरा नहीं, चाल और चरित्र बदलें

महाकुंभ का सफल आयोजन

तीरथ सिंह रावत के सामने फिलहाल महाकुंभ के सफल आयोजन की बड़ी चुनौती है. हालांकि महाकुंभ एक माह के लिए सीमित कर दिया गया है. लेकिन इस सियासी संकट के बीच इस आयोजन को सफल बनाने के लिए तीरथ सिंह रावत को प्रयास करने होंगे. इसके साथ ही अपनी ताजपोशी की शुरुआत कुंभ की सफलता को लेकर देनी होगी.

पार्टी में असंतोष को थामने का प्रयास

तीरथ सिंह रावत के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के अंदर पनप रहे असंतोष को खत्म करना है. तीरथ सिंह रावत को सभी को साथ लेकर चलना होगा, ताकि त्रिवेंद्र सिंह रावत के सामने आने वाली दिक्कतें तीरथ पर भारी ना पड़े. दरअसल राज्य में भाजपा के अंदर कई खेमेबाजी हैं और कई विधायक और मंत्री विभिन्न मामलों को लेकर मुख्यमंत्री से नाराज रहे हैं.

विधायकों के मनाना

तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी टीम के बेहतर चयन पर समझदारी दिखानी होगी. इसमें जाति और क्षेत्रीय संतुलन के साथ ही जिला स्तर पर भी प्रतिनिधित्व देने की कोशिश करनी होगी. यही नहीं सीनियर विधायकों को सम्मान देने का भी प्रयास करना होगा. जिन लोगों को कैबिनेट में जगह नहीं मिलेगी. उनको बेहतर तालमेल के साथ मिलकर चलने का भी संदेश देना होगा.

कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने की भी बड़ी जिम्मेदारी

विधानसभा चुनाव 2022 नजदीक है. लिहाजा तीरथ सिंह रावत को कार्यकर्ताओं में भी उत्साह भरना होगा और यह साबित करना होगा कि वह कार्यकर्ताओं की सरकार को स्थापित कर रहे हैं. कार्यकर्ताओं से सरकार की नज़दीकियों को भी उन्हें बताना होगा और आम लोगों की सरकार तक पहुंच का भी उन्हें संदेश देना होगा.

2022 के चुनाव में खुद को साबित करना चुनौती

चुनाव बेहद नजदीक है. लिहाजा 2022 में कुर्सी तक पहुंचने के लिए तीरथ सिंह रावत को प्रदेश स्तर पर खुद को स्थापित करना होगा और राज्य में भाजपा के बेहतर सरकार के रूप में होने का भी संदेश देना होगा. यही नहीं त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यों की तुलना में खुद को बेहतर साबित करना भी तीरथ सिंह रावत के लिए चुनौती होगा.

विकास कार्यो को तेजी से आगे बढ़ाने की चुनौती

प्रदेश में राजनीतिक घटनाक्रम के कारण विकास कार्यों को लेकर कोई असर नहीं पड़ा है. इस बात का भी संदेश देना होगा. साथ ही विकास कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाना होगा.

नौकरशाही पर लगाम लगाना बेहद जरूरी

तीरथ सिंह रावत के लिए यह काम सबसे कठिन होगा और सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण भी है. क्योंकि राज्य में नौकरशाही हमेशा ही सरकार के हाथों से दूर रही है. ऐसे में नौकरशाही पर लगाम लगाने और उनसे बेहतर काम लेने की रणनीति पर भी तीरथ सिंह रावत को काम करना होगा. ताकि सरकार के कार्यों को भी आगे बढ़ाया जा सके और अक्सर मंत्रियों और विधायकों की शिकायतों को भी दूर किया जा सके.

देहरादून: उत्तराखंड के नए सीएम के तौर पर तीरथ सिंह रावत ने शपथ ले ली है. राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने उन्हें शपथ दिलाई. पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इनका नाम प्रस्तावित किया था. तीरथ सिंह रावत के सामने ऐसी कई चुनौतियां होंगी, जिनसे उन्हें पार पाना होगा.

तीरथ की चुनौतियों पर एक नजर

  • सबसे पहले तीरथ सिंह रावत को असंतुष्ट खेमों को संतुष्ट करना होगा. इसमें उनकी व्यवहार कुशलता काम आएगी.
  • दूसरा गैरसैंण को मंडल या कमिश्नरी बनाने का जो विवादास्पद फैसला त्रिवेंद्र रावत कर गए हैं उससे पार पाना बड़ी चुनौती है.
  • तीसरा चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड ने बीजेपी सरकार की काफी किरकिरी कराई थी. तीर्थ पुरोहित इसके खिलाफ लंबे समय तक आंदोलनरत रहे. तीरथ इस मसले को कैसे सुलझाते हैं ये देखने वाली बात होगी.
  • चौथा मामला त्रिवेंद्र रावत ने जिला विकास प्राधिकरणों को खत्म करने की घोषणा की थी. लेकिन शासन की ओर से इस पर अभी तक कदम नहीं उठाया गया है. तीरथ रावत के सामने इस मसले को सुलझाना काफी कठिन काम होगा.
  • पांचवा अफसरशाही से तीरथ कैसे निपटते हैं. उनसे कैसे काम लेते हैं इस पर सबकी नजर रहेगी. जानकार हमेशा से कहते रहे कि त्रिवेंद्र को अफसरशाही ने जनता से दूर कर दिया था.
  • छठवां खाली पड़ा राज्य का खजाना तीरथ कैसे भरते हैं ये बड़ा सवाल है. त्रिवेंद्र रावत कई घोषणाएं कर गए हैं. इनमें संस्थाओं, किसानों और जरूरतमंत लोगों को नकदी और चेक देने की घोषणाएं भी हैं. तीरथ सिंह रावत इन्हें कैसे डील करेंगे ये बड़ी बात होगी.
  • सातवां और सबसे अहम मुख्यमंत्री का जनता से जुड़ाव है. त्रिवेंद्र को अकड़ वाला सीएम माना जाता रहा. तीरथ रावत जनता से कितना जुड़ पाते हैं, ये 2022 के विधानसभा चुनाव में भी महत्व रखेगा.
  • आठवां प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था खस्ताहाल है. 2022 के विधानसभा चुनाव में ये बड़ा मसला होगा. तीरथ इसके लिए इतने कम समय में कितना काम कर पाते हैं ये देखना दिलचस्प होगा. क्योंकि जब विधानसभा का बजट सत्र गैरसैंण में चल रहा था तो वहां एक व्यक्ति की तबीयत खराब हो गई थी. स्थिति ये थी कि मरीज को गैरसैंण में ईसीजी की सुविधा तक नहीं मिल पाई थी. उन्हें हल्द्वानी ले जाना पड़ा था.
  • नौवां किसान आंदोलन, महंगाई और स्थानीय मुद्दों पर विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हैं. तीरथ कैसे विपक्ष के हमलों को नाकाम करते हुए चुनाव में जनता को लुभाते हैं ये भी बड़ा सवाल है.
  • दसवां प्रदेश में आम आदमी पार्टी की एंट्री हो चुकी है. आप चुन-चुनकर प्रदेश की कमजोर नसों को दबा रही है. मसलन स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क और बिजली-पानी को उन्होंने बड़ा इश्यू बना दिया है. इतने कम समय में तीरथ आप को जवाब कैसे दे पाते हैं ये देखना दिलचस्प होगा.

ये भी पढ़ें: TSR को CM बनाने पर कांग्रेस का तंज, कहा- चेहरा नहीं, चाल और चरित्र बदलें

महाकुंभ का सफल आयोजन

तीरथ सिंह रावत के सामने फिलहाल महाकुंभ के सफल आयोजन की बड़ी चुनौती है. हालांकि महाकुंभ एक माह के लिए सीमित कर दिया गया है. लेकिन इस सियासी संकट के बीच इस आयोजन को सफल बनाने के लिए तीरथ सिंह रावत को प्रयास करने होंगे. इसके साथ ही अपनी ताजपोशी की शुरुआत कुंभ की सफलता को लेकर देनी होगी.

पार्टी में असंतोष को थामने का प्रयास

तीरथ सिंह रावत के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के अंदर पनप रहे असंतोष को खत्म करना है. तीरथ सिंह रावत को सभी को साथ लेकर चलना होगा, ताकि त्रिवेंद्र सिंह रावत के सामने आने वाली दिक्कतें तीरथ पर भारी ना पड़े. दरअसल राज्य में भाजपा के अंदर कई खेमेबाजी हैं और कई विधायक और मंत्री विभिन्न मामलों को लेकर मुख्यमंत्री से नाराज रहे हैं.

विधायकों के मनाना

तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी टीम के बेहतर चयन पर समझदारी दिखानी होगी. इसमें जाति और क्षेत्रीय संतुलन के साथ ही जिला स्तर पर भी प्रतिनिधित्व देने की कोशिश करनी होगी. यही नहीं सीनियर विधायकों को सम्मान देने का भी प्रयास करना होगा. जिन लोगों को कैबिनेट में जगह नहीं मिलेगी. उनको बेहतर तालमेल के साथ मिलकर चलने का भी संदेश देना होगा.

कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने की भी बड़ी जिम्मेदारी

विधानसभा चुनाव 2022 नजदीक है. लिहाजा तीरथ सिंह रावत को कार्यकर्ताओं में भी उत्साह भरना होगा और यह साबित करना होगा कि वह कार्यकर्ताओं की सरकार को स्थापित कर रहे हैं. कार्यकर्ताओं से सरकार की नज़दीकियों को भी उन्हें बताना होगा और आम लोगों की सरकार तक पहुंच का भी उन्हें संदेश देना होगा.

2022 के चुनाव में खुद को साबित करना चुनौती

चुनाव बेहद नजदीक है. लिहाजा 2022 में कुर्सी तक पहुंचने के लिए तीरथ सिंह रावत को प्रदेश स्तर पर खुद को स्थापित करना होगा और राज्य में भाजपा के बेहतर सरकार के रूप में होने का भी संदेश देना होगा. यही नहीं त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यों की तुलना में खुद को बेहतर साबित करना भी तीरथ सिंह रावत के लिए चुनौती होगा.

विकास कार्यो को तेजी से आगे बढ़ाने की चुनौती

प्रदेश में राजनीतिक घटनाक्रम के कारण विकास कार्यों को लेकर कोई असर नहीं पड़ा है. इस बात का भी संदेश देना होगा. साथ ही विकास कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाना होगा.

नौकरशाही पर लगाम लगाना बेहद जरूरी

तीरथ सिंह रावत के लिए यह काम सबसे कठिन होगा और सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण भी है. क्योंकि राज्य में नौकरशाही हमेशा ही सरकार के हाथों से दूर रही है. ऐसे में नौकरशाही पर लगाम लगाने और उनसे बेहतर काम लेने की रणनीति पर भी तीरथ सिंह रावत को काम करना होगा. ताकि सरकार के कार्यों को भी आगे बढ़ाया जा सके और अक्सर मंत्रियों और विधायकों की शिकायतों को भी दूर किया जा सके.

Last Updated : Mar 10, 2021, 4:31 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.