देहरादून: भारतीय किसान यूनियन ने सरकार के समक्ष अपनी प्रमुख मांगें उठाई हैं. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी लाल सिंह गुर्जर ने कहा कि वैसे तो किसानों की बहुत सारी मांगें लंबित हैं, लेकिन उनकी मांगों का समाधान नहीं निकल पा रहा है. उन्होंने कहा कि नियमानुसार गन्ना किसानों के गन्ने का भुगतान 14 दिन के भीतर किए जाने का प्रावधान है, लेकिन 3 महीने हो जाने के बाद भी सरकार ने अब तक गन्ना किसानों को बकाया भुगतान नहीं किया है.
उन्होंने कहा कि गन्ने के भाव को लेकर भी सही व्यवस्था नहीं है. क्योंकि राज्य सरकार ने 6 साल में 25 रुपए गन्ने का भाव बढ़ाया है. जबकि गन्ने के बकाया भुगतान को 3 महीने हो चुके हैं. उसके बावजूद भुगतान नहीं किया जा रहा है. चौधरी लाल ने कहा कि एमएसपी गारंटी कानून 2024 से पहले लगना चाहिए, ताकि किसानों को इसका लाभ मिल सके. उन्होंने कहा कि बारिश से धान की फसल बर्बाद हुई है. सरकार द्वारा किसानों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए, ताकि कृषकों को राहत मिल सके. उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष किसानों की 20 प्रतिशत हर फसल का भाव बढ़ाना चाहिए.
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जाट आरक्षण की मांग तेज: प्रदेश में जाट आरक्षण की मांग तूल पकड़ने लग गई है. इसी कड़ी में अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने सरकार से सभी राज्यों में जाट समाज को केंद्र में ओबीसी में आरक्षण की मांग उठाई है. कहा कि जाट आरक्षण के लिए हरियाणा में समिति सम्मेलन करती रहती है. साथ ही उनकी मांगों को प्रमुखता से रखती है. समिति के राष्ट्रीय संयोजक अशोक बल्हारा का कहना है कि उनकी सिर्फ एक मांग है कि उन्हें केंद्र में ओबीसी में आरक्षण दिया जाना चाहिए. ताकि जाटों को शिक्षण संस्थान और नौकरियों में इसका लाभ मिल सके. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने 2010 में जाट समाज को आरक्षण दिया हुआ है. लेकिन उत्तराखंड के जाट समाज का केंद्र में आरक्षण नहीं है. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि सभी प्रदेशों के जाट एकजुट होकर आरक्षण की लड़ाई को लड़ेंगे.