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प्रदेश की दो राज्यसभा सीटों पर लगा दांव, दो प्रत्याशी चुनाव हारने के बाद भी रहेंगे सांसद - लोकसभा चुनाव उत्तराखंड

अगर उत्तराखंड से ये दोनों सांसद लोकसभा चुनाव जीत जाते हैं, तो प्रदेश की दो राज्यसभा सीटें खाली हो जाएंगी.

उत्तराखंड राज्यसभा सीट
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Published : Mar 27, 2019, 5:48 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड में 5 लोकसभा और 3 राज्यसभा सीटें हैं. इन राज्सभा सीटों पर वर्तमान में 2 कांग्रेस और एक बीजेपी से सांसद हैं. उत्तराखंड राज्यसभा से सांसद दोनों कांग्रेसी नेताओं को पार्टी ने लोकसभा का भी टिकट दिया है. जिस कारण अगर ये राज्यसभा सांसद चुनाव हार भी जाएं तो भी ये दोनों सांसद बने रहेंगे.

लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं. लेकिन उत्तराखंड के परिपेक्ष में बात करें तो उत्तराखंड की 5 सीटों में से अल्मोड़ा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा पहले से ही उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद हैं. जिस वजह से अगर प्रदीप टम्टा चुनाव हार भी जाते हैं, तो भी वे 4 जुलाई 2022 तक सांसद बने रहेंगे.

वहीं उत्तराखंड के दूसरे राज्यसभा सांसद राज बब्बर की बात करें तो उन्हें भी कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की फतेहपुर सीकरी से सांसद प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा है. वहां से राज बब्बर अगर चुनाव हार भी जाते हैं तो भी वे राज्यसभा सांसद होने के नाते संसद में बने रहेंगे. उनका कार्यकाल 25 नवंबर 2020 तक है.इसी के साथ अगर उत्तराखंड से ये दोनों सांसद लोकसभा चुनाव जीत जाते हैं, तो प्रदेश की दो राज्यसभा सीटें खाली हो जाएंगी.

देहरादून: उत्तराखंड में 5 लोकसभा और 3 राज्यसभा सीटें हैं. इन राज्सभा सीटों पर वर्तमान में 2 कांग्रेस और एक बीजेपी से सांसद हैं. उत्तराखंड राज्यसभा से सांसद दोनों कांग्रेसी नेताओं को पार्टी ने लोकसभा का भी टिकट दिया है. जिस कारण अगर ये राज्यसभा सांसद चुनाव हार भी जाएं तो भी ये दोनों सांसद बने रहेंगे.

लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं. लेकिन उत्तराखंड के परिपेक्ष में बात करें तो उत्तराखंड की 5 सीटों में से अल्मोड़ा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा पहले से ही उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद हैं. जिस वजह से अगर प्रदीप टम्टा चुनाव हार भी जाते हैं, तो भी वे 4 जुलाई 2022 तक सांसद बने रहेंगे.

वहीं उत्तराखंड के दूसरे राज्यसभा सांसद राज बब्बर की बात करें तो उन्हें भी कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की फतेहपुर सीकरी से सांसद प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा है. वहां से राज बब्बर अगर चुनाव हार भी जाते हैं तो भी वे राज्यसभा सांसद होने के नाते संसद में बने रहेंगे. उनका कार्यकाल 25 नवंबर 2020 तक है.इसी के साथ अगर उत्तराखंड से ये दोनों सांसद लोकसभा चुनाव जीत जाते हैं, तो प्रदेश की दो राज्यसभा सीटें खाली हो जाएंगी.

Intro:Note- यह ख़बर असाइमेन्ट द्वारा दी गयी थी।

कांग्रेस के इन प्रत्याशियों को नही पड़ेगा चुनाव हारने से फर्क

एंकर- लोकसभा चुनाव 2019 का सियासी रण जारी है। और इस सियासी रण में कई चेहरे मैदान में उतर चुके हैं लेकिन इन चेहरों में कांग्रेस के उत्तराखंड से दो ऐसे चेहरे भी मैदान में हैं जिन्हें चुनाव हारने से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। यानी अगर यह दो प्रत्याशी चुनाव हार भी जाए तो भी यह संसद में ही मौजूद रहेंगे। कौन है से वह दो प्रत्याशी आई आपको बताते हैं।


Body:वीओ- लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं लेकिन उत्तराखंड के परिपेक्ष में बात करें तो उत्तराखंड की 5 सीटों में से एक सीट पर सांसद प्रत्याशी प्रदीप टम्टा पहले से ही राज्यसभा सांसद है। जो कि लोकसभा सांसद प्रत्याशी के रूप में मैदान में है। और अगर प्रदीप टम्टा चुनाव हार भी जाते हैं तो भी वह 4 जुलाई 2022 तक संसद में बने रहेंगे। वजह है क्योंकि प्रदीप टम्टा उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद है।

वीओ 2- वही अगर बात करें उत्तराखंड के दूसरे राज्य सभा सांसद राज बब्बर की तो राज बब्बर को भी कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की फतेहपुर सीकरी मुरादाबाद सीट से सांसद प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा है और यहां भी अगर राज बब्बर के चुनाव हार जाते हैं तो भी राज बब्बर राज्यसभा सांसद होने के नाते संसद में बने रहेंगे और उन्हें 25 नवंबर 2020 से पहले संसद से कोई बाहर नहीं कर सकता है।

तो ऐसे में कांग्रेस के इन दो सांसद प्रत्याशियों के चुनाव हार जाने के बावजूद भी यह दोनों राज्यसभा सांसद के रूप में सदन में मौजूद रहेंगे।


Conclusion:
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