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उत्तराखंड के इस जंगल में जंगली जानवरों के 'सुरक्षा गार्ड' हैं ये कुत्ते, बाघों की भी करते हैं हिफाजत

जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व में जंगली जानवरों के शिकार और तस्करी को रोकने और कार्बेट की सुरक्षा को लेकर कार्बेट प्रशासन ने नया तरीका अपनाया है. जिसके तहत कॉर्बेट प्रशासन ने बेल्जियन शेफर्ड नस्ल के कुत्तों को कॉर्बेट की सुरक्षा के लिए उतारा है.

'कुत्ते' करते हैं बाघों की हिफाजत
'कुत्ते' करते हैं बाघों की हिफाजत
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Published : Jun 30, 2020, 3:10 PM IST

Updated : Jun 30, 2020, 6:18 PM IST

देहरादून: जंगल में बाघों की हुकूमत चलती है, लेकिन, अगर इन बाघों की हिफाजत कुत्ते करें, तो आप क्या कहेंगे? आपको यह बात सुनने में भले ही थोड़ी अटपटी लगे, लेकिन, यह बात सोलह आने सच है. उत्तराखंड के घने जंगलों में एक ऐसी भी जगह है. जहां पर जंगलों में रह रहे खूंखार बाघों की सुरक्षा, कर्मचारियों के साथ-साथ कुत्ते भी कर रहे हैं. यह कुत्ते इतने खतरनाक है कि अगर कोई भी शिकारी, बाघों का शिकार करने की सोचता भी है तो उससे पहले उस पर हमला कर देते हैं. आखिरकार क्या है इन कुत्तों की खासियत और उनके रहते बाघों की सुरक्षा कवच की कहानी? देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...

उत्तराखंड के इस जंगल में जंगली जानवरों के 'सुरक्षा गार्ड' हैं ये कुत्ते.

देश के तमाम जंगलों से अमूमन जंगली जानवरों के शिकार के मामले सामने आते रहते हैं. जिसे देखते हुए जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व में जंगली जानवरों के शिकार और तस्करी को रोकने और कार्बेट की सुरक्षा को लेकर कार्बेट प्रशासन ने नया तरीका अपनाया है. जिसके तहत कॉर्बेट प्रशासन ने बेल्जियन शेफर्ड नस्ल के कुत्तों को कॉर्बेट की सुरक्षा के लिए उतारा है. इसके साथ ही इन कुत्तों में जर्मन शेफर्ड के कुत्ते भी शामिल किये हैं. इस कुत्तों को फील्ड में उतारने से पहले विशेष रूप से ट्रेनिंग दी गई है.

ये कुत्ते, न सिर्फ जंगली जानवरों के शिकार को रोकने के लिए तैयार किये गए है. बल्कि, जंगल के भीतर जंगली जानवरों को तलाशने, घायल जानवरों को ढूढने के साथ ही जंगल के संवेदनशील सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए तैयार किया गया है. यहीं नहीं केटीआर (कालागढ़ टाइगर रिजर्व) तथा सीटीआर (कॉर्बेट टाइगर रिजर्व) में इस नस्ल के चार कुत्ते तैनात किए गए है. जिसमें से एक कालागढ़ टाइगर रिजर्व में है. जबकि, तीन लालढांग केनाल में तैनात किया गया है.

पढ़ें- भारत में कोरोना महामारी से पिछले 24 घंटे में 400 से अधिक लोगों की मौत

बेल्जियन शेफर्ड नस्ल के कुत्तों की खास बात है कि इस नस्ल के कुत्तों में सूंघने की विशेष क्षमता होती है. यहीं नहीं ये कुत्ते लोगों की भीड़ में भी संदिग्धों को पहचान कर लेने की क्षमता रखते है. ऐसे में जंगल के भीतर घायल जंगली जानवरों की तलाश करने में बेल्जियम शेफर्ड नस्ल के कुत्ते बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. दरअसल, सूंघने की विशेष क्षमता होने के चलते जानवरों के घायल होने की स्थिति में उनके खून, मांस को सूंघकर ये कुत्ते उस जानवर को जंगल में ढूंढने में मदद करते हैं.

पढ़ें- घोषणा के बाद शहीद के घर तक सड़क पहुंचाना भूली सरकार, लोगों ने खुद उठाया बीड़ा

वहीं कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के एसडीओ केएस खाटी ने बताया कि तीन कुत्ते पाले गये हैं. जिनकी विशेषता यह है कि उनकी सूंघने की क्षमता बहुत अधिक है. ये तीनों कुत्ते बेल्जियन शेफर्ड, एरियल जर्मन शेफर्ड और ब्रांडी जर्मन शेफर्ड नस्ल के है. हालांकि इन कुत्तों को ट्रेनिंग जंगलों के संवेदनशील क्षेत्रों और जंगलों के पास रहने वाले लोगों की गश्त को देखते हुए दी गई है.

देहरादून: जंगल में बाघों की हुकूमत चलती है, लेकिन, अगर इन बाघों की हिफाजत कुत्ते करें, तो आप क्या कहेंगे? आपको यह बात सुनने में भले ही थोड़ी अटपटी लगे, लेकिन, यह बात सोलह आने सच है. उत्तराखंड के घने जंगलों में एक ऐसी भी जगह है. जहां पर जंगलों में रह रहे खूंखार बाघों की सुरक्षा, कर्मचारियों के साथ-साथ कुत्ते भी कर रहे हैं. यह कुत्ते इतने खतरनाक है कि अगर कोई भी शिकारी, बाघों का शिकार करने की सोचता भी है तो उससे पहले उस पर हमला कर देते हैं. आखिरकार क्या है इन कुत्तों की खासियत और उनके रहते बाघों की सुरक्षा कवच की कहानी? देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...

उत्तराखंड के इस जंगल में जंगली जानवरों के 'सुरक्षा गार्ड' हैं ये कुत्ते.

देश के तमाम जंगलों से अमूमन जंगली जानवरों के शिकार के मामले सामने आते रहते हैं. जिसे देखते हुए जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व में जंगली जानवरों के शिकार और तस्करी को रोकने और कार्बेट की सुरक्षा को लेकर कार्बेट प्रशासन ने नया तरीका अपनाया है. जिसके तहत कॉर्बेट प्रशासन ने बेल्जियन शेफर्ड नस्ल के कुत्तों को कॉर्बेट की सुरक्षा के लिए उतारा है. इसके साथ ही इन कुत्तों में जर्मन शेफर्ड के कुत्ते भी शामिल किये हैं. इस कुत्तों को फील्ड में उतारने से पहले विशेष रूप से ट्रेनिंग दी गई है.

ये कुत्ते, न सिर्फ जंगली जानवरों के शिकार को रोकने के लिए तैयार किये गए है. बल्कि, जंगल के भीतर जंगली जानवरों को तलाशने, घायल जानवरों को ढूढने के साथ ही जंगल के संवेदनशील सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए तैयार किया गया है. यहीं नहीं केटीआर (कालागढ़ टाइगर रिजर्व) तथा सीटीआर (कॉर्बेट टाइगर रिजर्व) में इस नस्ल के चार कुत्ते तैनात किए गए है. जिसमें से एक कालागढ़ टाइगर रिजर्व में है. जबकि, तीन लालढांग केनाल में तैनात किया गया है.

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बेल्जियन शेफर्ड नस्ल के कुत्तों की खास बात है कि इस नस्ल के कुत्तों में सूंघने की विशेष क्षमता होती है. यहीं नहीं ये कुत्ते लोगों की भीड़ में भी संदिग्धों को पहचान कर लेने की क्षमता रखते है. ऐसे में जंगल के भीतर घायल जंगली जानवरों की तलाश करने में बेल्जियम शेफर्ड नस्ल के कुत्ते बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. दरअसल, सूंघने की विशेष क्षमता होने के चलते जानवरों के घायल होने की स्थिति में उनके खून, मांस को सूंघकर ये कुत्ते उस जानवर को जंगल में ढूंढने में मदद करते हैं.

पढ़ें- घोषणा के बाद शहीद के घर तक सड़क पहुंचाना भूली सरकार, लोगों ने खुद उठाया बीड़ा

वहीं कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के एसडीओ केएस खाटी ने बताया कि तीन कुत्ते पाले गये हैं. जिनकी विशेषता यह है कि उनकी सूंघने की क्षमता बहुत अधिक है. ये तीनों कुत्ते बेल्जियन शेफर्ड, एरियल जर्मन शेफर्ड और ब्रांडी जर्मन शेफर्ड नस्ल के है. हालांकि इन कुत्तों को ट्रेनिंग जंगलों के संवेदनशील क्षेत्रों और जंगलों के पास रहने वाले लोगों की गश्त को देखते हुए दी गई है.

Last Updated : Jun 30, 2020, 6:18 PM IST
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