देहरादूनः दीपावली का सेलिब्रेशन रोशनी और पटाखों के बिना अधूरा है. कई बार इस खुशहाली पर नजर तब लग जाती है जब पटाखों से हाथ जल जाता है. पटाखों से जलने के बाद छोटी सी भी लापरवाही आपके लिए कोई बड़ी समस्या हो सकती है. इसलिए दीपावली का उत्स्व बड़ी ही सावधानी से मानना चाहिए. साथ ही पटाखे जलाते समय माता-पिता का साथ रहना बहुत जरूरी होता है. वहीं दीपावली का त्योहार ऐसे मनाएं कि त्योहार में रंग में भंग न हो जाए.
दीपावली के दिन कुछ लोग एक-दूसरे के घर जाकर मिठाई देकर अपनी खुशी व्यक्त करते हैं तो कुछ पटाखे जलाकर खुशी मनाते हैं. पटाखों से फैलने वाला प्रदूषण हमारे शरीर के लिए बहुत ही ज्यादा हानिकारक है. दीपावली पर पटाखों के धुएं से लोगों को सांस लेने में दिक्कत, गले में खराश, आंखों और नाक में जलन की शिकायत हो जाती है.
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इसलिए इन बीमारियों से बचने के लिए सावधानी पूर्वक पटाखे जलाने चाहिए. साथ ही डॉक्टरों के अनुसार ही दीपावली पर सावधानी बरतें. सीनियर फिजिशियन केसी पंत ने जानकारी देते हुए बताया कि पटाखे जलाते समय जो कपड़े पहनते वह ढीले होने चाहिए. साथ ही ऐसे कपड़े पहनें जो शरीर पर फिट हों दूसरे सूती कपड़े पहनें और हमेशा पटाखे जलाते समय बचाव का समान अपने साथ रखें.
बच्चों को स्टिक के सहारे पटाखे छुड़ाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.वहीं फुलझड़ियों को दूर से जलाएं, आंखों ओर चेहरे से दूर होकर ही प्रयोग करें. बच्चों को अपने माता पिता के साथ ही पटाखे छुड़ाने चाहिए. साथ ही बुर्जगों और सांस की समस्या वालों को पटाखों से दूर रहना चाहिए. रंग में भंग न पड़े इसलिए बड़ी ही सावधानी से दीपावली का उत्सव मनाएं.