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बंशीधर भगत बने प्रोटेम स्पीकर, पांचवीं विधानसभा में विधायकों को दिलाएंगे शपथ - प्रोटेम (Pro-tem) लैटिन शब्‍द प्रो टैम्‍पोर (Pro Tempore) का संक्षिप्‍त रूप

पांचवीं विधानसभा के लिए चयनित हुए विधायकों को शपथ दिलाने के लिए वरिष्ठ विधायक बंशीधर भगत को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है.

Banshidhar Bhagat
बंशीधर भगत बने प्रोटेम स्पीकर
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Published : Mar 14, 2022, 3:05 PM IST

Updated : Mar 14, 2022, 3:38 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के लिए चयनित हुए विधायकों को शपथ दिलाने के लिए वरिष्ठ विधायक बंशीधर भगत को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है. राजभवन के निर्देश पर विधानसभा सचिवालय की तरफ से आदेश जारी किए गए हैं. प्रोटेम स्पीकर पद की शपथ लेने के बाद बंशीधर भगत सभी नव निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाएंगे. इसके साथ ही उत्तराखंड की नई विधानसभा का गठन हो जाएगा.

उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के लिए विगत 14 फरवरी को चुनाव हुए थे. 10 मार्च को चुनाव नतीजे आने के बाद बीजेपी ने बहुमत का आंकड़ा पाया और सरकार बनाने की तैयारियों में जुट गई है. चर्चा है कि होली के बाद नई सरकार का गठन होगा. बीजेपी की सत्ता में जोरदार वापसी के बाद जहां मुख्यमंत्री पद को लेकर अटकलों का दौर जारी है, वहीं नई कैबिनेट में शामिल होने वाले चेहरों को लेकर भी चर्चा का दौर शुरू हो गया है.

ये भी पढ़ें: हरीश रावत अफीम चटाकर करते हैं सम्मोहित, मेरा नशा 35 साल में टूटा- रणजीत रावत

कौन हैं बंशीधर भगत: देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से प्रेरित होकर राजनीति में आए बंशीधर भगत 1975 में जनसंघ पार्टी से जुड़े थे. उन्होंने सबसे पहले किसान संघर्ष समिति का मोर्चा संभाला था. रामजन्म भूमि आन्दोलन के दौरान बंशीधर भगत करीब 23 दिन अल्मोड़ा जेल में भी रहे. साल 1989 में बंशीधर भगत ने नैनीताल-ऊधम सिंह नगर जिले में अध्यक्ष पद संभाला. 1991 में वह पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा में नैनीताल से विधायक बने. 1993 में दूसरी और 1996 में तीसरी बार नैनीताल से विधायक बने.

इस दौरान उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में खाद्य एवं रसद राज्यमंत्री, पर्वतीय विकास मंत्री, वन राज्य मंत्री का कार्यभार संभाला. वर्ष 2000 में राज्य गठन के बाद वह उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री रहे. वर्ष 2007 में हल्द्वानी विधानसभा से वह चौथी बार विधायक बने. उत्तराखंड सरकार में उन्हें वन और परिवहन मंत्री बनाया गया.

इसके बाद 2012 में परिसीमन के बाद कालाढूंगी विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. फिर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में छठी जीत दर्ज की. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने के बाद कैबिनेट मंत्री के रूप में 2022 के चुनाव में सातवीं बार कालाढूंगी से इस बार भी जीत दर्ज की है.

जानिए कौन होता है प्रोटेम स्पीकर: आमतौर पर प्रोटेम स्पीकर का काम नए सदस्यों को शपथ दिलाना और स्पीकर (विधानसभा अध्यक्ष) का चुनाव कराना होता है. आमतौर पर सबसे सीनियर मोस्ट विधायक को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है. विधानसभा सचिवालय की तरफ से राज्यपाल को सीनियर मोस्ट विधायकों के नाम भेजे जाते हैं और राज्यपाल उनसे से एक सीनियर मोस्ट विधायक को चुनता है. ये राज्यपाल का विशेषाधिकार है कि वो किसे चुने.

प्रोटेम स्पीकर का कर्तव्य: प्रोटेम (Pro-tem) लैटिन शब्‍द प्रो टैम्‍पोर (Pro Tempore) का संक्षिप्‍त रूप है. इसका शाब्दिक आशय होता है-'कुछ समय के लिए.' प्रोटेम स्‍पीकर की नियुक्ति गवर्नर करता है और इसकी नियुक्ति आमतौर पर तब तक के लिए होती है, जब तक विधानसभा अपना स्‍थायी विधानसभा अध्‍यक्ष नहीं चुन लेती. यह नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ-ग्रहण कराता है और यह पूरा कार्यक्रम इसी की देखरेख में होता है. सदन में जब तक विधायक शपथ नहीं लेते, तब तक उनको सदन का हिस्‍सा नहीं माना जाता.

देहरादून: उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के लिए चयनित हुए विधायकों को शपथ दिलाने के लिए वरिष्ठ विधायक बंशीधर भगत को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है. राजभवन के निर्देश पर विधानसभा सचिवालय की तरफ से आदेश जारी किए गए हैं. प्रोटेम स्पीकर पद की शपथ लेने के बाद बंशीधर भगत सभी नव निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाएंगे. इसके साथ ही उत्तराखंड की नई विधानसभा का गठन हो जाएगा.

उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के लिए विगत 14 फरवरी को चुनाव हुए थे. 10 मार्च को चुनाव नतीजे आने के बाद बीजेपी ने बहुमत का आंकड़ा पाया और सरकार बनाने की तैयारियों में जुट गई है. चर्चा है कि होली के बाद नई सरकार का गठन होगा. बीजेपी की सत्ता में जोरदार वापसी के बाद जहां मुख्यमंत्री पद को लेकर अटकलों का दौर जारी है, वहीं नई कैबिनेट में शामिल होने वाले चेहरों को लेकर भी चर्चा का दौर शुरू हो गया है.

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कौन हैं बंशीधर भगत: देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से प्रेरित होकर राजनीति में आए बंशीधर भगत 1975 में जनसंघ पार्टी से जुड़े थे. उन्होंने सबसे पहले किसान संघर्ष समिति का मोर्चा संभाला था. रामजन्म भूमि आन्दोलन के दौरान बंशीधर भगत करीब 23 दिन अल्मोड़ा जेल में भी रहे. साल 1989 में बंशीधर भगत ने नैनीताल-ऊधम सिंह नगर जिले में अध्यक्ष पद संभाला. 1991 में वह पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा में नैनीताल से विधायक बने. 1993 में दूसरी और 1996 में तीसरी बार नैनीताल से विधायक बने.

इस दौरान उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में खाद्य एवं रसद राज्यमंत्री, पर्वतीय विकास मंत्री, वन राज्य मंत्री का कार्यभार संभाला. वर्ष 2000 में राज्य गठन के बाद वह उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री रहे. वर्ष 2007 में हल्द्वानी विधानसभा से वह चौथी बार विधायक बने. उत्तराखंड सरकार में उन्हें वन और परिवहन मंत्री बनाया गया.

इसके बाद 2012 में परिसीमन के बाद कालाढूंगी विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. फिर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में छठी जीत दर्ज की. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने के बाद कैबिनेट मंत्री के रूप में 2022 के चुनाव में सातवीं बार कालाढूंगी से इस बार भी जीत दर्ज की है.

जानिए कौन होता है प्रोटेम स्पीकर: आमतौर पर प्रोटेम स्पीकर का काम नए सदस्यों को शपथ दिलाना और स्पीकर (विधानसभा अध्यक्ष) का चुनाव कराना होता है. आमतौर पर सबसे सीनियर मोस्ट विधायक को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है. विधानसभा सचिवालय की तरफ से राज्यपाल को सीनियर मोस्ट विधायकों के नाम भेजे जाते हैं और राज्यपाल उनसे से एक सीनियर मोस्ट विधायक को चुनता है. ये राज्यपाल का विशेषाधिकार है कि वो किसे चुने.

प्रोटेम स्पीकर का कर्तव्य: प्रोटेम (Pro-tem) लैटिन शब्‍द प्रो टैम्‍पोर (Pro Tempore) का संक्षिप्‍त रूप है. इसका शाब्दिक आशय होता है-'कुछ समय के लिए.' प्रोटेम स्‍पीकर की नियुक्ति गवर्नर करता है और इसकी नियुक्ति आमतौर पर तब तक के लिए होती है, जब तक विधानसभा अपना स्‍थायी विधानसभा अध्‍यक्ष नहीं चुन लेती. यह नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ-ग्रहण कराता है और यह पूरा कार्यक्रम इसी की देखरेख में होता है. सदन में जब तक विधायक शपथ नहीं लेते, तब तक उनको सदन का हिस्‍सा नहीं माना जाता.

Last Updated : Mar 14, 2022, 3:38 PM IST
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