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बड़े राजनेता देने वाले देहरादून डीएवी पीजी कॉलेज के शिक्षकों की नेतागिरी पर रोक, पढ़ें पूरी खबर - teachers of Dehradun DAV PG College

डीएवी पीजी कॉलेज (Dehradun DAV PG College) के शिक्षकों की नेतागिरी पर प्राचार्य ने रोक लगा दी है. साथ ही कॉलेज में यह घोषणा पत्र जमा करना होगा कि वह किसी भी राजनीतिक या धार्मिक संगठन से नहीं जुड़े हैं. इसके साथ ही अगर कोई भी शिक्षक (DAV PG College Teachers Politics) किसी संगठन में सक्रिय पाया गया तो उनके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

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Published : Nov 25, 2022, 8:48 AM IST

Updated : Nov 27, 2022, 1:52 PM IST

देहरादून: डीएवी पीजी कॉलेज (Dehradun DAV PG College) के शिक्षकों की नेतागिरी पर प्राचार्य ने रोक लगा दी है. कांग्रेस, भाजपा, एबीवीपी जैसे संगठनों और धार्मिक संगठनों से जुड़े शिक्षकों को 26 नवंबर तक इस्तीफा देना होगा. साथ ही कॉलेज में यह घोषणा पत्र जमा करना होगा कि वह किसी भी राजनीतिक या धार्मिक संगठन से नहीं जुड़े हैं. इसके बाद अगर कोई भी शिक्षक (DAV PG College Teachers Politics) किसी संगठन में सक्रिय पाया गया तो उनके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

प्रदेश की मुख्यधारा की राजनीति हो या छात्र राजनीति, डीएवी कॉलेज की सहभागिता दोनों में रहती है. एक ओर जहां कॉलेज से पासआउट छात्रों ने मुख्यधारा तक की राजनीति में नए आयाम छुए हैं तो वहीं कॉलेज में पढ़ाने वाले शिक्षकों ने विधानसभा तक के चुनाव लड़े हैं. कॉलेज के पूर्व प्राचार्य (Principal of DAV PG College) देवेंद्र भसीन खुद भाजपा के पदाधिकारी रह चुके हैं. डीएवी पीजी कॉलेज के प्राचार्य केआर जैन ने बताया कि कुछ दिन पहले कुछ शिक्षक साथियों ने कॉलेज कैंपस में एक सदस्यता ग्रहण पार्टी की और नेताओं के साथ फोटो खिंचवाई गई. वो फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए.

देहरादून डीएवी पीजी कॉलेज के शिक्षकों की नेतागिरी पर रोक
पढ़ें-टिहरी: भाजपा प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी का कार्यकर्ताओं ने किया जोरदार स्वागत

जब इस बात की जानकारी बोर्ड को मिली तो इस मामले को संज्ञान में लिया. संज्ञान में लेने के बाद एक पत्र जारी किया गया कि कोई भी शिक्षक इस प्रकार की गतिविधियों में शामिल नहीं होगा और अगर शामिल होता है तो अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. उसके बाद बोर्ड की मीटिंग हुई. बोर्ड में एक प्रस्ताव पास किया गया कि शिक्षक से एक घोषणा पत्र लेकर रखा जाए, जो किसी पार्टी विशेष में कोई भी योगदान और सहयोग नहीं दे रहा है. 26 नवंबर तक सभी शिक्षकों को घोषणा पत्र जमा कराना होगा.

शिक्षकों ने किया विरोध: उधर डीएवी पीजी कॉलेज में कई शिक्षक संगठनों से जुड़े हुए हैं. प्राचार्य के आदेश के बाद राजनीति से जुड़े शिक्षकों में खलबली मची हुई है. अब इस आदेश का विरोध होना शुरू हो गया है. डीएवी पीजी कॉलेज के सभी शिक्षक और शिक्षिकाओं ने मंगलवार को प्राचार्य द्वारा जारी फॉर्मेट (Undertaking) के विषय में सभी शिक्षकों के आम सहमति से निर्णय लेने के लिए आम सभा बैठक करने का निर्णय लिया है. साथ ही सभी ने निर्णय लिया है कि बैठक में निर्णय लेने से पहले कोई भी विभाग, शिक्षक और शिक्षिका घोषणा पत्र पर न तो हस्ताक्षर करे और न ही इसे जमा ही करेगा. प्राचार्य के निर्णय का विरोध करने वालों में डॉ कौशल कुमार (राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, एबीवीपी), डॉ डीके शाही (राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, एबीवीपी), डॉ हरिओम शर्मा (नगर अध्यक्ष, एबीवीपी), डॉ पुष्पेंद्र शर्मा (प्रदेश कार्यकारणी सदस्य, एबीवीपी), डॉ शशि किरण सोलंकी (नगर उपाध्यक्ष, एबीवीपी), डॉ प्रदीप जोशी (प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ), डॉ जसविंदर गोगी (महानगर कार्यवाहक अध्यक्ष, कांग्रेस), डॉ आरके पाठक (प्रदेश सचिव, समाजवादी पार्टी), डॉ राम विनय (संस्कृत आयाम प्रमुख, एबीवीपी), डॉ एसी बाजपेई (सदस्य, एबीवीपी), डॉ जेबीएस रौथाण (नगर कार्यकारिणी सदस्य, एबीवीपी), डॉ डीके त्यागी (महा मंत्री, शिक्षक संघ) शामिल थे.

हरक सिंह रावत का दिया उदाहरण: वहीं केमेस्ट्री के प्रोफेसर डॉ डीके त्यागी ने बताया कि प्राचार्य बेतुकी बात कर रहे हैं. वह भी एक शिक्षक हैं. उन्हें सीनियर के तौर पर पद मिला है. एक्ट के अनुसार जितने भी शिक्षक हैं, वह सभी चुनाव में प्रतिभाग कर सकते हैं और विभिन्न राजनीति दलों में रह सकते हैं. इसका उदाहरण हमारे प्रदेश के पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत का है जब वह गढ़वाल यूनिवर्सिटी में थे. सभी शिक्षक कोई ऐसा कार्य न करें जिससे कॉलेज का माहौल खराब होता हो. लेकिन राजनीतिक पदों पर आसीन रह सके हैं और राजनीतिक गतिविधियां कर सकते हैं.

ब्रिटिश काल में हुई थी डीएवी कॉलेज की स्थापना: देहरादून के डीएवी (पीजी) कॉलेज की स्थापना ब्रिटिश काल में हुई थी. अगर कॉलेज की एलुमनी लिस्ट पर नजर डालें तो दो देशों के प्रधानमंत्री, मंत्री, सेना के अफसर और हिमालय की चोटी फतह करने वाली बछेंद्री पाल का नाम सामने आता है. आज भी इस कॉलेज में उत्तराखंड के अलावा कई बाहरी राज्यों के युवा पढ़ाई करने आते हैं.
पढ़ें-टिहरी: भाजपा प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी का कार्यकर्ताओं ने किया जोरदार स्वागत

डीएवी में पढ़ी हैं विदेशी हस्तियां: डीएवी पीजी कॉलेज देहरादून में कई नामचीन हस्तियों ने शिक्षा हासिल की है. यहां से पढ़े-लिखों की गिनती करें तो सिर्फ भारतीय ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों के लोग भी यहां से पढ़ाई कर चुके हैं. इनमें मॉरीशस के पूर्व प्रधानमंत्री सर शिवसागर रामगुलाम (Former Prime Minister of Mauritius Seewoosagur Ramgoolam) और नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री लोकेंद्र बहादुर चंद (former Nepal Prime Minister Lokendra Bahadur Chand) का नाम प्रमुख है.

हेमवती नंदन बहुगुणा ने डीएवी में पढ़ा है: देश की बात करें तो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा (Hemwati Nandan Bahuguna), भारत सरकार के पूर्व मंत्री महावीर त्यागी, ब्रह्मदत्त, पूर्व भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल बीसी जोशी, एवरेस्ट पर कदम रखने वाली पहली महिला पर्वतारोही बछेंद्री पाल (Indian mountaineer Bachendri Pal), वैज्ञानिक डॉ. फारुख शेख जैसे अनगिनत लोगों ने इसी संस्थान से शिक्षा हासिल की है.

ये है डीएवी कॉलेज का पूरा नाम: डीएवी पीजी कॉलेज (DAV PG College Dehradun) का पूरा नाम दयानंद एंग्लो वैदिक (Dayanand Anglo Vedic) स्नातकोत्तर महाविद्यालय है. महात्मा हंसराज के निर्देशन में सबसे पहले डीएवी कॉलेज ट्रस्ट एवं प्रबंध समिति के प्रथम स्कूल की स्थापना 1 जून, 1886 को पाकिस्तान के लाहौर में हुई. इसके बाद इस संस्थान की स्थापना साल 1892 में एक रात्रिकालीन संस्कृत पाठशाला के रूप में मेरठ में की गई. साल 1904 में देहरादून के ठाकुर पूरन सिंह नेगी ने इस कॉलेज के लिए जमीन दान की. जिसके बाद संस्थान को मेरठ से देहरादून स्थानांतरित कर दिया गया. साल 1922 में इसे इंटरमीडिएट कॉलेज के रूप में शुरू किया गया और साल 1946 में यह डिग्री कॉलेज के रूप में संचालित होने लगा. जबकि, साल 1948 में डीएवी महाविद्यालय के रूप में स्थापित हो गया.

देहरादून: डीएवी पीजी कॉलेज (Dehradun DAV PG College) के शिक्षकों की नेतागिरी पर प्राचार्य ने रोक लगा दी है. कांग्रेस, भाजपा, एबीवीपी जैसे संगठनों और धार्मिक संगठनों से जुड़े शिक्षकों को 26 नवंबर तक इस्तीफा देना होगा. साथ ही कॉलेज में यह घोषणा पत्र जमा करना होगा कि वह किसी भी राजनीतिक या धार्मिक संगठन से नहीं जुड़े हैं. इसके बाद अगर कोई भी शिक्षक (DAV PG College Teachers Politics) किसी संगठन में सक्रिय पाया गया तो उनके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

प्रदेश की मुख्यधारा की राजनीति हो या छात्र राजनीति, डीएवी कॉलेज की सहभागिता दोनों में रहती है. एक ओर जहां कॉलेज से पासआउट छात्रों ने मुख्यधारा तक की राजनीति में नए आयाम छुए हैं तो वहीं कॉलेज में पढ़ाने वाले शिक्षकों ने विधानसभा तक के चुनाव लड़े हैं. कॉलेज के पूर्व प्राचार्य (Principal of DAV PG College) देवेंद्र भसीन खुद भाजपा के पदाधिकारी रह चुके हैं. डीएवी पीजी कॉलेज के प्राचार्य केआर जैन ने बताया कि कुछ दिन पहले कुछ शिक्षक साथियों ने कॉलेज कैंपस में एक सदस्यता ग्रहण पार्टी की और नेताओं के साथ फोटो खिंचवाई गई. वो फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए.

देहरादून डीएवी पीजी कॉलेज के शिक्षकों की नेतागिरी पर रोक
पढ़ें-टिहरी: भाजपा प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी का कार्यकर्ताओं ने किया जोरदार स्वागत

जब इस बात की जानकारी बोर्ड को मिली तो इस मामले को संज्ञान में लिया. संज्ञान में लेने के बाद एक पत्र जारी किया गया कि कोई भी शिक्षक इस प्रकार की गतिविधियों में शामिल नहीं होगा और अगर शामिल होता है तो अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. उसके बाद बोर्ड की मीटिंग हुई. बोर्ड में एक प्रस्ताव पास किया गया कि शिक्षक से एक घोषणा पत्र लेकर रखा जाए, जो किसी पार्टी विशेष में कोई भी योगदान और सहयोग नहीं दे रहा है. 26 नवंबर तक सभी शिक्षकों को घोषणा पत्र जमा कराना होगा.

शिक्षकों ने किया विरोध: उधर डीएवी पीजी कॉलेज में कई शिक्षक संगठनों से जुड़े हुए हैं. प्राचार्य के आदेश के बाद राजनीति से जुड़े शिक्षकों में खलबली मची हुई है. अब इस आदेश का विरोध होना शुरू हो गया है. डीएवी पीजी कॉलेज के सभी शिक्षक और शिक्षिकाओं ने मंगलवार को प्राचार्य द्वारा जारी फॉर्मेट (Undertaking) के विषय में सभी शिक्षकों के आम सहमति से निर्णय लेने के लिए आम सभा बैठक करने का निर्णय लिया है. साथ ही सभी ने निर्णय लिया है कि बैठक में निर्णय लेने से पहले कोई भी विभाग, शिक्षक और शिक्षिका घोषणा पत्र पर न तो हस्ताक्षर करे और न ही इसे जमा ही करेगा. प्राचार्य के निर्णय का विरोध करने वालों में डॉ कौशल कुमार (राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, एबीवीपी), डॉ डीके शाही (राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, एबीवीपी), डॉ हरिओम शर्मा (नगर अध्यक्ष, एबीवीपी), डॉ पुष्पेंद्र शर्मा (प्रदेश कार्यकारणी सदस्य, एबीवीपी), डॉ शशि किरण सोलंकी (नगर उपाध्यक्ष, एबीवीपी), डॉ प्रदीप जोशी (प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ), डॉ जसविंदर गोगी (महानगर कार्यवाहक अध्यक्ष, कांग्रेस), डॉ आरके पाठक (प्रदेश सचिव, समाजवादी पार्टी), डॉ राम विनय (संस्कृत आयाम प्रमुख, एबीवीपी), डॉ एसी बाजपेई (सदस्य, एबीवीपी), डॉ जेबीएस रौथाण (नगर कार्यकारिणी सदस्य, एबीवीपी), डॉ डीके त्यागी (महा मंत्री, शिक्षक संघ) शामिल थे.

हरक सिंह रावत का दिया उदाहरण: वहीं केमेस्ट्री के प्रोफेसर डॉ डीके त्यागी ने बताया कि प्राचार्य बेतुकी बात कर रहे हैं. वह भी एक शिक्षक हैं. उन्हें सीनियर के तौर पर पद मिला है. एक्ट के अनुसार जितने भी शिक्षक हैं, वह सभी चुनाव में प्रतिभाग कर सकते हैं और विभिन्न राजनीति दलों में रह सकते हैं. इसका उदाहरण हमारे प्रदेश के पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत का है जब वह गढ़वाल यूनिवर्सिटी में थे. सभी शिक्षक कोई ऐसा कार्य न करें जिससे कॉलेज का माहौल खराब होता हो. लेकिन राजनीतिक पदों पर आसीन रह सके हैं और राजनीतिक गतिविधियां कर सकते हैं.

ब्रिटिश काल में हुई थी डीएवी कॉलेज की स्थापना: देहरादून के डीएवी (पीजी) कॉलेज की स्थापना ब्रिटिश काल में हुई थी. अगर कॉलेज की एलुमनी लिस्ट पर नजर डालें तो दो देशों के प्रधानमंत्री, मंत्री, सेना के अफसर और हिमालय की चोटी फतह करने वाली बछेंद्री पाल का नाम सामने आता है. आज भी इस कॉलेज में उत्तराखंड के अलावा कई बाहरी राज्यों के युवा पढ़ाई करने आते हैं.
पढ़ें-टिहरी: भाजपा प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी का कार्यकर्ताओं ने किया जोरदार स्वागत

डीएवी में पढ़ी हैं विदेशी हस्तियां: डीएवी पीजी कॉलेज देहरादून में कई नामचीन हस्तियों ने शिक्षा हासिल की है. यहां से पढ़े-लिखों की गिनती करें तो सिर्फ भारतीय ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों के लोग भी यहां से पढ़ाई कर चुके हैं. इनमें मॉरीशस के पूर्व प्रधानमंत्री सर शिवसागर रामगुलाम (Former Prime Minister of Mauritius Seewoosagur Ramgoolam) और नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री लोकेंद्र बहादुर चंद (former Nepal Prime Minister Lokendra Bahadur Chand) का नाम प्रमुख है.

हेमवती नंदन बहुगुणा ने डीएवी में पढ़ा है: देश की बात करें तो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा (Hemwati Nandan Bahuguna), भारत सरकार के पूर्व मंत्री महावीर त्यागी, ब्रह्मदत्त, पूर्व भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल बीसी जोशी, एवरेस्ट पर कदम रखने वाली पहली महिला पर्वतारोही बछेंद्री पाल (Indian mountaineer Bachendri Pal), वैज्ञानिक डॉ. फारुख शेख जैसे अनगिनत लोगों ने इसी संस्थान से शिक्षा हासिल की है.

ये है डीएवी कॉलेज का पूरा नाम: डीएवी पीजी कॉलेज (DAV PG College Dehradun) का पूरा नाम दयानंद एंग्लो वैदिक (Dayanand Anglo Vedic) स्नातकोत्तर महाविद्यालय है. महात्मा हंसराज के निर्देशन में सबसे पहले डीएवी कॉलेज ट्रस्ट एवं प्रबंध समिति के प्रथम स्कूल की स्थापना 1 जून, 1886 को पाकिस्तान के लाहौर में हुई. इसके बाद इस संस्थान की स्थापना साल 1892 में एक रात्रिकालीन संस्कृत पाठशाला के रूप में मेरठ में की गई. साल 1904 में देहरादून के ठाकुर पूरन सिंह नेगी ने इस कॉलेज के लिए जमीन दान की. जिसके बाद संस्थान को मेरठ से देहरादून स्थानांतरित कर दिया गया. साल 1922 में इसे इंटरमीडिएट कॉलेज के रूप में शुरू किया गया और साल 1946 में यह डिग्री कॉलेज के रूप में संचालित होने लगा. जबकि, साल 1948 में डीएवी महाविद्यालय के रूप में स्थापित हो गया.

Last Updated : Nov 27, 2022, 1:52 PM IST
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