देहरादूनः उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर लीक (UKSSSC paper leak) मामले व अन्य भर्ती घोटाला में एसटीएफ की ताबड़तोड़ से शासन के उच्च अधिकारियों की नींद उड़ गई है. यही कारण है कि उत्तराखंड एसटीएफ की किसी भी कार्रवाई की सूचनाओं के आदान-प्रदान में मीडिया को प्रतिबंध कर दिया गया है. यानी एसटीएफ मुख्यालय से मीडिया को किसी भी तरह की कार्रवाई संबंधित जानकारी और अधिकारिक बयान देने के लिए शासन स्तर से प्रतिबंध लगाने की बात सामने आई है. जानकारी के मुताबिक, इसकी बड़ी वजह समय से पहले एसटीएफ की गोपनीय सूचनाओं के लीक होने का हवाला दिया जा रहा है.
क्यों छिपाई जा रही कार्रवाईः UKSSSC पेपर लीक सहित अन्य भर्ती घोटालों में उत्तराखंड एसटीएफ लगभग तीन दर्जन अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. वहीं, वन दारोगा भर्ती घोटाले में 2 और आरोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी है, लेकिन कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. एसटीएफ द्वारा जानकारी छिपाए जाने पर सवाल खड़े हो गए हैं. ये तब है जब सरकार एसटीएफ के सराहनीय कार्य की तारीफ खुले मंचों से कर रही है.
वन दारोगा भर्ती घोटाले में गिरफ्तार की चर्चाः वन दारोगा भर्ती घोटाले में दो और अभियुक्तों को गिरफ्तार की चर्चा हो रही है. हालांकि, संबंधित जांच एजेंसी के अधिकारी अब चुप्पी साधे बैठे हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जीरो टॉलरेंस की दुहाई देकर सरकार जहां एक के बाद एक भर्ती गड़बड़ियों में निष्पक्ष जांच दावा कर रही थी. अब उन कार्रवाई की सूचनाओं को क्यों छिपाया जा रहा है.
मीडिया पर प्रतिबंध सरकार के लिए अच्छा नहीं: उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा के मुताबिक, UKSSSC सहित अन्य भर्तियों में अभी तक एसटीएफ ने बेहद सराहनीय कार्य किया है. जिसके लिए न सिर्फ सरकार बल्कि पूरे प्रदेशवासी इसकी तारीफ कर STF की पीठ थपथपा रहे हैं. अभी तक जांच एजेंसी के माध्यम से जो सूचनाएं मीडिया तक पहुंची वही प्रकाशित भी हुई. जिससे ईमानदार अभ्यर्थी और जनता को हर कार्रवाई के बारे में अवगत कराया गया. वर्तमान में इस पूरे प्रकरण पर राज्य भर में आक्रोश है. जिम्मेदार मीडिया सरकार के अधीन एजेंसी के सराहनीय कार्य को ही प्रकाशित कर रही है. ऐसे में अब अगर अघोषित सूचनाओं के आदान-प्रदान में मीडिया पर प्रतिबंध लगाया गया है तो यह सरकार के लिए अच्छा नहीं है.
शर्मा ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता को सरकार और उसके अधीनस्थ विभागों की उपलब्धियों, सफलता, असफलता लोक हित में लिए गए फैसलों आदि को जानने का अधिकार है. इसलिए जनता को सूचना से वंचित नहीं किया जा सकता. हां, लेकिन व्यापक राज्य हित में किसी सूचना को सार्वजनिक न करना जरूरी है, तो ऐसा किया जा सकता है.