विकासनगर: आसन कंजर्वेशन रिजर्व रामसर साइट में कई सालों बाद दुर्लभ पलाश फिश ईगल का जोड़ा नजर आया है. जिससे वन महकमा और पक्षी प्रेमी गदगद हैं. यह ईगल पक्षी गणना के दौरान दिखाई दिया है. जबकि, गणना के दौरान 117 प्रकार के स्थानीय और प्रवासी पक्षी पाए गए हैं. वहीं, इन दिनों प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट से आसन झील का नजारा देखते ही बन रहा है.
बता दें कि सर्दियों का मौसम आहत देते ही विदेशी परिंदों का आगमन शुरू हो जाता है. जिसके तहत रामसर साइट आसन झील (बैराज) में हजारों प्रवासी पक्षियों का झुरमुट नजर आने लगता है. ये पक्षी साइबेरिया, यूरोप, ईरान, इराक, अफगानिस्तान समेत उच्च हिमालयी क्षेत्रों से बड़ी संख्या में आते हैं. जिनकी हिफाजत का जिम्मा चकराता वन प्रभाग का होता है. इस दौरान वन महकमा पक्षियों की गणना भी करता है.
इस बार भी रामसर साइट आसन कंजर्वेशन रिजर्व में पक्षियों की गणना की गई. जिसके तहत दुर्लभ पलाश फिश ईगल भी दिखाई दिया है. जिसने आसन झील शान को और दोगुना कर दिया. वहीं, आसन झील में प्रवासी पक्षियों के दीदार करने के लिए काफी संख्या में सैलानी और पक्षी प्रेमी आते हैं. जो पक्षियों को निहारने के साथ अपने कैमरे में उनकी तस्वीरें कैद करते नजर आते हैं. स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की कलरव एवं चहचहाहट से आसन झील का नजारा देखते ही बनता है.
जनवरी महीने में पक्षियों की गणना के दौरान दुर्लभ पलाश फिश ईगल का जोड़ा भी दिखाई दिया है. इस गणना में 5,225 पक्षी पाए गए. जिसमें 117 प्रकार के स्थानीय और प्रवासी पक्षी शामिल हैं. प्रवासी पक्षियों में रेड क्रेस्टेड, गेडवाल, मलाड, कूड आदि पक्षियों समेत पलाश फिश ईगल का जोड़ा भी नजर आया है. - प्रदीप सक्सेना, पक्षी विशेषज्ञ/वन दरोगा, चकराता वन प्रभाग
चकराता वन प्रभाग के पक्षी विशेषज्ञ प्रदीप सक्सेना ने बताया कि आसन झील में अक्टूबर महीने के पहले हफ्ते से प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो जाता है. जो फरवरी अंतिम हफ्ते में अपने देश की लौटने लग जाते हैं. जिसका सिलसिला मार्च महीने तक रहता है. उसके बाद स्थानीय पक्षी ही आसन झील में दिखाई देते हैं.
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