देहरादून: कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच पतंजलि की कोरोनिल दवा कुछ घंटों के लिए ही देश को राहत दे पाई. हालांकि लॉन्चिंग के कुछ घंटों बाद ही पतंजलि की कोरोना वायरस की दवा कोरोनिल पर पेंच फंस गया. आयुष मंत्रालय ने दिव्य फॉर्मेसी को नोटिस जारी कर दवा से जुड़ी सभी जानकारियां मांगी है. कोरोनिल पर हो रहे विवाद के बीच दिव्य फार्मेसी के सीईओ आचार्य बालकृष्ण का पहली बार बयान सामने आया है.
बालकृष्ण ने कहा कि जिस आयुष मंत्रालय की बात की जा रही है, उससे ज्यादा रिसर्च पतंजलि ने किया है. इंटरनेशनल रिसर्च जनरल में पतंजलि के रिसर्च पब्लिश हैं. यही नहीं पूरे भारत में किसी भी संस्थान से सबसे अधिक साइंटिस्ट और रिसर्चर पतंजलि में काम कर रहे हैं. पतंजलि के रिसर्चर ने जब साक्ष्य आधारित मेडिसिन को लॉन्च किया तो कुछ लोगों को पीड़ा हो गई. बालकृष्ण के मुताबिक ऐसे लोग पीड़ा के नाम पर जनता को लूटने का काम करते हैं.
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बालकृष्ण ने कहा कि अगर लोग पतंजलि की दवा नहीं खाना चाहते हैं तो ना खाएं. लेकिन कोरोना वायरस से बचने के लिए अश्वगंधा, तुलसी घनवटी और गिलोय घनवटी आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं. क्योंकि विश्व भर में लोगों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं. ऐसे में लोग कोरोना वायरस से बचने के लिए इन आयुर्वेदिक दवाइयों का प्रयोग कर सकते हैं.
इस दौरान बालकृष्ण ने देशवासियों से एकजुट होकर आयुर्वेद, संस्कृति और संस्कार के युद्ध में सहयोग करने की अपील की है. आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि योगपीठ की दवाओं को 'ऑर्डर मी' ऐप के जरिए खरीद सकते हैं. हालांकि कोरोनिल के बाजार में आने में समय लग सकता है.