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देहरादून: 'सीता रसोई' से भर रहा गरीबों का पेट - भर रहा गरीबों का पेट

लॉकडाउन के चलते सबसे बड़ा संकट उन गरीब दिहाड़ी मजदूरों पर मंडरा रहा है जो प्रतिदिन दिहाड़ी मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पेट भर रहे थे. ऐसे में राजधानी में कई संस्थाएं इन गरीब परिवार को भोजन और राशन मुहैया करा रही है. जिससे इन्हें भूखा न सोना पड़े.

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लॉकडाउन में गरीबों की मदद.
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Published : Apr 19, 2020, 6:24 PM IST

देहरादून: लॉकडाउन के चलते सबसे बड़ा संकट उन गरीब दिहाड़ी मजदूरों पर मंडरा रहा है जो प्रतिदिन दिहाड़ी मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पेट भर रहे थे. अब इनपर लॉकडाउन की मार पड़ रही है. काम न मिलने से कई मजदूर परिवारों के आगे रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में राजधानी में कई संस्थाएं इन गरीब परिवार को भोजन और राशन मुहैया करा रही है. जिससे इन्हें भूखा न सोना पड़े.

यह भी पढ़ें: गर्भावस्था और कोरोना वायरस महामारी : क्या हमें चिंता करनी चाहिए?

बता दें कि लॉकडाउन के संकट में जिला प्रशासन और पुलिस मदद का हाथ आगे बढ़ाया है. वहीं जनपद में श्री बालाजी सेवा समिति जो सीता रसोई के माध्यम से प्रतिदिन 1200 से 1500 भोजन के पैकेट इन गरीबों तक पहुंचा रही है. लॉकडाउन से पहले भी ढाई साल से यह संस्था हर रविवार को बस्ती में जाकर 300 से 400 बच्चों को खाना उपलब्ध करा रहे हैं. साथ ही प्रत्येक महीने 21 बुजुर्ग परिवार को पूरे महीने का राशन देने का काम करते हैं.

लॉकडाउन में गरीबों की मदद.

समिति के अध्यक्ष अखिलेश अग्रवाल ने बताया कि पिछले ढाई सालों से गरीब तबके तक भोजन पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं. साथ ही समिति गरीब कन्याओं का विवाह कराती है और अभी तक आठ सालों में 158 कन्याओं का विवाह करा चुकी है.

देहरादून: लॉकडाउन के चलते सबसे बड़ा संकट उन गरीब दिहाड़ी मजदूरों पर मंडरा रहा है जो प्रतिदिन दिहाड़ी मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पेट भर रहे थे. अब इनपर लॉकडाउन की मार पड़ रही है. काम न मिलने से कई मजदूर परिवारों के आगे रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में राजधानी में कई संस्थाएं इन गरीब परिवार को भोजन और राशन मुहैया करा रही है. जिससे इन्हें भूखा न सोना पड़े.

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बता दें कि लॉकडाउन के संकट में जिला प्रशासन और पुलिस मदद का हाथ आगे बढ़ाया है. वहीं जनपद में श्री बालाजी सेवा समिति जो सीता रसोई के माध्यम से प्रतिदिन 1200 से 1500 भोजन के पैकेट इन गरीबों तक पहुंचा रही है. लॉकडाउन से पहले भी ढाई साल से यह संस्था हर रविवार को बस्ती में जाकर 300 से 400 बच्चों को खाना उपलब्ध करा रहे हैं. साथ ही प्रत्येक महीने 21 बुजुर्ग परिवार को पूरे महीने का राशन देने का काम करते हैं.

लॉकडाउन में गरीबों की मदद.

समिति के अध्यक्ष अखिलेश अग्रवाल ने बताया कि पिछले ढाई सालों से गरीब तबके तक भोजन पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं. साथ ही समिति गरीब कन्याओं का विवाह कराती है और अभी तक आठ सालों में 158 कन्याओं का विवाह करा चुकी है.

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