देहरादून: तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने के बाद सवाल उठ रहा है कि आखिरकार मुख्यमंत्री विधानसभा का चुनाव कहां से लड़ेंगे? एक तरफ सतपाल महाराज ने अपनी विधानसभा छोड़ने की चर्चाओं का खंडन किया है. वहीं, दूसरी तरफ बदरीनाथ सीट से विधायक महेंद्र भट्ट ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के लिए अपनी सीट छोड़ने की पेशकश की है. उन्होंने कहा, इससे क्षेत्र का विकास होगा.
दरअसल, तीरथ सिंह रावत फिलहाल पौड़ी से सांसद हैं और उन्हें 6 महीने के भीतर विधानसभा चुनाव के जरिए विधायक बनना होगा. ऐसे में प्रदेश के चुनावी गलियारों में चर्चाएं तेज हैं कि आखिरकार तीरथ सिंह रावत प्रदेश में किस विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे. सल्ट विधानसभा से विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के निधन के बाद यह सीट खाली है और इस सीट पर हाल ही में चुनाव होने हैं. लेकिन तीरथ सिंह रावत के लिए सीट कितनी मुफीद रहेगी, यह देखना बाकी है.
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उधर ,चर्चाएं थी कि सतपाल महाराज जिस चौबट्टाखाल विधानसभा से विधायक हैं, वह सीट तीरथ सिंह रावत के लिए छोड़ रहे हैं. इसके साथ ही चर्चाएं थी कि सतपाल महाराज को पौड़ी लोकसभा सीट से सांसद का चुनाव लड़ा कर इस सीट को तीरथ सिंह रावत के लिए खाली किया जा सकता है. इन चर्चाओं के बीच सतपाल महाराज ने प्रेस रिलीज जारी करते हुए चौबट्टाखाल सीट छोड़ने से इनकार किया है.
ऐसे में अब बदरीनाथ विधायक महेंद्र भट्ट ने अपनी सीट तीरथ सिंह रावत के लिए खाली करने का प्रस्ताव दिया है. उन्होंने कहा कि तीरथ सिंह रावत उनके क्षेत्र के सांसद हैं और यह क्षेत्र एक सीमांत विधानसभा है. लिहाजा यदि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत बदरीनाथ विधानसभा सीट से लड़ते हैं तो उन्हें खुशी होगी और इससे उनकी विधानसभा का विकास भी होगा.
तीरथ सिंह रावत का राजनीतिक अनुभव
उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं. वो साल 2013 से 2015 तक बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे. इसके साथ ही चौबट्टाखाल से 2012 से 2017 के बीच गढ़वाल की चौबट्टाखाल विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक रहे हैं. साथ ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से उनका पुराना नाता रहा है. वो विद्यार्थी परिषद के जरिए छात्र राजनीति में सक्रिय रहे. 1983 से 1988 के बीच तीरथ सिंह रावत आरएसएस संगठन में सक्रिय रहे.
तीरथ सिंह रावत की सक्रिय राजनीति में इंट्री साल 1997 में हुई. तीरथ सिंह रावत साल 1997 में पहली बात उत्तर-प्रदेश परिषद के सदस्य बने. उत्तराखंड बनने के बाद नित्यानंद स्वामी सरकार में वो पहली सरकार में शिक्षा राज्यमंत्री रहे. 2012 में वो चौबट्टाखाल से विधायक बने और 2013 में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया.
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्हें विधायक का टिकट नहीं दिया गया, लेकिन 2019 में उन्हें बीजेपी ने पौड़ी गढ़वाल से सांसद का टिकट दे दिया और वो कांग्रेस उम्मीदवार मनीष खंडूडी को हराकर संसद पहुंचे. तीरथ सिंह रावत साल 2019 लोकसभा चुनाव में हिमाचल के प्रभारी भी रहे.