मसूरी: केंद्र और राज्य सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी ऐतिहासिक जॉर्ज एवरेस्ट हाउस बदहाली के आंसू रो रहा है. जॉर्ज एवरेस्ट हाउस का जीर्णोद्धार और क्षेत्र के सौंदर्यीकरण के लिए कई प्रस्ताव बनाए गए, लेकिन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की रोक के कारण कोई भी प्रस्ताव धरातल पर नहीं उतर पाया. वहीं, यहां पर शराब की बोतले और गंदगी का अंबार लगने से स्थिति और बदतर हो गई है.
भारत के प्रथम सर्वेक्षण अधिकारी सर जॉर्ज एवरेस्ट का 4 जुलाई को जन्मदिन है. जिनके द्वारा मसूरी स्थित जॉर्ज एवरेस्ट हाउस में रहकर आसपास के क्षेत्र का सर्वेक्षण किया गया था. जिनके जन्मदिन को पिछले कई सालों से उत्तराखंड पर्यटन विभाग धूमधाम से मनाता आया है. लेकिन, इस बार जॉर्ज एवरेस्ट हाउस की दुर्दशा और जॉर्ज एवरेस्ट जाने के लिए हाथीपाव से सड़क की स्थिति बदहाल होने के कारण जन्मदिन नहीं मनाया जा रहा है.
दिल्ली और पंजाब से जॉर्ज एवरेस्ट घूमने आए पर्यटकों ने बताया कि जॉर्ज एवरेस्ट का नाम सुनने के बाद जॉर्ज एवरेस्ट हाउस और प्रयोगशाला को देखने के लिए वो अपने परिवार के साथ यहां पहुंचे. लेकिन, जॉर्ज एवरेस्ट हाउस की बदहाल हालत और आसपास फैली गंदगी और शराब की खाली बोतलों को देखकर काफी मायूस हुए हैं. वहीं, जॉर्ज एवरेस्ट में शौचालय और पेयजल की व्यवस्था नहीं होने के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जॉर्ज एवरेस्ट के 2 किलोमीटर की सड़क का हाल बदहाल होने के कारण कई वाहन अनियंत्रित होकर सड़क पर पलट जाते हैं. इसके लिए सरकार को सुविधाएं मुहैया करानी चाहिए.
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बता दें कि सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस भारत के प्रथम सर्वेक्षण अधिकारी सर जॉर्ज एवरेस्ट ने बनाया था. उन्होंने यहां पर ही रह कर त्रिकोणीय पद्धति का आविष्कार किया. साथ ही यहां पर कई सर्वे भी किए. वहीं, विश्व की सबसे ऊंची चोटी की खोज करने के कारण उन्हीं के नाम पर इस चोटी का नाम जॉर्ज एवरेस्ट रखा गया था.
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हाल ही में 29 करोड़ रुपये की लागत से जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के साथ आसपास के क्षेत्र में सौंदर्यीकरण और सड़क के निर्माण को लेकर योजना बनाई गई थी. योजना की स्वीकृति होने के बाद टेंडर प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई थी, लेकिन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की रोक के कारण इसका काम आज तक शुरू नहीं हो पाया.