देहरादूनः मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हाईकोर्ट के निर्णय का पालन किये जाने का आदेश जारी किए थे. लेकिन 52 दिनों से आंदोलित आयुष छात्रों का भला शायद सरकार के आदेश से भी नहीं हो पायेगा. वहीं, आयुष मंत्री की बातचीत में कुछ ऐसे ही तथ्य सामने आए हैं.जिसको लेकर आयुष मंत्री ने कहा है कि निजी कॉलेजों ना तो सरकार के आदेश को मानते है ना ही कोर्ट की. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि छात्रों को इस निर्णय के बाध धरना समाप्त कर देना चाहिए.
बता दें की, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पहले ही आनन-फानन में आयुर्वेदिक कोर्सेज की फीस को लेकर हाईकोर्ट के निर्णय का पालन करने के आदेश जारी किए थे. लेकिन सवाल यह उठता है कि आंदोलित छात्रों के 50 दिन से भी ज्यादा समय के बाद सरकार को यह निर्णय लेने की याद कैसे आई. हाईकोर्ट ने आंदोलित आयुष छात्रों के पक्ष में काफी पहले ही बढ़ाई गई फीस को कम करने के आदेश दिए थे. लेकिन इसके बाद भी छात्रों से वसूली गयी बढ़ी हुई फीस न तो वापस की गई, ना ही फिस को कम किया गया.
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आयुष मंत्री के बयान से साफ हो गया है कि आयुष छात्रों के लिए सरकार का निर्णय भी बेकार ही है. उन्होंने कहा कि निजी कॉलेजों ना तो सरकार के आदेश को मानते है ना ही कोर्ट की. आयुष मंत्री ने इससे भी आगे बढ़कर सरकार का निजी कॉलेजों पर कोई नियंत्रण नहीं होने तक की बात कही. जिसमें केंद्रीय मंत्री से लेकर उत्तराखंड सरकार के मंन्त्री और बाबा रामदेव तक के नाम सामने आते हैं. जिसको लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सरकार द्वारा निर्णय लिया जा चुका है और अब भी छात्र धरने पर बैठे हैं, तो वह उनका लोकतांत्रिक अधिकार है..