देहरादून: उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में 41 मजदूरों की जिंदगी को बचाने की जद्दोजहद जारी है. उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में अभी 12 मीटर खुदाई होनी बाकी है. बीते चार दिनों से उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में ऑगर मशीन ताबड़तोड़ काम कर रही है. कई बार खराब होने के बाद भी मशीन ऑपरेटर्स ने हार नहीं मानी. जिसका नतीजा है कि बीते 2 दिनों में आधे से अधिक खुदाई ऑगर मशीन से हो रही है. टनल में हो रही लगातार हो रही खुदाई के बाद मजदूरों की उम्मीद बढ़ गई हैं. मशीन के जरिए मलबे को भेदकर एस्केप पैसेज तैयार किया जा रहा है. ऐसा लग रहा है कि उत्तरकाशी रेस्क्यू ऑपरेशन में ऑगर मशीन मजदूरों के लिए 'मसीहा' साबित हो रही है.
बता दें 12 नवंबर को उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में लैंडस्लाइड हुआ. इसके अगले दिन 13 नवंबर को टनल में पाइप अंदर डालने का काम शुरू हुआ. इस दिन 20 मीटर ड्रिलिंग की गई. 14 नवंबर और 15 नवंबर को ड्रिलिंग का काम रुक गया. मशीन में खराबी होने के कारण ड्रिलिंग रोकी गई. इसके बाद टनल में फंसे अंदर मजदूरों की सांसे अटक गई. इसके बाद 16 नवंबर को दिल्ली से वायुसेना के हरक्यूलिस विमानों से तीन खेप में 25 टन वजनी अमेरिकन जेक एंड पुश अर्थ ऑगर मशीन मंगवाई गई. जिसके साथ ट्रंसलेस इंजीनियरिंग सर्विस की टीम भी पहुंची थी, लेकिन ये मशीन 17 नवंबर की रात 22 मीटर तक ड्रिल कर अटक गई. बाद में इस मशीन से 900 मिमी के पाइपों के अंदर ही 800 मिमी के पाइप डालने का निर्णय लिया गया.ऑगर मशीन मंगाई गई. इस मशीन की खासियत ये है कि जिस पाइप को मजदूरों और अन्य मशीनों द्वारा मलबे के बीच से अंदर दाखिल नहीं किया जा सकता था, ये मशीन वो काम चंद घंटों में पूरा कर सकती थी. ये मशीन 5 मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पहाड़ को काटने में सक्षम है, जबकि इस दौरान आसपास के पहाड़ को इससे कोई खतरा नहीं होगा.
पढे़ं-उत्तरकाशी टनल हादसा: अमेरिकन ऑगर पर टिकी ऑपरेशन 'जिंदगी' की उम्मीदें, जानिए क्या है खासियत
इसी उम्मीद के साथ ऑगर मशीन से खुदाई शुरू की गई. इसके बाद मजदूरों की आस फिर से जग गई, मगर ये आस कुछ समय बाद ही टूट गई. देर रात ऑगर मशीन से खुदाई की जा रही थी, तभी मशीन के सामने लोहे की चीज आ गई. जिसके कारण फिर से खुदाई की गई. साथ ही ऑगर मशीन की बोरिंग भी टूट गई. जिसके कारण फिर से ड्रिलिंग का काम रुक गया.
इसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए इंदौर से दूसरी ऑगर मशीन मंगाई गई. इस बीच केंद्र से पीएमओ की टीम भी मौके पर पहुंच गई. साथ ही अधिकारियों का भी मौके पर जमावड़ा लग गया. बाद रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए सेना की मदद भी ली गई. रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए 6 विकल्पों पर काम किया गया. इस बीच अमेरिकन ऑगर मशीन ने फिर काम करना शुरू किया. इस बार ऑगर मशीन ने रेस्क्यू ऑपरेशन को रफ्तार दी. दो दिनों में 45 मीटर तक की ड्रिलिंग कर ली गई है. अभी 12 मीटर ड्रिलिंग होनी बाकी है. सिलक्यारा टनल में जैसे ही ये 12 मीटर ड्रिलिंग पूरी होगी वैसे ही टनल में फंसे 41 मजदूर 13 दिन बाद खुला आसमान देखेंगे. जिसमें सबसे बड़ा रोल ऑगर मशीन का होगा.
एक घंटे में 5 मीटर तक ड्रिलिंग कर सकती है मशीन: करीब साढ़े चार मीटर लंबी, ढाई मीटर चौड़ी व 2 मीटर ऊंची ऑगर मशीन से 1 घंटे 5 मीटर तक ड्रिलिंग की जा सकती है. यहां पाइपों की वेल्डिंग, बरमे के आगे सरिया, गाटर जैसी बाधाएं आने के साथ एलाइनमेंट आदि में ज्यादा समय लगा. यहां यह मशीन एक घंटे में 1.8 मीटर ही ड्रिलिंग कर पा. एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल, ने बताया अमेरिकी ऑगर मशीन विशेष रूप से सीवर और पानी की पाइप लाइन डालने के काम में लाई जाती है. मशीन से जमीन के अंदर आसानी से पाइपलाइन बिछाई जा सकती है.