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बारिश होते ही सताने लगता है यहां रह रहे 60 परिवारों को मौत का डर, ETV भारत के कैमरे के सामने खुली सच्चाई

मानसून के दस्तक देते ही आर्य नगर नई बस्ती में रह रहे लोगों को अब अपनी जिंदगी का डर सताने लगा है. यहां के पुश्तों को नदी ने अंदर से खोखला कर दिया है. लेकिन शासन और प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है.

ईटीवी भारत की टीम ने लिया आर्य नगर नई बस्ती का जायजा
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Published : Jun 19, 2019, 7:51 PM IST

देहरादून: मानसून की दस्तक से जहां एक ओर गर्मी से परेशान लोगों के चेहरों पर मुस्कान आई है. वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जिनके माथे पर चिंता के लकीरें पड़ गई है. रिस्पना किनारे रह रहे आर्य नगर नई बस्ती के लोगों को अपनी जिंदगी का डर सताने लगा है. लेकिन शासन और प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है.

ईटीवी भारत की टीम ने लिया आर्य नगर नई बस्ती का जायजा

आर्य नगर नई बस्ती का जायजा लेने जब ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची तो मौत के साये में जी रहे लोगों की हकीकत सामने आ गई. दरअसल, पिछले कई सालों से लगभग 50-60 परिवार रिस्पना नदी किनारे मलिन बस्ती में रह रहे हैं. जहां हर बरसात में इनके ऊपर मौत का साया मंडराने लगता है. यहां के पुश्तों को नदी ने अंदर से खोखला कर दिया है. जो कभी भी भरभराकर गिर सकते हैं.

पढे़ं- श्रद्धालुओं को ठग रहे हेली कंपनी के ट्रैवल एजेंट, आंध्र प्रदेश के तीर्थयात्रियों को लगाया लाखों का चूना

बस्ती वासियों का कहना है कि कई बार यहां से बच्चे नीचे गिरकर चोटिल हो चुके हैं. कई बार गाड़ियां भी यहां से नीचे गिर चुकी हैं. लेकिन शासन की लापरवाही और प्रशासन की नाकामी के कारण अबतक यहां पर किसी तरह का कार्य नहीं हो पाया है.

मानसून के दस्तक देते ही यहां रह रहे लोगों को अब अपनी जिंदगी का डर सताने लगा है. उन्हें डर है कि कहीं इस बरसात में पानी का तेज बहाव उनके खोखले हो चुके पुश्तों को बहा न ले जाए. बता दें कि कमोवेश यही हालात पिछले साल भी थे. मसूरी विधायक गणेश जोशी भी यहां का जायजा लेकर और आश्वासन देकर जा चुके हैं. लेकिन आज भी हालत जस के तस बने हुए हैं.

देहरादून: मानसून की दस्तक से जहां एक ओर गर्मी से परेशान लोगों के चेहरों पर मुस्कान आई है. वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जिनके माथे पर चिंता के लकीरें पड़ गई है. रिस्पना किनारे रह रहे आर्य नगर नई बस्ती के लोगों को अपनी जिंदगी का डर सताने लगा है. लेकिन शासन और प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है.

ईटीवी भारत की टीम ने लिया आर्य नगर नई बस्ती का जायजा

आर्य नगर नई बस्ती का जायजा लेने जब ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची तो मौत के साये में जी रहे लोगों की हकीकत सामने आ गई. दरअसल, पिछले कई सालों से लगभग 50-60 परिवार रिस्पना नदी किनारे मलिन बस्ती में रह रहे हैं. जहां हर बरसात में इनके ऊपर मौत का साया मंडराने लगता है. यहां के पुश्तों को नदी ने अंदर से खोखला कर दिया है. जो कभी भी भरभराकर गिर सकते हैं.

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बस्ती वासियों का कहना है कि कई बार यहां से बच्चे नीचे गिरकर चोटिल हो चुके हैं. कई बार गाड़ियां भी यहां से नीचे गिर चुकी हैं. लेकिन शासन की लापरवाही और प्रशासन की नाकामी के कारण अबतक यहां पर किसी तरह का कार्य नहीं हो पाया है.

मानसून के दस्तक देते ही यहां रह रहे लोगों को अब अपनी जिंदगी का डर सताने लगा है. उन्हें डर है कि कहीं इस बरसात में पानी का तेज बहाव उनके खोखले हो चुके पुश्तों को बहा न ले जाए. बता दें कि कमोवेश यही हालात पिछले साल भी थे. मसूरी विधायक गणेश जोशी भी यहां का जायजा लेकर और आश्वासन देकर जा चुके हैं. लेकिन आज भी हालत जस के तस बने हुए हैं.

Intro:देहरादून- चिलचिलाती गर्मी से परेशान राजधानी की आम जनता को जहां एक तरफ मानसून की दस्तक का बेसब्री से इंतज़ार है । वहीं दूसरी तरफ राजधानी की ही आर्य नगर नई बस्ती के लोग मानसून की दस्तक से पहले सहमे हुए हैं।

दरअसल यह बस्ती रिस्पना नदी के किनारे बसी हुई है । ऐसे में जब कभी भी बरसात में नदी पूरे उफान पर होती है तब नदी का तेज बहाव बस्ती के किनारे बने पुस्ते को अपने साथ बहा ले जाता है ।

आर्य नगर नई बस्ती का जायजा लेने आज जब ईटीवी भारत की टीम खुद मौके पर पहुंची तो हम भी बस्ती के पुस्तों की हालत को देखकर दंग रह गए। बता दे की एक तरफ नदी किनारे बीते कई लोग सालों से रह रहे हैं । वहीं दूसरी तरफ नदी के किनारे बने पुस्तों की स्थिति कुछ यह है कि यह पुस्तक कई जगह से टूटे हुए हैं । वहीं कई जगह से इस पुस्ते को नदी ने अंदर से खोखला कर दिया है।




Body:बस्ती वासियों से जब हमने इन खोखले पुस्तों के संबंध में बात की तो उनका कहना था कि पिछले दो-तीन सालों से वह इसी स्थिति में बस्ती में अपने नौनिहालों के साथ ज़िन्दगी बिता रहे हैं। हालांकि उनकी बस्ती का जायजा लेने के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों ने भी रुख किया है । लेकिन अब तक भी इन पुस्तों की मरम्मत का कार्य शुरू तक नहीं हो पाया है।

बस्ती वासियों का साफ शब्दों में कहना था कि अब से कुछ ही दिनों में मानसून दस्तक देने वाला है। ऐसे में उन्हें डर है कि कहीं ऐसा न हो की इस बरसात में पानी के तेज बहाव के चलते इन खोखले पुस्तों के साथ उसकी पूरी बस्ती ही न बह जाए।


Conclusion:बहरहाल देहरादून की कई अन्य मलिन बस्तियों की भी स्थिति आर्य नगर नई बस्ती की ही तरह है। लेकिन शासन-प्रशासन हो या फिर जिम्मेदार सिंचाई विभाग किसी ने भी अब तक इन बस्ती वासियों की सुध लेने की नहीं सोची है । आखिर सरकारी मशीनरी की नींद कब टूटेगी । क्या सरकारी मशीनरी को किसी बड़े हादसे का इंतजार है?
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