देहरादूनः ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद एक रेपुटेड कंपनी में नौकरी करने की चाहत युवाओं में हमेशा ही बनी रहती है. लेकिन यूपी के पीलीभीत के रहने वाले अर्पण तिवारी अपनी नौकरी छोड़ इन दिनों उत्तराखंड में समाज सेवा के साथ ही प्लांटेशन कर पर्यावरण को बचाने का काम कर रहे हैं.
अर्पण तिवारी बताते हैं कि वह साल 2016 में देहरादून आए. उन्होंने देहरादून में बीबीए और एमबीए की पढ़ाई की. पढ़ाई के दौरान ही अर्पण कई सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़ गए. इस दौरान उन्होंने गरीब और जरूरतमंदों को शिक्षा देने का काम किया. पढ़ाई कंप्लीट हुई तो घर के दबाव और सामाजिक ताने बाने के बीच एक कंपनी में 40 हजार तनख्वाह में बतौर एचआर मैनेजर ज्वॉइन किया. लेकिन नौकरी से संतुष्टि न होने पर अर्पण तिवारी ने नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़ गए.
इसी बीच देहरादून स्थित ओएनजीसी से भी एक अच्छा ऑफर आया. उन्होंने फिर 40 हजार रुपए प्रति महीना की तनख्वाह में कुछ दिनों के लिए ज्वॉइन किया. लेकिन वहां भी मन न लगने के चलते अर्पण ने नौकरी छोड़ सामाजिक संगठनों के साथ आगे बढ़ने का मन बनाया. अब अर्पण उत्तराखंड के तमाम हिस्सों में प्लांटेशन का कार्य कर रहे हैं.
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अर्पण पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक्शन एंड रिसर्च सोसाइटी के तहत ग्रो ट्री प्रोजेक्ट से अभी तक ढाई लाख से ज्यादा वृक्षारोपण कर चुके हैं. इस वृक्षारोपण से न सिर्फ पर्यावरण को फायदा पहुंचा है. बल्कि स्थानीय स्तर पर भी लोगों को एक तरह से रोजगार मिला है. क्योंकि प्लांटेशन करने के लिए अर्पण की संस्था लोगों को प्रेरित करती है और पैसे भी देती है.
अर्पण तिवारी कहते हैं कि आजकल देश में ड्रग्स एडिक्ट की संख्या बढ़ती जा रही है. वर्तमान समय में नशा करना एक फैशन बन गया है. उनका कहना है कि नशा कुछ समय के लिए ही अच्छा लगता है. लेकिन जैसे-जैसे उम्र और जिम्मेदारियां बढ़ती हैं. ऐसे में नशा न सिर्फ उसकी जिंदगी बल्कि उससे जुड़े लोगों की भी जिंदगी को बर्बाद कर देता है.