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सगंध पौध केंद्र में भंगजीरा की नई किस्म विकसित, किसानों को मिलेगा फायदा - new variety of Beefsteak plant

प्रदेश में संगध पौध केंद्र (कैप) ने किसानों का आमदनी बढ़ाने के लिए बड़ा काम किया है. संगध पौध केंद्र ने भंगजीरा पर काम करते हुए इसकी नई किस्म तैयार किया है.

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सगंध पौध केंद्र ने विकसित की भंगजीरा की नई किस्म
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Published : Sep 18, 2020, 10:50 PM IST

देहरादून: संगध पौध केंद्र (कैप) को भंगजीरा की नई किस्म को लेकर बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. दरअसल सालों की मेहनत के बाद भंगजीरा की नई किस्म विकसित कर ली है. हालांकि तैयार की गई नई किस्म की इस पौध में कई खासियत है, जो किसानों के लिहाज से बेहद फायदेमंद मानी जा रही है.

उत्तराखंड में सगंध पौध केंद्र सेलाकुई ने किसानों की आमदनी बढ़ाने को लेकर बड़ा काम किया है. सगंध पौध केंद्र ने भंगजीरा पर काम करते हुए इसकी नई किस्म तैयार की है. इस नई किस्म की खेती करने से किसानों की आय में कई गुना तक बढ़ोतरी हो जाएगी. भंगजीरा की व्यवसायिक खेती के जरिये किसान एक हेक्टेयर भूमि पर ही तीन लाख तक की आमदनी कर सकेंगे.

ये भी पढ़ें: जिला पंचायत संगठन ने घोषित की प्रदेश कार्यकारिणी, यहां देखें पूरी लिस्ट

बताया जा रहा है कि भंगजीरा की इस नई किस्म में ओमेगा की मात्रा 58 प्रतिशत तक है. जिसकी प्रमाणिकता यूएसए से भी मिल चुकी है. खास बात यह है कि जंगली जानवर भी इस खेती को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. जिससे पहाड़ी जिलों में यह खेती काफी लाभदायक हो सकती है. ओमेगा की मात्रा बेहद ज्यादा होने के चलते यह फार्मा उद्योग के लिए बेहद ज्यादा इस्तेमाल आ सकता है. इससे ऑयल कैप्सूल भी बनाए जा सकेंगे. जो कि कॉड लिवर आयल के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा. दूसरे कई देशों में भी इसका बेहद ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है.

देहरादून: संगध पौध केंद्र (कैप) को भंगजीरा की नई किस्म को लेकर बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. दरअसल सालों की मेहनत के बाद भंगजीरा की नई किस्म विकसित कर ली है. हालांकि तैयार की गई नई किस्म की इस पौध में कई खासियत है, जो किसानों के लिहाज से बेहद फायदेमंद मानी जा रही है.

उत्तराखंड में सगंध पौध केंद्र सेलाकुई ने किसानों की आमदनी बढ़ाने को लेकर बड़ा काम किया है. सगंध पौध केंद्र ने भंगजीरा पर काम करते हुए इसकी नई किस्म तैयार की है. इस नई किस्म की खेती करने से किसानों की आय में कई गुना तक बढ़ोतरी हो जाएगी. भंगजीरा की व्यवसायिक खेती के जरिये किसान एक हेक्टेयर भूमि पर ही तीन लाख तक की आमदनी कर सकेंगे.

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बताया जा रहा है कि भंगजीरा की इस नई किस्म में ओमेगा की मात्रा 58 प्रतिशत तक है. जिसकी प्रमाणिकता यूएसए से भी मिल चुकी है. खास बात यह है कि जंगली जानवर भी इस खेती को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. जिससे पहाड़ी जिलों में यह खेती काफी लाभदायक हो सकती है. ओमेगा की मात्रा बेहद ज्यादा होने के चलते यह फार्मा उद्योग के लिए बेहद ज्यादा इस्तेमाल आ सकता है. इससे ऑयल कैप्सूल भी बनाए जा सकेंगे. जो कि कॉड लिवर आयल के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा. दूसरे कई देशों में भी इसका बेहद ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है.

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