ETV Bharat / state

Arch Bird Count: उत्तराखंड बना देश की चिड़ियों का हब, 1305 प्रजातियों में से 700 हैं यहां - Arch Bird Count started

गंगा यमुना का प्रदेश उत्तराखंड आधे देश को पानी पिलाता है और स्वच्छ हवा देता है. इसलिए उत्तराखंड को देश का जल स्रोत और फेफड़ा कहा जाता है. आर्क बर्ड काउंट फाउंडेशन की पिछले 10 साल की जो रिपोर्ट है वो साबित करती है कि उत्तराखंड में पक्षी भी खुद को महफूज महसूस करते हैं. फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार देश में पाई जाने वाली पक्षियों की 1305 प्रजातियों में से 700 देवभूमि उत्तराखंड में हैं. इस बार फिर पक्षियों की गणना का काम शुरू हो गया है.

Uttarakhand Bird News
उत्तराखंड पक्षी समाचार
author img

By

Published : Oct 28, 2022, 1:03 PM IST

Updated : Oct 28, 2022, 10:43 PM IST

देहरादून: पक्षी प्रेमियों की संस्था पिछले 10 सालों से उत्तराखंड में पक्षियों की प्रजातियों की गणना कर रही है. हर साल सैकड़ों की संख्या में वॉलिंटियर उत्तराखंड की वादियों में चिड़ियों का बेसलाइन डायनेमिक इंडेक्स तैयार करते हैं. इस इंडेक्स में निकलकर सामने आया है कि देश में मौजूद पक्षियों की प्रजातियों का एक बड़ा हिस्सा उत्तराखंड के जंगलों में पाया जाता है जो कि उत्तराखंड की समृद्ध जैव विविधता का प्रतीक है.

सवा सौ पक्षी प्रेमियों की 16 टीमें उत्तराखंड में कर रही हैं गणना: गुरुवार को देहरादून से आर्क बर्ड काउंट फाउंडेशन की 16 टीमें उत्तराखंड के गढ़वाल रीजन के पश्चिम में आराकोट से लेकर पूरब में पिंडर घाटी, अलकनंदा नदी और पौड़ी में लैंसडाउन तक पक्षियों की अलग-अलग प्रजातियों की गणना करने के लिए रवाना हो चुकी हैं. आर्क बर्ड काउंट फाउंडेशन द्वारा वर्ष 2008 से लगातार किए जा रहे बर्ड सेंसस का यह दसवां एडिशन है. इसमें देश भर से सवा सौ से ज्यादा अलग अलग सेक्टर के पक्षी प्रेमी वॉलिंटियर भाग ले रहे हैं. यह सभी 16 टीमें अगले 4 दिनों में उत्तराखंड में मौजूद चिड़ियों के बेस लाइन डायनेमिक इंडेक्स का डाटा तैयार करेंगी.

उत्तराखंड बना देश की चिड़ियों का हब.
ये भी पढ़ें:
उत्तराखंड के बेरोजगार युवा सुखदेव पंत से लें सीख! फूलों और फलों के जरिये कर रहे रोजगार सृजन

देश की 70 फीसदी से ज्यादा पक्षियों की प्रजाति उत्तराखंड में: बर्ड वाचिंग का शौक रखने वाले कुछ लोगों द्वारा वर्ष 2008 में अपने शौक को एक डॉक्यूमेंटेशन का रूप देते हुए आर्क वर्ड काउंट फाउंडेशन की नींव रखी गई. ये टीम हर साल उत्तराखंड में चिड़ियों की गणना करती हैं. गणना के बाद एक बेसलाइन डायनेमिक इंडेक्स तैयार करते हैं. संस्था के फाउंडर सदस्य प्रतीक पंवार का कहना है कि पिछले लगातार 10 सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि देश में पाई जाने वाली 1305 चिड़ियों की 1305 प्रजातियों में से उत्तराखंड में 700 से ज्यादा प्रजाति पाई गई हैं जो कि दर्शाता है कि उत्तराखंड की बायोडायवर्सिटी कितनी समृद्ध है.

बर्ड वाचिंग के शौकीन करते हैं पक्षियों की गणना: आर्क संस्था के संस्थापक सदस्य प्रतीक पंवार बताते हैं कि शुरुआत में बर्ड वाचिंग का शौक रखने वाले कई लोग उत्तराखंड के जंगलों में चिड़ियों की तस्वीरें लेने जाते थे. उनको देखने के लिए जाया करते थे. जिसके बाद यह तय किया गया कि बर्ड वाचिंग के साथ-साथ बर्ड सेंसस भी तैयार किया जाएगा. उसके बाद लगातार यह मुहिम शुरू की गई. वाइल्ड लाइफ कम्युनिटी को इन सर्वे से काफी मदद मिली है. प्रतीक पंवार बताते हैं कि उनकी इस बेसलाइन डायनेमिक सर्विस से पता चलता है कि उत्तराखंड में कौन सी नई प्रजाति की चिड़िया फल-फूल रही हैं. वहीं यह भी पता चलता है कि कौन सी प्रजाति की चिड़िया विलुप्ति की कगार पर है.

इस तरह के सर्वे से शोधकर्ताओं को मिलती है मदद: चिड़ियों की गणना के इस अभियान में मौजूद बर्ड साइंटिस्ट शुभा पूर्वा ने बताया कि इस तरह के अभियान से निश्चित तौर पर साइंटिस्ट कम्युनिटी को लाभ मिलता है और जब इस तरह का डाटा तैयार किया जाता है तो उससे वाइल्ड लाइफ पर शोध कर रहे लोगों को उनके शोध के साथ-साथ पक्षियों के संरक्षण और संवर्धन में भी लाभ मिलता है. पक्षियों के संरक्षण की दिशा में किस तरह के कदम उठाए जाने हैं, इसको लेकर भी मदद मिलती है.

शौक बना शोध का जरिया: आर्क बर्ड काउंट फाउंडेशन के इस अभियान में देश भर के कई नौजवान और पक्षी प्रेमी वॉलिंटियर शामिल हैं. गुरुवार को देहरादून से रवाना हुए वॉलिंटियर में एडवर्टाइजमेंट इंडस्ट्री मुंबई से आए नंदकिशोर राजपूत ने बताया कि बर्ड वाचिंग उनका शौक था. इस अभियान के साथ जुड़कर वह एक सार्थक पहल में शामिल हो रहे हैं. उनके शौक के साथ-साथ अब शोध का भी काम हो रहा है. उन्हें इस काम को करके बेहद खुशी मिलती है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में बढ़ा हिम तेंदुओं का कुनबा, 'हिमालय के भूत' को रास आ रहा देवभूमि का वातावरण

राजपूत ने बताया कि वह किस तरह से जंगल में जाकर चिड़ियों की तस्वीरें तो खींचते ही हैं लेकिन इसके साथ साथ वह एक डेटाबेस भी तैयार करते हैं. ये डेटाबेस हमारी साइंटिस्ट कम्युनिटी के लिए बेहद मददगार साबित होता है. इसी तरह से एक और पक्षी प्रेमी विवेक उनियाल ने बताया कि वो एक प्राइवेट सेक्टर से आते हैं. लेकिन उनका पक्षी प्रेम का यह शौक उन्हें एक बेहद अच्छे मकसद के साथ जोड़ रहा है. उन्होंने बताया कि पक्षियों की जनगणना कार्यक्रम उत्तराखंड के लिए बेहद कारगर साबित होने जा रहा है. इससे उत्तराखंड की जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में भी काम हो रहा है.

देहरादून: पक्षी प्रेमियों की संस्था पिछले 10 सालों से उत्तराखंड में पक्षियों की प्रजातियों की गणना कर रही है. हर साल सैकड़ों की संख्या में वॉलिंटियर उत्तराखंड की वादियों में चिड़ियों का बेसलाइन डायनेमिक इंडेक्स तैयार करते हैं. इस इंडेक्स में निकलकर सामने आया है कि देश में मौजूद पक्षियों की प्रजातियों का एक बड़ा हिस्सा उत्तराखंड के जंगलों में पाया जाता है जो कि उत्तराखंड की समृद्ध जैव विविधता का प्रतीक है.

सवा सौ पक्षी प्रेमियों की 16 टीमें उत्तराखंड में कर रही हैं गणना: गुरुवार को देहरादून से आर्क बर्ड काउंट फाउंडेशन की 16 टीमें उत्तराखंड के गढ़वाल रीजन के पश्चिम में आराकोट से लेकर पूरब में पिंडर घाटी, अलकनंदा नदी और पौड़ी में लैंसडाउन तक पक्षियों की अलग-अलग प्रजातियों की गणना करने के लिए रवाना हो चुकी हैं. आर्क बर्ड काउंट फाउंडेशन द्वारा वर्ष 2008 से लगातार किए जा रहे बर्ड सेंसस का यह दसवां एडिशन है. इसमें देश भर से सवा सौ से ज्यादा अलग अलग सेक्टर के पक्षी प्रेमी वॉलिंटियर भाग ले रहे हैं. यह सभी 16 टीमें अगले 4 दिनों में उत्तराखंड में मौजूद चिड़ियों के बेस लाइन डायनेमिक इंडेक्स का डाटा तैयार करेंगी.

उत्तराखंड बना देश की चिड़ियों का हब.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड के बेरोजगार युवा सुखदेव पंत से लें सीख! फूलों और फलों के जरिये कर रहे रोजगार सृजन

देश की 70 फीसदी से ज्यादा पक्षियों की प्रजाति उत्तराखंड में: बर्ड वाचिंग का शौक रखने वाले कुछ लोगों द्वारा वर्ष 2008 में अपने शौक को एक डॉक्यूमेंटेशन का रूप देते हुए आर्क वर्ड काउंट फाउंडेशन की नींव रखी गई. ये टीम हर साल उत्तराखंड में चिड़ियों की गणना करती हैं. गणना के बाद एक बेसलाइन डायनेमिक इंडेक्स तैयार करते हैं. संस्था के फाउंडर सदस्य प्रतीक पंवार का कहना है कि पिछले लगातार 10 सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि देश में पाई जाने वाली 1305 चिड़ियों की 1305 प्रजातियों में से उत्तराखंड में 700 से ज्यादा प्रजाति पाई गई हैं जो कि दर्शाता है कि उत्तराखंड की बायोडायवर्सिटी कितनी समृद्ध है.

बर्ड वाचिंग के शौकीन करते हैं पक्षियों की गणना: आर्क संस्था के संस्थापक सदस्य प्रतीक पंवार बताते हैं कि शुरुआत में बर्ड वाचिंग का शौक रखने वाले कई लोग उत्तराखंड के जंगलों में चिड़ियों की तस्वीरें लेने जाते थे. उनको देखने के लिए जाया करते थे. जिसके बाद यह तय किया गया कि बर्ड वाचिंग के साथ-साथ बर्ड सेंसस भी तैयार किया जाएगा. उसके बाद लगातार यह मुहिम शुरू की गई. वाइल्ड लाइफ कम्युनिटी को इन सर्वे से काफी मदद मिली है. प्रतीक पंवार बताते हैं कि उनकी इस बेसलाइन डायनेमिक सर्विस से पता चलता है कि उत्तराखंड में कौन सी नई प्रजाति की चिड़िया फल-फूल रही हैं. वहीं यह भी पता चलता है कि कौन सी प्रजाति की चिड़िया विलुप्ति की कगार पर है.

इस तरह के सर्वे से शोधकर्ताओं को मिलती है मदद: चिड़ियों की गणना के इस अभियान में मौजूद बर्ड साइंटिस्ट शुभा पूर्वा ने बताया कि इस तरह के अभियान से निश्चित तौर पर साइंटिस्ट कम्युनिटी को लाभ मिलता है और जब इस तरह का डाटा तैयार किया जाता है तो उससे वाइल्ड लाइफ पर शोध कर रहे लोगों को उनके शोध के साथ-साथ पक्षियों के संरक्षण और संवर्धन में भी लाभ मिलता है. पक्षियों के संरक्षण की दिशा में किस तरह के कदम उठाए जाने हैं, इसको लेकर भी मदद मिलती है.

शौक बना शोध का जरिया: आर्क बर्ड काउंट फाउंडेशन के इस अभियान में देश भर के कई नौजवान और पक्षी प्रेमी वॉलिंटियर शामिल हैं. गुरुवार को देहरादून से रवाना हुए वॉलिंटियर में एडवर्टाइजमेंट इंडस्ट्री मुंबई से आए नंदकिशोर राजपूत ने बताया कि बर्ड वाचिंग उनका शौक था. इस अभियान के साथ जुड़कर वह एक सार्थक पहल में शामिल हो रहे हैं. उनके शौक के साथ-साथ अब शोध का भी काम हो रहा है. उन्हें इस काम को करके बेहद खुशी मिलती है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में बढ़ा हिम तेंदुओं का कुनबा, 'हिमालय के भूत' को रास आ रहा देवभूमि का वातावरण

राजपूत ने बताया कि वह किस तरह से जंगल में जाकर चिड़ियों की तस्वीरें तो खींचते ही हैं लेकिन इसके साथ साथ वह एक डेटाबेस भी तैयार करते हैं. ये डेटाबेस हमारी साइंटिस्ट कम्युनिटी के लिए बेहद मददगार साबित होता है. इसी तरह से एक और पक्षी प्रेमी विवेक उनियाल ने बताया कि वो एक प्राइवेट सेक्टर से आते हैं. लेकिन उनका पक्षी प्रेम का यह शौक उन्हें एक बेहद अच्छे मकसद के साथ जोड़ रहा है. उन्होंने बताया कि पक्षियों की जनगणना कार्यक्रम उत्तराखंड के लिए बेहद कारगर साबित होने जा रहा है. इससे उत्तराखंड की जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में भी काम हो रहा है.

Last Updated : Oct 28, 2022, 10:43 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.