देहरादून: लगभग 37 साल के लंबे इंतजार के बाद सीमांत क्षेत्र चकराता की विद्युत व्यवस्था को बेहतर करने के लिए आराकोट-त्यूणी और त्यूणी-प्लासू जल विद्युत परियोजना के निर्माण का रास्ता अब साफ हो चुका है. त्रिवेंद्र सरकार ने यह परियोजनाएं यूजेवीएनएल को सौंप दी है.
बता दें कि उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा त्यूणी-प्लासू जल विद्युत परियोजना की योजना मार्च 1983 में प्रस्तावित की गई थी. इसके तहत 72 मेगावाट बिजली का उत्पादन होना था. वहीं, दूसरी तरफ आराकोट-त्यूणी जल विद्युत परियोजना का खाका भी 1980 में तैयार कर लिया गया था. इस परियोजना के तहत 81 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाना था, लेकिन साल 2000 में जब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश से अलग हो गया, तब उत्तर प्रदेश सरकार को इन दोनों ही निर्माणाधीन परियोजनाओं को उत्तराखंड सरकार को हस्तांतरित करना पड़ा. जिसके बाद इसके निर्माण कार्य की रफ्तार धीमी पड़ गई थी.
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अब सूबे की त्रिवेंद्र सरकार ने इस महत्वपूर्ण योजना के निर्माैण की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग से लेते हुए उत्तराखंड जल विद्युत निगम यानी यूजेवीएनएल को सौंप दी है. जिसके बाद अब उम्मीद है कि जल्द ही इस परियोजना की डीपीआर तैयार कर इसका निर्माण कार्य जल्द शुरू कर दिया जाएगा.
यूजेवीएनएल के प्रबंध निदेशक संदीप सिंघल ने बताया कि आराकोट-त्यूणी और त्यूणी-प्लासू जल विद्युत परियोजना के निर्माण की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग से वापस लेकर उत्तराखंड जल विद्युत निगम को सौंप दी गई है. ऐसे में अब सिंचाई विभाग से प्रोजेक्ट हैंडओवर होने के बाद नए सिरे से डीपीआर तैयार कर इन दोनों ही महत्वपूर्ण जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा. जिससे सीमांत क्षेत्र चकराता और टोंस नदी के आसपास बसी बस्तियों में विद्युत व्यवस्था बेहतर हो सकेगी.