देहरादून: डीजीपी अशोक कुमार ने पुलिस मुख्यालय में उत्तराखंड पुलिस जीवन रक्षक निधि की नियमावली की समीक्षा करते हुए पुलिसकर्मियों को बड़ी राहत देते कई बड़े बदलाव किए हैं.
- जीवन रक्षक निधि अभी तक केवल गंभीर बीमारी के लिए ही थी. लेकिन अब किसी भी बीमारी के लिए जिसमें 50 हजार रुपए से अधिक का खर्च होना हो, पुलिसकर्मी अग्रिम ले सकता है.
- अभी तक यह निधि केवल पति-पत्नी एवं उनके बच्चों के लिए ही थी. लेकिन अब पुलिसकर्मी के माता-पिता, सास-ससुर, अविवाहित पुत्र और पुत्री (कोई आयु सीमा नहीं), जो उन पर पूर्णतः आश्रित हैं, इसका उपयोग कर सकते हैं.
- जीवन रक्षक निधि में बढ़ोतरी करते हुए जनपद स्तर पर 20 हजार से बढ़ाकर 50 हजार, परिक्षेत्र स्तर पर 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख तक और पुलिस मुख्यालय स्तर पर 1 लाख से अधिक किसी भी सीमा तक की गई है.
- किसी भी सरकारी या गैर सरकारी चिकित्सालय में तैनात पंजीकृत एमबीबीएस चिकित्सक द्वारा बीमारी के उपचार के लिए दिया गया अनुमानित व्यय जीवन रक्षक निधि लेने के लिए मान्य होगा.
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डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि जीवन रक्षा निधि में कई बड़े बदलाव किये हैं. जिससे हमारे पुलिसकर्मियों और उनके परिवारों को बीमारी के दौरान किसी भी दिक्कतों का सामना न करना पड़े. साथ ही किसी भी पुलिस कर्मी द्वारा किसी भी स्तर (जनपद, परिक्षेत्र या पुलिस मुख्यालय) पर यदि जीवन रक्षक निधि के लिए आवदेन किया जाता है, तो वह एक ही दिन में स्वीकृत की जाएगी. जिससे उसे समय पर उपचार की सहायता मिल सके.