देहरादून: धामी सरकार में मंत्रिमंडल के गठन के साथ ही पार्टी के भीतर नाराजगी के सुर सुनाई देने लगे हैं. कहीं सीनियर विधायकों को मंत्रिमंडल से बाहर निकाले जाने का रोष है तो कहीं सीनियरिटी का ख्याल नहीं रखे जाने की आपत्ति जताई जा रही है. खास बात यह है कि सरकार में विधायकों के अंदरूनी मनमुटाव पर कांग्रेस को भी अब चुटकी लेने का मौका मिल गया है.
भाजपा हाईकमान इस बार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर पूरी तरह मेहरबान दिखा, ना केवल हार के बावजूद धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया बल्कि मंत्रिमंडल में भी उन्हें फ्री हैंड दिया गया. मंत्रिमंडल में शामिल नेताओं और इससे बाहर किए गए विधायकों की सूची को देखें तो अंदाजा लगाना आसान है कि इसमें मुख्यमंत्री इच्छा का पूरा ख्याल रखा गया है. भाजपा के बड़े नेताओं के कैंप में भी इसी तरह की चर्चाएं इन दिनों चल रही हैं.
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नई खबर यह है कि मंत्रिमंडल में शपथ ग्रहण के दौरान कुछ मंत्री शपथ ग्रहण के लिए बाद में बुलाये जाने पर नाराज हैं. बता दें शपथ ग्रहण के दौरान मंत्री या विधायक के कद और सीनियरिटी के लिहाज से उन्हें शपथ करवाई जाती है. चौंकाने वाली बात यह है कि इस बार पूर्व कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल को पांचवें नंबर पर बुलाया गया. उधर, दूसरी तरफ सीनियर मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर करने का मामला पहले ही पार्टी के भीतर विवाद का कारण बना हुआ है.
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परिस्थितियों को देखते हुए अब कांग्रेस ने भी भाजपा के भीतर चल रही है इस नूरा कुश्ती पर टिप्पणी की है. कांग्रेस नेता अनुकृति गुसाईं कहती हैं कि भाजपा की सरकार दिल्ली से संचालित होती है. ऐसी स्थिति में विधायकों को अपमानित होना ही पड़ेगा. सीनियरिटी का कितना ख्याल रखा जा रहा है इसका अंदाजा शपथ ग्रहण के दौरान सीनियर मंत्रियों को बाद में बुलाए जाने से ही लगाया जा सकता है.
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अनुकृति ने कहा प्रदेश में भाजपा का कोई भी विधायक अपने बल पर नहीं जीता है. ये सभी केवल पीएम मोदी नाम पर ही जीत कर आये हैं. लिहाजा, भाजपा हाईकमान भी इसी बात को समझते हुए मनमाने फैसले कर रहा है.