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18 साल बाद पशुपालन विभाग को याद आई गोशाला की जमीन, चलवाया 'पीला पंजा'

पशुपालन विभाग ने कई वर्षों से कब्जा किये हुए गोशाला को जेसीबी के द्वारा तोड़ा दिया. पशुपालन विभाग द्वारा ये भूमि खुद की बताई जा रही है. वहीं इस कार्रवाई में गोशाला में रखी दवाइयां खराब हो गईं.

पशुपालन विभाग को याद आई गौशाला की जमीन.
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Published : Sep 14, 2019, 11:53 PM IST

ऋषिकेश: पशुपालन विभाग द्वारा साल 2001 में एक गो सेवा करने वाली संस्था को अस्थाई तौर पर भूमि दी गई थी. इसके बाद विभाग ने 18 साल बाद इस जमीन को वापस लेते हुए गोशाला पर जेसीबी चलवा दी. साथ ही विभाग की इस कार्रवाई से गोशाला में रखा चारा और दवाइयां खराब हो गईं.

पशुपालन विभाग ने पुलिस के साथ मिलकर कई वर्षों से कब्जा किये हुए गोशाला को जेसीबी के द्वारा तोड़ा दिया. इस कार्रवाई में गोवंशों के लिए रखा चारा और मेडिसिन खराब हो गईं. कार्रवाई का आलम कुछ ऐसा देखने को मिला कि एक गोवंश बुरी तरह घायल हो गए. साथ ही वहां से जो गोवंश को पशुपालन विभाग ने अपने कब्जे में लिया उनको बुरी तरीके से ले जाया गया.

पशुपालन विभाग को याद आई गौशाला की जमीन.

गोशाल से संबंधित जे. पी. त्रिपाठी ने बताया कि ये भूमि 2001 में पशुपालन के निदेशक द्वारा सेवा के लिए दी गई थी. जिसमें घायल गोवंश की देखभाल और खानपान की व्यवस्थाएं थीं. पशुपालन द्वारा इतने साल बाद अपनी जमीन की याद आई और उन्हें अचानक यहां जेसीबी से तोड़ना शुरू कर दिया.

ये भी पढ़ें: सीएम त्रिवेंद्र ने ली चुटकी, कहा- कांग्रेस ने षड्यंत्र कर शहर में छोड़े डेंगू के मच्छर

पशुपालन परियोजना निदेशक डॉ. आर. के. वर्मा ने बताया कि जिस भूमि को खाली कराया गया है, वो पशुपालन की भूमि है. संस्था को उपयोग के लिए भूमि दी गई थी, जिसके बाद इन्होंने अपने नाम दर्ज करने की कोशिश नहीं की. भूमि को पशुपालन विभाग द्वारा न्यायालय के प्रक्रिया से खाली करवाया जा रहा है. इसमें 56 गोवंश थे, उनको अपने पशुपालन परिसर में रख दिया गया है.

ऋषिकेश: पशुपालन विभाग द्वारा साल 2001 में एक गो सेवा करने वाली संस्था को अस्थाई तौर पर भूमि दी गई थी. इसके बाद विभाग ने 18 साल बाद इस जमीन को वापस लेते हुए गोशाला पर जेसीबी चलवा दी. साथ ही विभाग की इस कार्रवाई से गोशाला में रखा चारा और दवाइयां खराब हो गईं.

पशुपालन विभाग ने पुलिस के साथ मिलकर कई वर्षों से कब्जा किये हुए गोशाला को जेसीबी के द्वारा तोड़ा दिया. इस कार्रवाई में गोवंशों के लिए रखा चारा और मेडिसिन खराब हो गईं. कार्रवाई का आलम कुछ ऐसा देखने को मिला कि एक गोवंश बुरी तरह घायल हो गए. साथ ही वहां से जो गोवंश को पशुपालन विभाग ने अपने कब्जे में लिया उनको बुरी तरीके से ले जाया गया.

पशुपालन विभाग को याद आई गौशाला की जमीन.

गोशाल से संबंधित जे. पी. त्रिपाठी ने बताया कि ये भूमि 2001 में पशुपालन के निदेशक द्वारा सेवा के लिए दी गई थी. जिसमें घायल गोवंश की देखभाल और खानपान की व्यवस्थाएं थीं. पशुपालन द्वारा इतने साल बाद अपनी जमीन की याद आई और उन्हें अचानक यहां जेसीबी से तोड़ना शुरू कर दिया.

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पशुपालन परियोजना निदेशक डॉ. आर. के. वर्मा ने बताया कि जिस भूमि को खाली कराया गया है, वो पशुपालन की भूमि है. संस्था को उपयोग के लिए भूमि दी गई थी, जिसके बाद इन्होंने अपने नाम दर्ज करने की कोशिश नहीं की. भूमि को पशुपालन विभाग द्वारा न्यायालय के प्रक्रिया से खाली करवाया जा रहा है. इसमें 56 गोवंश थे, उनको अपने पशुपालन परिसर में रख दिया गया है.

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ऋषिकेश-- 2001 में पशुपालन के निदेशक द्वारा एक गौ सेवा करने वाली संस्था को ऋषिकेश के वीरपुर खुर्द में अस्थाई तौर पर दी गई। इसके बाद वहां गौ सेवा धाम चलाया जा रहा था जिसमें कुछ गोवंशों का खानपान व देखभाल होता था , अचानक 18 साल बाद पशुपालन को अपने जमीन की याद आई तो पशुपालन विभाग ने न्यायालय विहित प्राधिकारी ऋषिकेश से एक आदेश लाकर गौशाला की जमीन को जेसीबी चलाकर खाली करवा दिया । 


Body:वी/ओ--पशुपालन विभाग ने पुलिस के साथ मिलकर कई वर्षों से कब्जा किये हुए गौशाला को जेसीबी के द्वारा तोड़ा गया,लेकिन इस कार्यवाही में गौवंशो की काफी मात्रा में चारा व मेडिसिन खराब हो गई। कार्रवाई का आलम कुछ ऐसा देखने को मिला कि एक गोवंश बुरी तरह घायल हो गयी साथ ही वहां से जो गोवंश को पशुपालन विभाग ने अपने कब्जे में लिया उनको बेकद्री तरीके से ले जाया गया ।वही गौ सेवा धाम के तरफ से कहते हुए जे.पी.त्रिपाठी ने बताया कि यह भूमि 2001 में पशुपालन के निदेशक द्वारा को वन सेवा के लिए दी गई थी जिसमें गोवंश जो कि आवारा घूमते हैं या दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं उनकी देखभाल व खानपान में सभी व्यवस्था हमारे द्वारा यहां की जाती थी। पशुपालन द्वारा इतने साल बाद अपने जमीन की याद आई और उन्हें अचानक यहां जेसीबी से तोड़ना शुरू कर दी कम से कम एक माह का भी समय नहीं दिया और एकतरफा फैसला करते हुए गौशाला तवाह कर डाली।




Conclusion:वी/ओ-- डॉ. आर. के. वर्मा पशुपालन परियोजना निदेशक ने बताया कि जिस भूमि को खाली कराया गया है पशुपालन की भूमि है , संस्था को उपयोग के लिए भूमि दी गई थी जिसके बाद इन्होंने अपने नाम दर्ज करने की कोशिश नहीं की । जिसके बाद भूमि को पशुपालन विभाग द्वारा न्यायालय के प्रक्रिया से खाली करवाया जा रहा है और जो इसमें 56 गोवंश थे उनको अपने पशुपालन परिसर में रख दिया गया है।


बाईट-- जे.पी.त्रिपाठी (प्रबंधक,गौ सेवा ट्रस्ट)


बाईट-- आर. के.वर्मा (परियोजना निदेशक , पशुपालन  विभाग)


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