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चारधाम यात्रा में घोड़े खच्चरों को लेकर विभाग ने जारी की एसओपी, कड़े किये नियम

चारधाम यात्रा में घोड़े खच्चरों को लेकर पशु पालन विभाग ने एसओपी जारी कर दी है. इस एसओपी में पिछले सालों की अपेक्षा इस साल कड़े नियम बनाये गये हैं,

Animal Husbandry Department issued SOP
चारधाम यात्रा में घोड़े खच्चरों को लेकर विभाग ने जारी की एसओपी
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Published : May 3, 2023, 9:51 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में पिछले साल यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में घोड़े खच्चरों की मौत हुई थी. जिसके बाद सबक लेते हुए इस बार पशुपालन विभाग ने इसे लेकर एसओपी जारी की है. इस बार जारी की गई एसओपी में नियमों को कड़ा किया गया है. हालांकि, केदारनाथ में अब तक 3 घोड़े खच्चरों की मौत हो गई है. इस गाइडलाइन के बावजूद मरने वाले इन जानवरों में दो जानवर यात्रा के लिए रजिस्टर्ड ही नहीं थे.

प्रदेश में चार धाम यात्रा के दौरान श्रद्धालु घोड़े खच्चरों का भी प्रयोग करते हैं. खासतौर पर केदारनाथ यात्रा के दौरान हजारों लोगों की रोजी-रोटी इसी पर निर्भर होती है. पिछले साल केदारनाथ में यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में घोड़े और खच्चरों की मौत हो गई थी, जिसके बाद पशुपालन विभाग समेत सरकार को भी इसके लिए किरकिरी झेलनी पड़ी. यही नहीं यह पूरा मामला कोर्ट तक भी पहुंचा. शायद यही कारण है कि हाईकोर्ट ने भी इस साल केदारनाथ में घोड़े और खच्चरों के प्रयोग को लेकर नियम बनाए जाने के निर्देश दिए थे.

पढ़ें- कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पर दर्ज हुआ मारपीट का मुकदमा, सुरेंद्र सिंह नेगी ने करवाई क्रॉस FIR

खास बात यह है कि पशुपालन विभाग काफी लंबे समय से इसके लिए एसओपी तैयार कर रहा था. जिसमें न केवल पशुपालन विभाग के अधिकारियों की तरफ से इस पर मंथन किया गया बल्कि गैर सरकारी संगठनों से भी एसओपी के बारे में सुझाव लिए गए. अब एसओपी जारी हो चुकी है. इस एसओपी को इस बार पिछले सालों के मुकाबले काफी कड़ा किया गया है. पशुपालन विभाग ने एसओपी के जरिए केदारनाथ में इन पशुओं की संख्या को लेकर निर्धारण किया है. जिसके तहत केदारनाथ में 5000 पशुओं की ही मौजूदगी रखी जा सकती है. इसके अलावा यहां पर इनके रजिस्ट्रेशन को भी पूरी तरह से अनिवार्य किया गया है.

पढ़ें- उत्तराखंड चारधाम यात्रा में उमड़ रहा आस्था का सैलाब, 3.52 लाख श्रद्धालु कर चुके दर्शन

तय नियम में पशुओं के केदारनाथ में यात्रा के दौरान आवाजाही को निश्चित की गई है. जिससे बेवजह बेजुबान ऊपर अतिरिक्त बोझ न पड़े. इसके अलावा इन जानवरों के पानी की व्यवस्था से लेकर इनके भोजन को लेकर भी गाइडलाइन जारी की गई है. बता दें अब तक केदारनाथ यात्रा में 3 घोड़े और खच्चरों की मौत हो चुकी है. बड़ी बात यह है कि इस गाइडलाइन के बावजूद मरने वाले इन जानवरों में दो जानवर यात्रा के लिए रजिस्टर्ड ही नहीं थे.

देहरादून: उत्तराखंड में पिछले साल यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में घोड़े खच्चरों की मौत हुई थी. जिसके बाद सबक लेते हुए इस बार पशुपालन विभाग ने इसे लेकर एसओपी जारी की है. इस बार जारी की गई एसओपी में नियमों को कड़ा किया गया है. हालांकि, केदारनाथ में अब तक 3 घोड़े खच्चरों की मौत हो गई है. इस गाइडलाइन के बावजूद मरने वाले इन जानवरों में दो जानवर यात्रा के लिए रजिस्टर्ड ही नहीं थे.

प्रदेश में चार धाम यात्रा के दौरान श्रद्धालु घोड़े खच्चरों का भी प्रयोग करते हैं. खासतौर पर केदारनाथ यात्रा के दौरान हजारों लोगों की रोजी-रोटी इसी पर निर्भर होती है. पिछले साल केदारनाथ में यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में घोड़े और खच्चरों की मौत हो गई थी, जिसके बाद पशुपालन विभाग समेत सरकार को भी इसके लिए किरकिरी झेलनी पड़ी. यही नहीं यह पूरा मामला कोर्ट तक भी पहुंचा. शायद यही कारण है कि हाईकोर्ट ने भी इस साल केदारनाथ में घोड़े और खच्चरों के प्रयोग को लेकर नियम बनाए जाने के निर्देश दिए थे.

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खास बात यह है कि पशुपालन विभाग काफी लंबे समय से इसके लिए एसओपी तैयार कर रहा था. जिसमें न केवल पशुपालन विभाग के अधिकारियों की तरफ से इस पर मंथन किया गया बल्कि गैर सरकारी संगठनों से भी एसओपी के बारे में सुझाव लिए गए. अब एसओपी जारी हो चुकी है. इस एसओपी को इस बार पिछले सालों के मुकाबले काफी कड़ा किया गया है. पशुपालन विभाग ने एसओपी के जरिए केदारनाथ में इन पशुओं की संख्या को लेकर निर्धारण किया है. जिसके तहत केदारनाथ में 5000 पशुओं की ही मौजूदगी रखी जा सकती है. इसके अलावा यहां पर इनके रजिस्ट्रेशन को भी पूरी तरह से अनिवार्य किया गया है.

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तय नियम में पशुओं के केदारनाथ में यात्रा के दौरान आवाजाही को निश्चित की गई है. जिससे बेवजह बेजुबान ऊपर अतिरिक्त बोझ न पड़े. इसके अलावा इन जानवरों के पानी की व्यवस्था से लेकर इनके भोजन को लेकर भी गाइडलाइन जारी की गई है. बता दें अब तक केदारनाथ यात्रा में 3 घोड़े और खच्चरों की मौत हो चुकी है. बड़ी बात यह है कि इस गाइडलाइन के बावजूद मरने वाले इन जानवरों में दो जानवर यात्रा के लिए रजिस्टर्ड ही नहीं थे.

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