देहरादून: उत्तराखंड ही नहीं बल्कि भारत सरकार के अभियान पर भी अफसरों के हवा हवाई दावों की पोल खुल गई है. खुद मुख्य सचिव डॉक्टर एसएस संधू ने राज्य में चल रहे नशा मुक्ति अभियान को लेकर अब तक की परफॉर्मेंस पर सवाल खड़े किए हैं. यही नहीं इस अभियान से जुड़े अधिकारियों को मुख्य सचिव ने पत्र लिखकर स्थितियां सुधारने तक के निर्देश दिए हैं.
भारत सरकार इन दिनों नशा मुक्ति अभियान के लिए देशभर में राज्य सरकारों से संवाद कर रही है. पिछले दिनों गृहमंत्री अमित शाह ने इस पर एक बड़े स्तर की बैठक आयोजित की थी. जिसमें 2047 तक नशा मुक्त भारत बनाने के लिए तेजी से अभियान को आगे चलाने के निर्देश दिए गए थे. इसी कड़ी में उत्तराखंड सरकार ने भी 2025 तक इस अभियान को पूरा करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन भारत सरकार और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का इस मामले पर गंभीरता दिखाना अफसरों को सक्रिय नहीं कर सका.
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मुख्य सचिव एसएस संधू ने अफसरों को पत्र लिखते हुए कहा कि नशा मुक्त भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए गृह मंत्रालय और भारत सरकार के नियंत्रण वाले नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा मादक पदार्थों के खिलाफ अभियान शुरू किया गया है. जिसमें उत्तराखंड से केवल 0.47% लोगों द्वारा ही ई शपथ ली गई है, जो कि बेहद कम है और इसमें सुधार करने की जरूरत है. नशे से दूर रहने और अपने आसपास के लोगों को भी जागरूक करने का एक शपथ पत्र भरते हैं. हैरानी की बात यह है कि ऐसा करने वालों की संख्या महज 0.47% है.
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