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वन विकास निगम के अफसरों पर लगे घोटाले के आरोप, PM मोदी को लिखा पत्र - वन विभाग उत्तराखंड

वन विकास निगम के स्केलर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष टीएस बिष्ट ने बताया कि मुख्य सचिव ने साल 2015-16 और साल 2016-17 में स्पेशल जांच कराई गई थी. जिसमें सीधे-सीधे तौर पर लाखों रुपए का घोटाला पाया गया था. मई 2018 में वन निगम को रिपोर्ट सौंपी गई. लेकिन जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के करीब 1 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जिससे साफ जाहिर होता है कि इसमें कई बड़े-बड़े अधिकारी संलिप्त हैं.

वन विकास निगम के स्केलर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष टीएस बिष्ट
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Published : Jul 15, 2019, 7:09 PM IST

देहरादून: वन विकास निगम के कई अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं. यह आरोप वन विकास निगम के स्केलर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष टीएस बिष्ट ने लगाए हैं. आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि वन विभाग के वित्त नियंत्रक जीवन चंद्र जोशी की जांच के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

वन विकास निगम के स्केलर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष टीएस बिष्ट

वन विकास निगम के स्केलर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष के विभाग पर आरोप हैं कि वन विकास निगम में सामान खरीदने के मामले में कई अनियमितताएं हुई हैं. उन्होंने कहा कि उस दौरान वीके अग्रवाल कांट्रेक्टर से सामान खरीदा गया था. उसमें बिल संख्या 26 को 9 अगस्त 2016 को काटा गया. जबकि बिल संख्या 22 को 12 अगस्त 2016 को काटा गया. जिससे साफ जाहिर हो रहा है कि इन बिलों में गड़बड़ किया गया है.

पढे़ं- कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के 75 रणबांकुरों ने दी थी आहुति, एक साथ आए 9 शवों से शोक में डूब गया था पहाड़

इसके साथ ही ऑडिटर को भी गुमराह करने के लिए एक बिल हिंदी में बनाया और एक बिल इंग्लिश में बनाया गया है. उन्होंने आरोप लगया कि एक ही समान के दो-दो बिल बनाए गए हैं. साथ ही दोनों बिलों के अमाउंट में कुछ रुपयों का हेर फेर कर दिया गया है.

स्केलर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष टीएस बिष्ट ने बताया कि आंतरिक लेखा परीक्षक को कोई भी साक्ष्य नहीं दिखाए गए, जो नियम के विरुद्ध हैं. ऐसे लोगों पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए. लेकिन इनपर अभी तक कोई मुकदमा दर्ज नहीं हो पाया है.

उन्होंने बताया कि वन निगम के वित्त नियंत्रक जीवन चंद्र जोशी ने मई 2018 में जांच के बाद कड़ी कार्रवाई करने के लिए लिखा था. लेकिन अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई. संघ के अध्यक्ष ने बताया कि मुख्य सचिव ने साल 2015-16 और साल 2016-17 में स्पेशल जांच कराई गई थी. जिसमें सीधे-सीधे तौर पर लाखों रुपए का घोटाला पाया गया था. मई 2018 में वन निगम को रिपोर्ट सौंपी गई. लेकिन जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के करीब 1 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जिससे साफ जाहिर होता है कि इसमें कई बड़े-बड़े अधिकारी संलिप्त हैं.

जिसके बाद अब वन विकास निगम स्केलर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष टीएस बिष्ट ने इस मामले में एक पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय भी भेजा है. जिससे भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई की जा सके.

देहरादून: वन विकास निगम के कई अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं. यह आरोप वन विकास निगम के स्केलर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष टीएस बिष्ट ने लगाए हैं. आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि वन विभाग के वित्त नियंत्रक जीवन चंद्र जोशी की जांच के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

वन विकास निगम के स्केलर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष टीएस बिष्ट

वन विकास निगम के स्केलर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष के विभाग पर आरोप हैं कि वन विकास निगम में सामान खरीदने के मामले में कई अनियमितताएं हुई हैं. उन्होंने कहा कि उस दौरान वीके अग्रवाल कांट्रेक्टर से सामान खरीदा गया था. उसमें बिल संख्या 26 को 9 अगस्त 2016 को काटा गया. जबकि बिल संख्या 22 को 12 अगस्त 2016 को काटा गया. जिससे साफ जाहिर हो रहा है कि इन बिलों में गड़बड़ किया गया है.

पढे़ं- कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के 75 रणबांकुरों ने दी थी आहुति, एक साथ आए 9 शवों से शोक में डूब गया था पहाड़

इसके साथ ही ऑडिटर को भी गुमराह करने के लिए एक बिल हिंदी में बनाया और एक बिल इंग्लिश में बनाया गया है. उन्होंने आरोप लगया कि एक ही समान के दो-दो बिल बनाए गए हैं. साथ ही दोनों बिलों के अमाउंट में कुछ रुपयों का हेर फेर कर दिया गया है.

स्केलर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष टीएस बिष्ट ने बताया कि आंतरिक लेखा परीक्षक को कोई भी साक्ष्य नहीं दिखाए गए, जो नियम के विरुद्ध हैं. ऐसे लोगों पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए. लेकिन इनपर अभी तक कोई मुकदमा दर्ज नहीं हो पाया है.

उन्होंने बताया कि वन निगम के वित्त नियंत्रक जीवन चंद्र जोशी ने मई 2018 में जांच के बाद कड़ी कार्रवाई करने के लिए लिखा था. लेकिन अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई. संघ के अध्यक्ष ने बताया कि मुख्य सचिव ने साल 2015-16 और साल 2016-17 में स्पेशल जांच कराई गई थी. जिसमें सीधे-सीधे तौर पर लाखों रुपए का घोटाला पाया गया था. मई 2018 में वन निगम को रिपोर्ट सौंपी गई. लेकिन जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के करीब 1 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जिससे साफ जाहिर होता है कि इसमें कई बड़े-बड़े अधिकारी संलिप्त हैं.

जिसके बाद अब वन विकास निगम स्केलर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष टीएस बिष्ट ने इस मामले में एक पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय भी भेजा है. जिससे भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई की जा सके.

Intro:उत्तराखण्ड वन विकास निगम स्केलर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष टी०एस० बिष्ट ने वन विकास निगम के कई अधिकारियों पर भ्रस्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। वन विकास निगम के स्केलर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष टी०एस० बिष्ट के मुताबिक, वन विभाग के वित्त नियंत्रक जीवन चंद्र जोशी की जांच के बाद भी कोई कार्यवाही, नही हुई...वन निगम उत्तराखण्ड ने बताया कि सरकारी विभागों में कोई भी काम होता है तो पहले उसकी स्वीकृति ली जाती है। उसके बाद ही किसी भी धनराशी का भुगतान किया जाता हैं। लेकिन वन निगम में बिना किसी पर्व के स्वीकृति के ही काम कराया गया और उसके बाद बिल भी पेश किया गया और फिर उन कामो की स्वीकृति दी गई। जबकि नियमानुसार ऐसा नही होना चाहिए था। साथ ही उन्होंने बताया कि खाने के नाम पर साल 2015-16 में नगद रूप से 11 लाख 95 हजार का भुगतान किया गया, जबकि सरकारी विभाग में कभी भी नगद भुगतान नहीं किया जाता है। इसके बाद चेक के माध्यम से 8 लाख 18 हज़ार का भुगतान किया गया। इसी तरह से साल 2016-17 में 14 लाख 94 हजार का नगद भुगतान किया गया और फिर 15 लाख 31 हजार का चेक से भुगतान किया गया। और जिस तरह से इतने बड़े-बड़े अमाउंट को सरकारी विभाग में नगद भुगतान करना संदिग्ध है। 


Body:स्केलर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष के आरोपो के मुताबिक..... वन विकास निगम में सामान खरीदने के मामले में भी कई गड़बड़झाला किया गया, उस दौरान वी के अग्रवाल कांट्रेक्टर से सामान खरीदा गया था, उसमें बिल संख्या 26 को 9 अगस्त 2016 को काटा गया जबकि बिल संख्या 22 को 12 अगस्त 2016 तारीख को काटा गया। जिससे साफ जाहिर हो रहा है कि इन बिलों में गड़बड़झाला किया गया है। इसके साथ ही ऑडिटर को भी गुमराह करने के लिए एक बिल हिंदी में बनाया और एक बिल इंग्लिश में एक ही समान के दो-दो बिल बनाएं गए और दोनों बिलो के अमाउंट में कुछ रुपयों का बस हेर फेर कर दिया गया। 


स्केलर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष टी०एस० बिष्ट ने बताया कि.. आंतरिक लेखा परीक्षक को कोई भी साक्ष्य नहीं दिखाए गए, जो नियम के विरुद्ध है। और इन लोगों पर मुकदमा दर्ज होना हो जाना चाहिए था। लेकिन इनपर अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं हो पाया है। साथ ही बताया कि वन निगम के वित्त नियंत्रक जीवन चंद्र जोशी ने मई 2018 में जांच के बाद, कड़ी कार्रवाई करने के लिए लिखा था, लेकिन अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है। और इन लोगों के द्वारा मनमाने ढंग से अपने अपने वेतनो में भी वृद्धि तक कर दी गई। 


साथ ही संघ अध्यक्ष ने बताया कि मुख्य सचिव के द्वारा साल 2015-16 और साल 2016-17 की स्पेशल जांच कराई गई थी, जिसमें सीधे-सीधे तौर पर लाखों रुपए का घोटाला पाया गया और मई 2018 में वन निगम को रिपोर्ट सौंपी गई। लेकिन जांच रिपोर्ट सौंपी जाने का करीब 1 वर्ष बीत गया है बावजूद इसके अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है जिससे साफ जाहिर है कि इसमें कई बड़े-बड़े अधिकारी संलिप्त हैं। साथ ही जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली प्रदेश सरकार से मांग की, कि इन पर कारवाई की जाए साथ ही वन विकास निगम में लगातार हो रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाया जाए। ताकि कर्मचारियों में उत्साह बना रहे। साथ ही बताया कि इन घोटालों में तमाम अधिकारी लिप्त पाए गए थे। बावजूद इसके लंबा अरसा बीत जाने के बाद भी घपला करने वाले अधिकारियों पर कोई एक्शन नही लिया गया। हालांकि वन विकास निगम स्केलर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष टीएस बिष्ट ने इस मामले में एक पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय भी भेजा है ताकि भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर कार्यवाही की जा सके।

बाइट - त्रिलोक सिंह बिष्ट, कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तराखण्ड वन विकास निगम, स्केलर संघ


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