देहरादून: गमगीन थी आज देवभूमि...उसका 'प्रकाश' जो उससे विदा हो रहा था. हर किसी की आंखें नम थीं. किसी को ये विश्वास नहीं हो रहा था कि उनके सामने उनका 'प्रकाश' चिर निद्रा में लीन हो गया है. उम्मीद थी कि अमेरिका जाकर प्रकाश पंत जल्द ही ठीक होकर वापसी करेंगे लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. अमेरिका से पंत अपनी जन्मभूमि वापस तो लौटे लेकिन तिरंगे में लिपटकर. इस भावुक घड़ी में जहां पक्ष-विपक्ष एकजुट नजर आया वहीं मुख्यमंत्री अपने मित्र को खुद कंधा देते नजर आए.
वर्तमान राजनीति में किसी-किसी नेता को भी जनता 'अपना नेता' मानती है. ऐसे ही थे प्रकाश पंत. जनता के बीच के आए जननेता, जो एक स्वच्छ राजनीतिज्ञ थे. लेकिन कहते हैं कि अच्छे लोगों को भगवान अपने पास जल्दी बुला लेता है. कुछ ऐसा ही हुआ पंत के साथ भी. फरवरी महीने में पहली बार इस घातक बीमारी के लक्षण का पता लगा था. हुआ यूं था कि बजट सत्र के दौरान बजट पढ़ते-पढ़ते ही पंत बेहोश होकर गिर पड़े थे. जांच की गई तो पता चला कि उन्हें कैंसर था.
उन्हें नई दिल्ली स्थित राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती कराया गया. यहां कुछ दिनों के इलाज के बाद उनके स्वास्थ्य में सुधार आया और वो देहरादून वापस आ गए थे. कुछ दिनों बाद तबीयत बिगड़ने पर उन्हें फिर से दिल्ली ले जाया गया था. बीते महीने 29 मई को वह इलाज के लिए टेक्सास, अमेरिका गए, जहां 5 जून को उनके निधन की खबर आई.
8 मई सुबह उनका पार्थिव शरीर पूरे राजकीय सम्मान के साथ देहरादून के जॉलीग्रांट एयरपोर्ट लाया गया. यहां एसडीआरएफ हेडक्वार्टर में पंत के अंतिम दर्शन के लिए लोगों को हुजूम उमड़ गया. ये ऐसा मौका था जब एक जननेता को श्रद्धांजलि देने के लिये पक्ष और विपक्ष साथ खड़ा था. उत्तराखंड के सभी दिग्गज नेताओं ने पंत को नमन किया और एक साथ खड़े होकर उनको आखिरी सलामी दी. इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने पंत के पार्थिव शरीर को कंधा दिया.
गौर हो कि प्रकाश पंत अपने आखिरी समय तक बार-बार यही कहते रहे कि अब वह बड़े अस्पताल में जा रहे हैं और जल्दी ही ठीक होकर अपने काम में जुट जाएंगे. अंतिम समय तक उनकी जुबान पर उत्तराखंड के लिए काम करना और जल्दी ठीक होने की ललक थी. लेकिन जैसे ही उन्होंने दिल्ली से अमेरिका के लिए उड़ान भरी वैसे ही उनकी तबीयत खराब होती चली गई. फिर अचानक उनकी तबीयत खराब होती चली गई, जिस वजह से उनका खाना-पीना और बोलना सब बंद हो गया था.